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झारखंड में पुलिस का हाल: चार साल में 24 प्रमोटी अफसर हुए रिटायर्ड, एक का भी IPS में प्रमोशन नहीं

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Published : Jul 6, 2021, 10:31 PM IST

झारखंड में पुलिस अधिकारियों की भारी कमी है. आईपीएस अधिकारियों (Shortage of IPS Officers) की कमी को लेकर झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने सिविल सेवा के 2020 बैच से 10 आईपीएस अफसरों की मांग की है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रमोशन से भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के पद को भरने का निर्देश दिया है. झारखंड में आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन से भरे जाने वाले कुल 45 पद हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अफसर अब रिटायर्ड हो चुके हैं.

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झारखंड पुलिस मुख्यालय

रांची: झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां आईपीएस अधिकारियों का टोटा है. आलम यह है, कि आईपीएस अधिकारियों की कमी (Shortage of IPS Officers) को लेकर झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने सिविल सेवा के 2020 बैच से 10 आईपीएस अफसरों की मांग की है, लेकिन दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रमोशन से भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के पद को भरने का निर्देश दिया है.

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केंद्र सरकार ने भेजा पत्र
केंद्र सरकार ने इस संबंध में 28 जून को राज्य सरकार को एक पत्र भेजा है. गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है, कि साल 2017 के बाद प्रमोशन के जरिए भरे जाने वाले पदों के लिए सलेक्शन लिस्ट और फिटलिस्ट तैयार की जाए, ताकि राज्य पुलिस सेवा से अफसरों को प्रमोशन दिया जा सके. झारखंड में आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन से भरे जाने वाले कुल 45 पद हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अफसर अब रिटायर्ड हो चुके हैं.

साल 2017 में पूर्व के खाली पदों पर आईपीएस में अधिकारियों की प्रोन्नति

साल 2017 में 9, 2018 में 4, 2019 में 5 आईपीएस रिटायर्ड हुए थे. वहीं साल 2020 में भी छह प्रमोटी आईपीएस अधिकारी रिटायर्ड हुए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखा है, कि साल 2017 से 19 तक की पेंडिंग सलेक्शन लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर बनाई जाए, ताकि पुलिस सेवा के अफसरों को प्रोन्नति दी जा सके. राज्य में जेपीएससी के जरिए बहाल हुए एक भी पुलिस सेवा के अधिकारी को अब तक आईपीएस में प्रोन्नति नहीं मिल पाई है. आखिरी बार साल 2017 में पूर्व के खाली पदों पर आईपीएस में अधिकारियों की प्रोन्नति हुई थी.


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अफसरों की कमी का कैसे पड़ रहा है प्रभाव
आईपीएस अधिकारियों की कमी के कारण अधिकांश बटालियनों की जिम्मेदारी प्रभार देकर चलाई जा रही है. सीआईडी, स्पेशल ब्रांच जैसे अहम संगठनों में भी एसपी के पद खाली हैं. एससीआरबी और एसीबी का काम प्रभार पर देकर चलाया जा रहा है. सीआईडी में वर्तमान में चार पदों हैं, लेकिन यहां सिर्फ एक एसपी कार्यरत हैं, वो भी ट्रेनिंग में हैं. आतंकी गतिविधियों पर मॉनिटरिंग करने वाली एटीएस में एसपी का पद खाली है. माओवादी सूचना जुटाने के लिए काम करने वाले एसआईबी में एसपी का पद भी प्रभार में चलाया जा रहा है.



गृह विभाग में लंबित है फाइल
राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईपीएस में प्रोन्नत करने से जुड़ी फाइल गृह विभाग में लंबित है. वर्तमान में जेपीएससी के दूसरे और तीसरे बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोशन के दायरे में आएंगे, लेकिन अब तक इन अधिकारियों का सीनियर डीएसपी और एएसपी में भी प्रमोशन नहीं हुआ है.

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राज्य सरकार ने लिखा था केंद्र को पत्र
सोमवार को झारखंड सरकार ने राज्य में भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों की कमी को देखते हुए सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित 10 भा.पु.से. के पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग में करने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना अनुमोदन दिया था. सरकार के द्वारा यह तर्क दिया गया था कि, वर्तमान में राज्य में 24 जिलों में से 19 उग्रवाद प्रभावित हैं. पुलिस मुख्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में पूर्व में भा.पु.से. के पदाधिकारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में सुदृढ़ कार्यवाही के लिए सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित भा.पु.से. के कम से कम 10 पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य में की जाए.

