रांची: झारखंड में नियोजन नीति को लेकर अड़चनें कम होती नहीं दिख रही है. वर्तमान में यह चर्चा है कि राज्य सरकार वर्ष 2016 वाले नियोजन नीति के प्रस्ताव को स्वीकृति दे सकती है. जिस प्रकार से पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऑडियो कॉल सर्वे कराया, जिसमें करीब लाखों विद्यार्थियों से राय ली गयी कि वो कैसा नियोजन नीति चाहते हैं.
नियोजन नीति को लेकर छात्र नेता मनोज यादव बताते हैं कि जिस प्रकार से सरकार नियोजन नीति पर निर्णय नहीं ले पा रही है, इससे छात्रों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. छात्रों का उम्र बिता जा रहा है और उन्हें सिर्फ झुनझुना दिखाकर सरकार हमें ठग रही है. उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि राज्य सरकार हर बार यही कहती है कि हम नयी नियोजन नीति लाएंगे. लेकिन सवाल यह उठता है कि नियोजन नीति को रद्द क्यों किया गया.
छात्र नेता मनोज यादव ने कहा कि सरकार को उनकी तरफ से यही सुझाव है कि अगर सरकार को नियोजन नीति लाना है तो उसमें सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर विचार किया जाए जिन मुद्दों के कारण नियोजन नीति रद्द हुई थी. उन्हीं मुद्दों में सुधार किया जाए, जैसे जनरल जाति के स्थानीय लोगों को राहत दी जाए. वहीं भाषा के चयन में हिंदी को भी जोड़ा जाए क्योंकि उर्दू को भाषा में जोड़ा गया है तो फिर हिंदी को क्यों हटाया गया.
वहीं छात्र नेता देवेंद्र महतो बताते हैं कि 2016 वाली अगर नियोजन नीति सरकार लाती है तो आखिर इस राज्य का निर्माण फिर क्यों किया गया था. छात्र नेता देवेंद्र महतो बताते हैं कि नियोजन नीति को जान-बूझकर रद्द किया गया है. सरकार में बैठे लोगों की मंशा है कि झारखंडियों को नौकरी नहीं दी जाए. नियोजन नीति की वजह से आज झारखंड के छात्र हताश निराश और परेशान हो रहे हैं, वो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
आंदोलन की तैयारी में छात्रः छात्र समुदाय ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रामगढ़ उपचुनाव में कहते हैं कि जो 1932 का खतियान लेकर आएगा वही झारखंड में राज करेगा और दूसरी तरफ 2016 की नियोजन नीति की सिफारिश करते हैं. इस तरह की सियासी बातों से आम लोग और राज्य के युवा परेशान हैं. उन्होंने एक स्वर में कहा कि अगर 2016 वाली नियोजन नीति सरकार लाती है तो आने वाले समय में सभी छात्र एक बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे.
सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे छात्र रंजन कुमार भोगता बताते हैं कि वह कई वर्षों से तैयारी कर रहे हैं अगर 2016 वाली नियोजन नीति सरकार लाती है तो वो इसका विरोध करेंगे. उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि स्थानीय नीति और नियोजन नीति झारखंडियों की पहचान होनी चाहिए. जिस प्रकार दूसरे राज्यों में नियोजन नीति बनी हुई है उसी प्रकार से झारखंड में आखिर क्यों नहीं नियोजन नीति बन पा रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार हम छात्रों को बेवकूफ समझती है लेकिन रामगढ़ चुनाव में युवा बताएंगे कि हमारी क्या ताकत है? हर चुनाव में सरकार रोजगार देने की बात करती है लेकिन रोजगार के नाम पर छात्रों को ठगा जा रहा है. छात्र वीरेंद्र करमाली कहते हैं कि केंद्र की सरकार हो या फिर राज्य की सरकार, सभी हमें ठग रहे हैं. इसीलिए हम किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं करते हैं, हम छात्र नेता के साथ आगे बढ़ेंगे. क्योंकि नियोजन नीति पर निर्णय में देरी को लेकर उनका आक्रोश बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार हमारा भरोसा जीतना चाहती है तो सरकार ऐसी नियोजन नीति बनाएं जो कोर्ट में जाए ही नहीं. छात्र नेताओं ने दुख जताते हुए कहा कि राज्य गठन के 23 साल हो गए लेकिन अभी तक एक नियोजन नीति नहीं बन पायी है. सभी छात्रों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें नौकरी चाहिए व राजनीति करने नहीं आए हैं लेकिन राज्य में सभी छात्र राजनीति के शिकार हो रहे हैं जो आने वाले समय में आंदोलन का बड़ा कारण बनेगा.
बता दें कि आने वाले बजट सत्र के दौरान छात्रों को यह आश्वासन दिया गया है कि सरकार नयी नियोजन नीति लाएगी और ऐसी नियोजन नीति आएगी जिससे झारखंड के युवाओं को सीधा लाभ पहुंचेगा. अब देखने वाली बात कि आने वाले सत्र में सरकार क्या निर्णय लेती है और इस पर छात्रों का क्या कुछ रुख होता है. क्योंकि अब तक झारखंड सरकार की नियोजन नीति का विरोध ही होता आया है.