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धोखेबाजी और फरेब की मिसाल है सुभाष मुंडा हत्याकांड, जिसपर किया सबसे ज्यादा भरोसा उसी ने करवाई हत्या, जानिए क्या रही वजह - Jharkhand news

माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या धोखेबाजी और फरेब का सटीक उदाहरण है. सुभाष मुंडा ने जिसपर सबसे अधिक भरोसा किया. उसी ने उसकी जान ले ली.

Subhash Munda Mundas trusted friend Vinod
Subhash Munda Mundas trusted friend Vinod
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Published : Aug 4, 2023, 7:00 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 7:53 PM IST

रांची: माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या के बाद पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश था, हत्याकांड के बाद पुलिस पर कई आरोप भी लगाए गए, लेकिन पुलिस ने जब इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाया तो यह सामने आया कि सुभाष मुंडा के सबसे विश्वासपात्र ने ही उनकी हत्या की साजिश रची थी. अब ऐसे में भला कौन सुभाष मुंडा की हिफाजत कर पाता. सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में धोखेबाजी और फरेब का जीता जागता उदाहरण है.

ये भी पढ़ें: जमीन कारोबार के वर्चस्व को लेकर की गई माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या, मुख्य साजिशकर्ता सहित तीन गिरफ्तार

जिसके नाम से सब किया उसी ने मरवा डाला: माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में फरेब और दगाबाजी की एक सनसनीखेज कहानी है. जमीन के कारोबार में तेजी से उभरते सुभाष मुंडा के पास पॉलिटिकल सपोर्ट के साथ-साथ इलाके के लोगों का भी साथ था. सुभाष मुंडा के साथ रांची के रातू इलाके के रहने वाले दो भाई विनोद और बसंत पार्टनर के साथ साथ सबसे भरोसेमंद बन कर उनके कारोबार को संभाल रहे थे. सुभाष मुंडा जेनरल और आदिवासी दोनों ही तरह के जमीनों का कारोबार किया करते थे. सामान्य बंदोवस्त की जमीन जो भी सुभाष खरीदते थे वह सभी विनोद और बसंत के नाम पर ही रजिस्ट्री करवाई जाती थी. विनोद पर सुभाष को इतना भरोसा था कि 10 करोड़ से ज्यादा की जमीन उसके नाम पर खरीदी थी.

वहीं दूसरी तरफ नगड़ी इलाके के ही एक और जमीन कारोबारी छोटू खलखो भी जमीन कारोबार में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा था. लेकिन सुभाष मंडा के प्रभाव की वजह से वह हर जमीन के डील में फेल हो जा रहा था. सुभाष मुंडा की वजह से उसका करोड़ों के नुकसान हो चुका था. छोटू सुभाष मुंडा को लेकर तिलमिलाया हुआ था. जिसके बाद उसने सुभाष के सबसे खास विनोद को अपने पाले में मिलाकर सुभाष की हत्या की साजिश रच डाली. विनोद को भरोसा दिलाया कि सुभाष ने जो जमीन खरीदी है उसमे से अधिकांश उसके नाम पर है. अगर सुभाष की हत्या कर दी जाती है, तो वह पूरी जमीन उसकी हो जाएगी. विनोद छोटू की बातों से सहमत हुआ और उसके बाद रच दी गई सुभाष मुंडा के हत्या की साजिश.

लोकेशन देकर, हत्या के 15 मीनट पहले निकल गया विनोद: छोटू खलखो ने विनोद के साथ मिलकर सुभाष मुंडा की हत्या की साजिश रच डाली. हत्या के साजिश को अंजाम देने के लिए कुख्यात अपराधी बबलू पासवान को 15 लाख रुपये की सुपारी दी गई. तय हुआ कि बबलू पासवान अपने दो शूटरों के साथ सुभाष महतो की हत्या उसके कार्यालय में ही अंजाम देगा. साजिश के तहत विनोद 27 जुलाई की रात सुभाष मुंडा के साथ उसके कार्यालय में ही लगातार बैठा रहा. उस दौरान बसंत भी वहीं मौजूद था. इसी बीच जब विनोद ने देखा कि कार्यालय में भीड़ कम हो गई है, तो उसने हत्यारों को फोन कर सुभाष का काम तमाम करने की बात कह दी. हत्यारों के पहुंचने से ठीक 15 मिनट पहले विनोद सुभाष मुंडा के कार्यालय से बाहर निकल गया. उसके जाने के थोड़ी ही देर बाद बाइक सवार तीन अपराधी जिसमें बबलू पासवान भी शामिल था, सुभाष के कार्यालय पहुंचते हैं और ताबड़तोड़ 7 गोलियां मार देते हैं. गोली मारने के बाद तीनों ही अपराधी मौके से फरार हो जाते हैं वहीं सुभाष मुंडा को अस्पताल ले जाया जाता है लेकिन डॉक्टर उन्हें मृत घोषित कर देते हैं.

सीसीटीवी में दिखी थी विनोद कि संदिग्ध गतिविधि: सुभाष मुंडा की हत्या की साजिश का खुलासा करने के लिए रांची पुलिस लगातार प्रयास कर रही थी. इस दौरान पुलिस ने 27 जुलाई का सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो सुभाष मंडल कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा था. 27 जुलाई को विनोद बहुत ज्यादा परेशान था. वह लगातार कार्यालय से बाहर निकल रहा था और अंदर जा रहा था. वहीं सीसीटीवी फुटेज में यह भी दिखा था कि वह हत्यारों के आने से ठीक 15 मिनट पहले वहां से निकल गया था, जबकि वह देर रात तक कार्यालय में रुकता था.

