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ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कालाबाजारी, कार्रवाई के लिए विशेष टीम का गठन

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Published : Apr 29, 2021, 8:11 PM IST

झारखंड में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और कई जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी हो रही है. इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है. हाई कोर्ट लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है. कोर्ट ने एसएसपी को यह आदेश दिया है कि सभी अस्पतालों में सादे लिबास में पुलिसकर्मियों की टीम तैनाती हो ताकि दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके.

black marketing of oxygen and medicines in ranchi
दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए विशेष टीम का गठन.

रांची: झारखंड में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हो रही है. हर दिन यह खबर सामने आ रही है कि ऑक्सीजन और कई जरूरी दवाइयों को लोग मनमाने रेट पर बेचे जा रहे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है. जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट भी लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. गुरुवार को कोर्ट ने रांची एसएसपी को यह आदेश दिया कि सादे लिबास में सभी अस्पतालों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए ताकि दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ें: झारखंड में कोरोना जीवन रक्षक दवाओं की भारी किल्लत, रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए भटक रहे मरीज

राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटकते लोगों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है. जीवनरक्षक दवाइयों की बोली लगाई जा रही है. बेड के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है. कोरोना संक्रमण से हो रही मौत के बाद परिजनों से अंतिम संस्कार के लिए 20 से 60 हजार रुपये तक मांगे जा रही है. वहीं एंबुलेंस सेवा देने के लिए भी ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है.

बाजार से गायब हो रही दवाइयां

कोरोना के इलाज में कारगर मानी जाने वाली कुछ दवाइयां बाजार से धीरे-धीरे गायब हो रही हैं. इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई है, साथ कई गुना ज्यादा कीमत वसूली जा रही है. रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेबिफ्लू जैसी दवाइयां बाजार से गायब हैं, अब ये ब्लैक में उपलब्ध है. वहीं 1000 से 1500 रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर 2000 से 3500 रुपये में मिल रहा है. कोरोना मरीजों को चिकित्सकों की लिखी गई दवाइयां मेडिकल स्टोर में नहीं मिल रही हैं. बाजार से सेफ्टम 500 एमजी, फेबिफ्लू, फ्लूगार्ड, फेवीवोक, डेक्सामेथसोन फोर एमजी और कोविहोप टेबलेट 400 और 200, पैन-डी, ए टू जेड, डोलो 650 एमजी, ग्लिंक्टस प्लेन जैसी खांसी की आम दवाइयां भी बाजार से गायब हो गई हैं.

बेड दिलाने के नाम पर अवैध वसूली

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में बेड दिलाने के नाम पर मरीज के परिजनों से 30 से 50 हजार रुपये की अवैध वसूली के मामले में बरियातू थाना की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इन तीनों के जरिए इस रैकेट में जुड़े और लोगों के नाम सामने आने की उम्मीद है. पुलिस का मानना है कि तीनों रिम्स प्रबंधन से जुड़े लोगों के साथ सांठगांठ कर यह खेल कर रहे थे, गहनता से इसकी छानबीन चल रही है. रिम्स के ट्रॉमा सेंट्रर में बेड दिलाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था. ऑडियो वायरल होने के बाद सीएम के आदेश पर जांच शुरू की गई थी.

यह भी पढ़ें: झारखंड: कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण नहीं पूरी हो पा रही व्यवस्था, कम पड़ रहे दवा और वेंटिलेटर बेड

कालाबाजारी करने वाले 7 आरोपी गिरफ्तार

कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने में काम आ रही रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी की जा रही है. इस मामले में कार्रवाई करते हुए रांची पुलिस ने बुधवार देर रात राजीव सिंह नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से एक दर्जन से ज्यादा रेमडेसिविर दवा बरामद की गई है. पिछले एक सप्ताह में पुलिस ने कालाबाजारी करने वाले सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

रांची: झारखंड में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हो रही है. हर दिन यह खबर सामने आ रही है कि ऑक्सीजन और कई जरूरी दवाइयों को लोग मनमाने रेट पर बेचे जा रहे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है. जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट भी लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. गुरुवार को कोर्ट ने रांची एसएसपी को यह आदेश दिया कि सादे लिबास में सभी अस्पतालों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए ताकि दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके.

देखें पूरी खबर

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राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटकते लोगों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है. जीवनरक्षक दवाइयों की बोली लगाई जा रही है. बेड के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है. कोरोना संक्रमण से हो रही मौत के बाद परिजनों से अंतिम संस्कार के लिए 20 से 60 हजार रुपये तक मांगे जा रही है. वहीं एंबुलेंस सेवा देने के लिए भी ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है.

बाजार से गायब हो रही दवाइयां

कोरोना के इलाज में कारगर मानी जाने वाली कुछ दवाइयां बाजार से धीरे-धीरे गायब हो रही हैं. इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई है, साथ कई गुना ज्यादा कीमत वसूली जा रही है. रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेबिफ्लू जैसी दवाइयां बाजार से गायब हैं, अब ये ब्लैक में उपलब्ध है. वहीं 1000 से 1500 रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर 2000 से 3500 रुपये में मिल रहा है. कोरोना मरीजों को चिकित्सकों की लिखी गई दवाइयां मेडिकल स्टोर में नहीं मिल रही हैं. बाजार से सेफ्टम 500 एमजी, फेबिफ्लू, फ्लूगार्ड, फेवीवोक, डेक्सामेथसोन फोर एमजी और कोविहोप टेबलेट 400 और 200, पैन-डी, ए टू जेड, डोलो 650 एमजी, ग्लिंक्टस प्लेन जैसी खांसी की आम दवाइयां भी बाजार से गायब हो गई हैं.

बेड दिलाने के नाम पर अवैध वसूली

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में बेड दिलाने के नाम पर मरीज के परिजनों से 30 से 50 हजार रुपये की अवैध वसूली के मामले में बरियातू थाना की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इन तीनों के जरिए इस रैकेट में जुड़े और लोगों के नाम सामने आने की उम्मीद है. पुलिस का मानना है कि तीनों रिम्स प्रबंधन से जुड़े लोगों के साथ सांठगांठ कर यह खेल कर रहे थे, गहनता से इसकी छानबीन चल रही है. रिम्स के ट्रॉमा सेंट्रर में बेड दिलाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था. ऑडियो वायरल होने के बाद सीएम के आदेश पर जांच शुरू की गई थी.

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कालाबाजारी करने वाले 7 आरोपी गिरफ्तार

कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने में काम आ रही रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी की जा रही है. इस मामले में कार्रवाई करते हुए रांची पुलिस ने बुधवार देर रात राजीव सिंह नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से एक दर्जन से ज्यादा रेमडेसिविर दवा बरामद की गई है. पिछले एक सप्ताह में पुलिस ने कालाबाजारी करने वाले सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

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