पदाधिकारियों की किल्लत

उल्लेखनीय है, कि झारखंड राज्य में भा.पु.से. के स्वीकृत संवर्ग बल 149 के विरुद्ध मात्र 113 पदाधिकारी उपलब्ध हैं, जिनमें से 93 पदाधिकारी सीधी भर्ती के और 20 प्रोन्नति से नियुक्त हैं. इसी प्रकार सीधी भर्ती के पदाधिकारियों का निर्धारित कोटे 104 के विरुद्ध 11 सीधी भर्ती के पदाधिकारियों की कमी है.

रांची: झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां आईपीएस अधिकारियों का टोटा है. आलम यह है, कि आईपीएस अधिकारियों की कमी (Shortage of IPS Officers) को लेकर झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने सिविल सेवा के 2020 बैच से 10 आईपीएस अफसरों की मांग की है, लेकिन दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रमोशन से भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के पद को भरने का निर्देश दिया है.

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केंद्र सरकार ने भेजा पत्र
केंद्र सरकार ने इस संबंध में 28 जून को राज्य सरकार को एक पत्र भेजा है. गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है, कि साल 2017 के बाद प्रमोशन के जरिए भरे जाने वाले पदों के लिए सलेक्शन लिस्ट और फिटलिस्ट तैयार की जाए, ताकि राज्य पुलिस सेवा से अफसरों को प्रमोशन दिया जा सके. झारखंड में आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन से भरे जाने वाले कुल 45 पद हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अफसर अब रिटायर्ड हो चुके हैं.

साल 2017 में पूर्व के खाली पदों पर आईपीएस में अधिकारियों की प्रोन्नति

साल 2017 में 9, 2018 में 4, 2019 में 5 आईपीएस रिटायर्ड हुए थे. वहीं साल 2020 में भी छह प्रमोटी आईपीएस अधिकारी रिटायर्ड हुए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखा है, कि साल 2017 से 19 तक की पेंडिंग सलेक्शन लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर बनाई जाए, ताकि पुलिस सेवा के अफसरों को प्रोन्नति दी जा सके. राज्य में जेपीएससी के जरिए बहाल हुए एक भी पुलिस सेवा के अधिकारी को अब तक आईपीएस में प्रोन्नति नहीं मिल पाई है. आखिरी बार साल 2017 में पूर्व के खाली पदों पर आईपीएस में अधिकारियों की प्रोन्नति हुई थी.


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अफसरों की कमी का कैसे पड़ रहा है प्रभाव
आईपीएस अधिकारियों की कमी के कारण अधिकांश बटालियनों की जिम्मेदारी प्रभार देकर चलाई जा रही है. सीआईडी, स्पेशल ब्रांच जैसे अहम संगठनों में भी एसपी के पद खाली हैं. एससीआरबी और एसीबी का काम प्रभार पर देकर चलाया जा रहा है. सीआईडी में वर्तमान में चार पदों हैं, लेकिन यहां सिर्फ एक एसपी कार्यरत हैं, वो भी ट्रेनिंग में हैं. आतंकी गतिविधियों पर मॉनिटरिंग करने वाली एटीएस में एसपी का पद खाली है. माओवादी सूचना जुटाने के लिए काम करने वाले एसआईबी में एसपी का पद भी प्रभार में चलाया जा रहा है.



गृह विभाग में लंबित है फाइल
राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईपीएस में प्रोन्नत करने से जुड़ी फाइल गृह विभाग में लंबित है. वर्तमान में जेपीएससी के दूसरे और तीसरे बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोशन के दायरे में आएंगे, लेकिन अब तक इन अधिकारियों का सीनियर डीएसपी और एएसपी में भी प्रमोशन नहीं हुआ है.

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राज्य सरकार ने लिखा था केंद्र को पत्र
सोमवार को झारखंड सरकार ने राज्य में भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों की कमी को देखते हुए सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित 10 भा.पु.से. के पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग में करने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना अनुमोदन दिया था. सरकार के द्वारा यह तर्क दिया गया था कि, वर्तमान में राज्य में 24 जिलों में से 19 उग्रवाद प्रभावित हैं. पुलिस मुख्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में पूर्व में भा.पु.से. के पदाधिकारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में सुदृढ़ कार्यवाही के लिए सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित भा.पु.से. के कम से कम 10 पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य में की जाए.

पदाधिकारियों की किल्लत

उल्लेखनीय है, कि झारखंड राज्य में भा.पु.से. के स्वीकृत संवर्ग बल 149 के विरुद्ध मात्र 113 पदाधिकारी उपलब्ध हैं, जिनमें से 93 पदाधिकारी सीधी भर्ती के और 20 प्रोन्नति से नियुक्त हैं. इसी प्रकार सीधी भर्ती के पदाधिकारियों का निर्धारित कोटे 104 के विरुद्ध 11 सीधी भर्ती के पदाधिकारियों की कमी है.

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