जिसके बाद पुलिस ने विनोद को उठाया और जब उससे कड़ाई से पूछताछ की तब सारी कहानी निकलकर सामने आ गई. विनोद का भाई बसंत भी पुलिस के शक के दायरे में है, हालांकि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे उस पर हत्याकांड में शामिल होने की प्रमाणिकता साबित हो.

रांची: माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या के बाद पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश था, हत्याकांड के बाद पुलिस पर कई आरोप भी लगाए गए, लेकिन पुलिस ने जब इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाया तो यह सामने आया कि सुभाष मुंडा के सबसे विश्वासपात्र ने ही उनकी हत्या की साजिश रची थी. अब ऐसे में भला कौन सुभाष मुंडा की हिफाजत कर पाता. सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में धोखेबाजी और फरेब का जीता जागता उदाहरण है.

ये भी पढ़ें: जमीन कारोबार के वर्चस्व को लेकर की गई माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या, मुख्य साजिशकर्ता सहित तीन गिरफ्तार

जिसके नाम से सब किया उसी ने मरवा डाला: माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में फरेब और दगाबाजी की एक सनसनीखेज कहानी है. जमीन के कारोबार में तेजी से उभरते सुभाष मुंडा के पास पॉलिटिकल सपोर्ट के साथ-साथ इलाके के लोगों का भी साथ था. सुभाष मुंडा के साथ रांची के रातू इलाके के रहने वाले दो भाई विनोद और बसंत पार्टनर के साथ साथ सबसे भरोसेमंद बन कर उनके कारोबार को संभाल रहे थे. सुभाष मुंडा जेनरल और आदिवासी दोनों ही तरह के जमीनों का कारोबार किया करते थे. सामान्य बंदोवस्त की जमीन जो भी सुभाष खरीदते थे वह सभी विनोद और बसंत के नाम पर ही रजिस्ट्री करवाई जाती थी. विनोद पर सुभाष को इतना भरोसा था कि 10 करोड़ से ज्यादा की जमीन उसके नाम पर खरीदी थी.

वहीं दूसरी तरफ नगड़ी इलाके के ही एक और जमीन कारोबारी छोटू खलखो भी जमीन कारोबार में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा था. लेकिन सुभाष मंडा के प्रभाव की वजह से वह हर जमीन के डील में फेल हो जा रहा था. सुभाष मुंडा की वजह से उसका करोड़ों के नुकसान हो चुका था. छोटू सुभाष मुंडा को लेकर तिलमिलाया हुआ था. जिसके बाद उसने सुभाष के सबसे खास विनोद को अपने पाले में मिलाकर सुभाष की हत्या की साजिश रच डाली. विनोद को भरोसा दिलाया कि सुभाष ने जो जमीन खरीदी है उसमे से अधिकांश उसके नाम पर है. अगर सुभाष की हत्या कर दी जाती है, तो वह पूरी जमीन उसकी हो जाएगी. विनोद छोटू की बातों से सहमत हुआ और उसके बाद रच दी गई सुभाष मुंडा के हत्या की साजिश.

लोकेशन देकर, हत्या के 15 मीनट पहले निकल गया विनोद: छोटू खलखो ने विनोद के साथ मिलकर सुभाष मुंडा की हत्या की साजिश रच डाली. हत्या के साजिश को अंजाम देने के लिए कुख्यात अपराधी बबलू पासवान को 15 लाख रुपये की सुपारी दी गई. तय हुआ कि बबलू पासवान अपने दो शूटरों के साथ सुभाष महतो की हत्या उसके कार्यालय में ही अंजाम देगा. साजिश के तहत विनोद 27 जुलाई की रात सुभाष मुंडा के साथ उसके कार्यालय में ही लगातार बैठा रहा. उस दौरान बसंत भी वहीं मौजूद था. इसी बीच जब विनोद ने देखा कि कार्यालय में भीड़ कम हो गई है, तो उसने हत्यारों को फोन कर सुभाष का काम तमाम करने की बात कह दी. हत्यारों के पहुंचने से ठीक 15 मिनट पहले विनोद सुभाष मुंडा के कार्यालय से बाहर निकल गया. उसके जाने के थोड़ी ही देर बाद बाइक सवार तीन अपराधी जिसमें बबलू पासवान भी शामिल था, सुभाष के कार्यालय पहुंचते हैं और ताबड़तोड़ 7 गोलियां मार देते हैं. गोली मारने के बाद तीनों ही अपराधी मौके से फरार हो जाते हैं वहीं सुभाष मुंडा को अस्पताल ले जाया जाता है लेकिन डॉक्टर उन्हें मृत घोषित कर देते हैं.

सीसीटीवी में दिखी थी विनोद कि संदिग्ध गतिविधि: सुभाष मुंडा की हत्या की साजिश का खुलासा करने के लिए रांची पुलिस लगातार प्रयास कर रही थी. इस दौरान पुलिस ने 27 जुलाई का सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो सुभाष मंडल कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा था. 27 जुलाई को विनोद बहुत ज्यादा परेशान था. वह लगातार कार्यालय से बाहर निकल रहा था और अंदर जा रहा था. वहीं सीसीटीवी फुटेज में यह भी दिखा था कि वह हत्यारों के आने से ठीक 15 मिनट पहले वहां से निकल गया था, जबकि वह देर रात तक कार्यालय में रुकता था.

जिसके बाद पुलिस ने विनोद को उठाया और जब उससे कड़ाई से पूछताछ की तब सारी कहानी निकलकर सामने आ गई. विनोद का भाई बसंत भी पुलिस के शक के दायरे में है, हालांकि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे उस पर हत्याकांड में शामिल होने की प्रमाणिकता साबित हो.

Last Updated : Aug 4, 2023, 7:53 PM IST
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