रांची: एक ओर रांची पुलिस अपराध पर रोकथाम के लिए लगातार अभियान चला रही है तो वहीं दूसरी ओर यहां अपराधी लगातार बेलगाम होते जा रहे हैं. रांची में आए दिन अपराध में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है. हाल ही में रांची में अपराधियों ने इतनी बड़ी-बड़ी घटना को अंजाम दिया है कि इसने सबको चिंता में डाल दिया है.
हाल में रांची में हुई बड़ी घटनाएं
- 14 अक्टूबर, 2019 को रांची के लालपुर इलाके में अपराधियों ने दिनदहाड़े जेवर कारोबारी के दो बेटे को गोली मार दी.
- 09 अक्टूबर, 2019 को रातू के बड़काटोली अखड़ा के पास विकास उरांव नामक किशोर को आपसी विवाद में गोली मार दी गई.
- 02 अक्टूबर, 2019 को नगड़ी में जमीन कारोबारी मनोज मिंज को अपराधियों ने गोली मार दी.
- 20 सितंबर, 2019 को पुंदाग-नयासराय पुल के पास अरगोड़ा के जेवर व्यवसायी को गोली मारी गई.
- 16 अगस्त, 2019 को ओरमांझी स्थित रुक्का डैम के पास कुख्यात अपराधी सुंदर दास को अपराधियों ने गोली मार दी थी.
- 14 अगस्त, 2019 को नगड़ी में अपराधियों ने ट्रांसपोर्टर विजय कच्छप को गोली मारी थी.
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अवैध पिस्टल का बढ़ता इस्तेमाल
इनमें से कई अपराधों को केवल आपसी विवाद में अंजाम दिया गया है. तो वहीं कुछ गैंगवार से जुड़ी आपराधिक घटनाएं हैं. यह पुलिस के लिए और चिंता का सबब बन गया है. सबसे बड़ी बात है कि रांची में बढ़ते इन अपराधों में अवैध हथियारों का बेतहाशा इस्तेमाल किया जा रहा है. इन अपराधों में इस्तेमाल होने वाले अवैध हथियार के आंकड़ें और भी चौंकाने वाले हैं. मात्र सितंबर में पुलिस ने 20 नाइन एमएम पिस्टल बरामद किया है जबकि पिछले ढाई वर्ष में रांची पुलिस ने 225 नाइन एमएम पिस्टल बरामद किए थे. दशहरे के दौरान पुलिस ने एक साथ छह नाइन एमएम के पिस्टल बरामद किए थे. इस दौरान अगर पुलिस सतर्क नहीं रहती तो इस हथियार के बल पर जेल से निकलने वाले अपराधी की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती.
पिस्टल की सप्लाई पूरी तरह से है प्रतिबंधित
सरकार 9 एमएम पिस्टल का लाइसेंस नहीं देती है. पुलिस विभाग के अलावा, इस पिस्टल की सप्लाई पूरी तरह प्रतिबंधित है, बावजूद इसके राजधानी में यह आसानी से मिल रहा है. इस पिस्टल का क्रेज अपराधिओं के सिर चढ़कर बोल रहा है. अचूक मारक क्षमता की वजह से यह पिस्टल अपराध जगत में आनेवाले हर नए अपराधी की पहली पसंद बनता जा रहा है.
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सबसे प्रचलित हथियार है 9 एमएम पिस्टल
राजधानी के अपराधियों की पहली पसंद 9 एमएम पिस्टल है. इस पिस्टल की खासियत है कि इसका आकर्षक ब्लैक और मेटल कलर, हैंडल में रबर ग्रिप और फिंगर प्वाइंट. एक साथ इसमें 14 गोलियां आती है. एक कॉक के साथ रेगुलर फायरिंग की सुविधा भी इस पिस्टल में होती है. इसके साथ ही यह लगातार फायरिंग के बाद भी गर्म नही होता है. इसके अलावा बड़े अपराधियों के पास एके-47 जैसे हथियार भी उपलब्ध हैं.
देशी कट्टा का भी है प्रयोग में
9 एमएम के पिस्टल के बाद जो हथियार अपराधिक गिरोह के बीच सबसे अधिक प्रचलन में है वह है देसी कट्टा. राजधानी में अपराध की वारदात को अंजाम देने वाले छोटे-छोटे गिरोह देसी कट्टे का ही प्रयोग करते हैं.
