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कोरोना वायरस के कारण संघर्ष के दौर से गुजर रही कंपनियां, टाटा संस के चेयरमैन ने भविष्य के लिए नगदी बचाकर रखने का दिया आदेश

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Published : Apr 11, 2020, 12:14 AM IST

कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में चल रहे 14 अप्रैल तक के 21 दिनों के लॉकडाउन से अधिकांश कंपनियों में काम बंद पड़ा है और पूरे देश में व्यावसायिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद ऑपरेशन शुरू करने को लेकर कंपनियों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है.

Tata sans chairman ordered to save cash for future
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन

रांची: कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन का असर सभी क्षेत्रों पर पड़ा है. टाटा समूह भी इससे अछूता नहीं बचा है. इसका उल्लेख टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने स्वयं एक अंग्रेजी अखबार को दिए टेलिफोनिक इंटरव्यू में किया है.

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सभी कंपनियों को आने वाले संकटों से निपटने के लिए लिक्विडिटी (नगदी) को बचाकर रखने का आदेश दिया है. करीब 113 बिलियन के टाटा समूह के चेयरमैन ने समूह के सारे कंपनियों के प्रमुखों, एमडी और सीइओ को कहा है कि सभी पूंजीगत खर्चे को तत्काल रोक दें और तीन से छह माह तक के लिए एक कार्ययोजना बनायें ताकि संकट से कैसे निबटा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: सीएम ने माना लॉकडाउन के बाद चौतरफा घिर सकता है झारखंड, केंद्र के अलावा और कोई उम्मीद नहीं

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-2021 चुनौतियों से भरा है, जिस कारण नगदी को बचाकर रखना जरूरी है. इसके तहत सभी कंपनियों के सीइओ को कहा गया है कि कंपनी में डिजिटलाइजेशन की व्यवस्था को सुचारू रुप से लागू किया जाये.उन्होंने यह आशंका जतायी कि इस बीमारी के कारण भारत के जीडीपी में काफी ज्यादा गिरावट हो सकती है, जो 250 बिलियन डॉलर संभावित है. चंद्रशेखरन ने कहा कि कोरोना वायरस के पहले से ही अर्थव्यवस्था काफी घाटे में चल रही थी. छोटे और मंझोले स्तर के उद्योगों को बचाने के लिए अब सपोर्ट की जरूरत होगी. कंस्ट्रकशन, ऑटोमोबाइल और लॉजिस्टिक के क्षेत्र में फिर से लोगों को काम मिल सके, यह सुनिश्चित कराना भी एक चुनौती होगी.

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टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि कोरोना वायरस के संकट में टाटा समूह देश के साथ खड़ा है. भारत सरकार को टाटा समूह ने पहले ही कहा है कि पीपीइ (स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जरूरी उपकरण) को उपलब्ध कराने में मदद करेगा जबकि वेंटिलेटरों को बनाने में भी टाटा समूह काफी तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की जहां तक बात है तो पैसेंजर कार और व्यवसायिक वाहनों का बाजार पहले से ही काफी मंदी से गुजर रहा था और अभी कोविड-19 के आने के बाद हालात और खराब हो रहे हैं

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा समूह 20 हजार करोड़ रुपये अपने समूह की कंपनियों के विकास में तीन साल में लगा चुकी है. हाल के वर्षों में टाइटन, ट्रेंट, इंडियन होटल कंपनी और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज कंपनी जैसी कंपनियां काफी बेहतर काम की है. जबकि टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा पावर जैसी फ्लैगशिप कंपनियां काफी संघर्ष के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अब कोरोना के पहले और कोरोना के बाद के हालात की समीक्षा होगी.

रांची: कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन का असर सभी क्षेत्रों पर पड़ा है. टाटा समूह भी इससे अछूता नहीं बचा है. इसका उल्लेख टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने स्वयं एक अंग्रेजी अखबार को दिए टेलिफोनिक इंटरव्यू में किया है.

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सभी कंपनियों को आने वाले संकटों से निपटने के लिए लिक्विडिटी (नगदी) को बचाकर रखने का आदेश दिया है. करीब 113 बिलियन के टाटा समूह के चेयरमैन ने समूह के सारे कंपनियों के प्रमुखों, एमडी और सीइओ को कहा है कि सभी पूंजीगत खर्चे को तत्काल रोक दें और तीन से छह माह तक के लिए एक कार्ययोजना बनायें ताकि संकट से कैसे निबटा जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-2021 चुनौतियों से भरा है, जिस कारण नगदी को बचाकर रखना जरूरी है. इसके तहत सभी कंपनियों के सीइओ को कहा गया है कि कंपनी में डिजिटलाइजेशन की व्यवस्था को सुचारू रुप से लागू किया जाये.उन्होंने यह आशंका जतायी कि इस बीमारी के कारण भारत के जीडीपी में काफी ज्यादा गिरावट हो सकती है, जो 250 बिलियन डॉलर संभावित है. चंद्रशेखरन ने कहा कि कोरोना वायरस के पहले से ही अर्थव्यवस्था काफी घाटे में चल रही थी. छोटे और मंझोले स्तर के उद्योगों को बचाने के लिए अब सपोर्ट की जरूरत होगी. कंस्ट्रकशन, ऑटोमोबाइल और लॉजिस्टिक के क्षेत्र में फिर से लोगों को काम मिल सके, यह सुनिश्चित कराना भी एक चुनौती होगी.

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टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि कोरोना वायरस के संकट में टाटा समूह देश के साथ खड़ा है. भारत सरकार को टाटा समूह ने पहले ही कहा है कि पीपीइ (स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जरूरी उपकरण) को उपलब्ध कराने में मदद करेगा जबकि वेंटिलेटरों को बनाने में भी टाटा समूह काफी तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की जहां तक बात है तो पैसेंजर कार और व्यवसायिक वाहनों का बाजार पहले से ही काफी मंदी से गुजर रहा था और अभी कोविड-19 के आने के बाद हालात और खराब हो रहे हैं

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा समूह 20 हजार करोड़ रुपये अपने समूह की कंपनियों के विकास में तीन साल में लगा चुकी है. हाल के वर्षों में टाइटन, ट्रेंट, इंडियन होटल कंपनी और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज कंपनी जैसी कंपनियां काफी बेहतर काम की है. जबकि टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा पावर जैसी फ्लैगशिप कंपनियां काफी संघर्ष के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अब कोरोना के पहले और कोरोना के बाद के हालात की समीक्षा होगी.

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