रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर सत्ताधारी विधायक दल की बैठक हुई. विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत की पूर्व संध्या पर बैठक में सत्र के दौरान विपक्ष के हमले की धार को कुंद करने की रणनीति बनी तो स्थानीय नीति को लेकर भी झामुमो ने साफ कर दिया कि वह अपनी विचारधारा और एजेंडे से पीछे होने वाला नहीं है. ऐसे में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति से जुड़ा सवाल राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से पूछा गया तो इसका जवाब देते देते वह अचानक भोजपुरी में बोलने लगे.
भोजपुरी में बोलने लगे स्वास्थ्य मंत्रीः दरअसल मीडियाकर्मियों ने जब उनसे पूछा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और स्थानीय भाषा को लेकर आपकी सरकार की कई नीतियों से असहमति रही है. ऐसे में फिर एक बार अगर 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पास कराकर राज्यपाल को भेजा जाएगा तब आपका स्टैंड क्या रहेगा. इस सवाल के जवाब में बन्ना गुप्ता ने कहा कि जब यह मुद्दा आएगा तब देखा जाएगा, उन्होंने कहा कि जब लोहा ठंडा होता है तो हथौड़ा नहीं चलाया जाता. इसके बाद वह अचानक भोजपुरी बोलने लगे. उन्होंने कहा कि 'बड़कन के रबड़ी तो सब कोई खिलइन, गरीबवन के सत्तू खिलाई त जानी, अपन अपन घरवा में दीया तो सब कोई जलावे, वनवा में दीया जलाई त जानी'.
दुविधा में कांग्रेस के कई विधायकः मंत्री बन्ना गुप्ता, भोजपुरी में मीडियाकर्मियों के स्थानीय नीति पर पूछे गए सवाल का जवाब देकर निकल गए. वो जमशेदपुर पश्चिम से विधायक हैं. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या वैसे लोगों की है जो मूलरूप से बिहार और खासकर भोजपुरी भाषी क्षेत्र से आते हैं. बन्ना गुप्ता ऐसे अकेले कांग्रेसी नहीं हैं. धनबाद की झरिया विधानसभा सीट से जीती कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी स्थानीय नीति को लेकर अक्सर दुविधा में रहती हैं, उनके क्षेत्र में भी ऐसे वोटरों की बहुलता है, जिनकी जड़ें बिहार से जुड़ी हुई हैं.
मधु कोड़ा और गीता कोड़ा भी चुके हैं विरोधः राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता मधु कोड़ा और उनकी सांसद पत्नी गीता कोड़ा भी 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विरोध कर चुके हैं. उनका कहना है कि कोल्हान इलाके में जमीन का सर्वे सेटलमेंट 1932 में हुआ ही नहीं तब 1932 को आधार बनाना सही नहीं है.
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