कहां से आता है पिस्टल
रांची में ये अवैध हथियार कहां से आ रहे हैं, कौन इनकी सप्लाई कर रहा है...किस रूट से ये हथियारें लोगों तक पहुंच रहे हैं, ऐसे सवालों ने पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ा दी है. लेकिन इन अवैध हथियारों के पीछे की कहानी जानने के लिए पुलिस का अपनी ओर से प्रयास भी जारी है. ऐसा माना जा रहा है कि अवैध हथियार निर्माण को लेकर देश भर में चर्चित मुंगेर में हथियार तस्करों का एक नेटवर्क विकसित है. वहीं, गंगा दियारा क्षेत्र में कई मिनी गन फैक्ट्री काम करती है, जो तय रकम लेने के बाद नक्सली और आतंकवादियों को भी हथियार की आपूर्ति कर रही है.
किस रूट से आता है 9 एमएम पिस्टल
जमशेदपुर, हजारीबाग, खूंटी, पलामू से राजधानी में आने-जाने वाली किसी भी गाड़ी की जांच नहीं होती. इन सेंटरों पर बिहार से हथियार पहुंचाए जाते हैं. यहां राजधानी जैसी सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं होती है. इसके बाद ऑर्डर के मुताबिक राजधानी से दूसरे जिले और पड़ोसी राज्यों में पिस्टल भेजा जाता है.
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ये इलाके हैं आर्म सप्लायरों के नियमित बाजार
रांची के सुखदेव नगर, हिंदपीढ़ी, लोअर बाजार, अरगोड़ा, सदर और पंडरा क्षेत्र में अपराधी खुलेआम मुंगेरिया हथियार लहरा रहे हैं. हर दूसरे दिन हथियार के साथ एक अपराधी पकड़ा रहा है. बताया जा रहा है कि आम्र्स सप्लायरों ने कॉलेज छात्रों को अपने नेटवर्क का हिस्सा बनाया हुआ है. इन कॉलेज छात्रों से डेढ़ हजार से लेकर दस हजार तक के हथियारों की तस्करी कराई जा रही है.
कारबाइन और एके-47 की भी होती है सप्लाई
लोकल अपराधी मुंगेरी पिस्टल को सस्ता और बेहतर क्वालिटी का मानते हैं. रांची में मुंगेर की देसी पिस्टल के साथ नाइन एमएम की पिस्टल आसानी से उपलब्ध हैं. वहीं ऑर्डर देने पर कारबाइन, इंसास, स्टेनगन, ऑटोमेटिक रायफल तैयार कर उपलब्ध कराई जाती है.
ये है हथियारों की दर
- देसी कट्टा - 1500 से 3000 रुपये
- नाइन एमएम पिस्टल - 8000-12000 रुपये
- कारबाइन - एक लाख रुपये
- एके 47 - 1.80 लाख रुपये
- सिक्सर - 5000-8000 रुपये
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पुलिस क्यों है परेशान
अवैध हथियारों के बल पर राजधानी रांची में आए दिन अपराधी कोहराम मचाए हुए हैं। पिछले दो सप्ताह में राजधानी रांची में एक दर्जन के करीब गोलीबारी की वारदात को अंजाम दिया गया है, जिनमें सबसे प्रमुख जेवर कारोबारी के दो बेटों को दिनदहाड़े गोली मार दी गई थी. ऐसे में आम आदमी की सुरक्षा के लिहाज से पुलिस परेशान है. ऐसे हालातों को देखते रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने कहा कि अवैध हथियारों के बल पर अपराधी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक बात है. इसे देखते हुए पुलिस अब अपराधियों के वैसे सप्लायर जो हथियारों का भंडारण करते हैं उस स्थल की तलाश में है ताकि अवैध हथियारों पर नकेल कसा जा सके.
गैंगवार की भी आशंका
एक तो अपराधी लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, दूसरी तरफ राजधानी में ऐसे अपराधिक गिरोह भी हैं जो राजधानी में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए दूसरे गिरोहों से टक्कर लेने की तैयारी में है. एक-दूसरे पर वर्चस्व कायम करने के लिए भी गिरोह हथियार जमा कर रहे हैं. हालांकि डीआईजी अमोल होमकर ने बताया कि पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है. पुलिस किसी भी कीमत पर राजधानी में गैंगवार नहीं होने देगी.