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झारखंड में पशुपालन से कैसे समृद्ध होंगे लोग, सरकारी पशु चिकित्सकों की है घोर कमी

झारखंड में सरकारी पशु चिकित्सकों की कमी (shortage of government veterinarians in Jharkhand)है. जिसका खामियाजा यहां के पशुपालकों को उठाना पड़ता है. सरकारी चिकित्सकों की कमी की वजह से झोलाछाप डॉक्टरों और निजी डॉक्टरों की चांदी है.

shortage of government veterinarians in Jharkhand
shortage of government veterinarians in Jharkhand
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Published : Dec 4, 2022, 7:27 AM IST

Updated : Dec 4, 2022, 12:05 PM IST

रांचीः झारखंड में हर किसान और ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग पशुपालन को अपनाकर आय का अपना स्रोत बढ़ाएं इसके लिए सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन योजना न सिर्फ शुरू की है बल्कि इस योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को भी सरकार ने बढ़ा दिया है, लेकिन सवाल यह है कि जब इन पशुओं का इलाज करने वाले सरकारी पशु चिकित्सक ही नहीं रहेंगे(shortage of government veterinarians in Jharkhand) तो पशुपालन कैसे फायदेमंद साबित होगा.

ये भी पढ़ेंः झारखंड में खुलेगा पहला वेटनरी यूनिवर्सिटी, रांची में होगा विश्वविद्यालय का मुख्यालय

झारखंड राज्य पशु चिकित्सक सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ सैमसन संजय टोप्पो के अनुसार नीति आयोग की अनुशंसा है कि हर 5000 कैटल पर 1 पशु चिकित्सक होना जरूरी है, तब जाकर पशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दी जा सकती है लेकिन राज्य के हालात बेहद खराब है. राज्य में जरूरत कम से कम 2600 पशु चिकित्सक की है. जबकि वर्तमान में सरकारी पशु चिकित्सकों की संख्या महज 488 है. जबकि स्वीकृत पद भी जरूरत से काफी कम सिर्फ 798 हैं. ऐसे में जरूरत राज्य में सरकारी पशु चिकित्सकों के स्वीकृत पद को भरने के साथ साथ स्वीकृत पदों को बढ़ाने की भी है.

देखें पूरी खबर
झोलाछाप या फिर महंगे निजी वेटनरी डॉक्टर्स से इलाज कराना पशुपालकों की मजबूरीः चाहे राज्य के गौशाला हो या फिर छोटे छोटे डेयरी चलाने वाले लोग या पशुपालक. जब उनके पशु बीमार होते हैं तो उन्हें न सिर्फ झोला छाप पशु चिकित्सक से इलाज कराने की मजबूरी होती है, बल्कि कई बार महंगी फीस देकर निजी डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. राज्य में ट्रस्ट के माध्यम से चलने वाले कई गौशाला भी निजी डॉक्टरों के भरोसे हैं.


राज्य में 20वें पशु गणना के अनुसार गाय की संख्या एक करोड़ 11 लाख 88 हजार 770 है. जबकि 13 लाख 50 हजार 313 की संख्या में भैंस है. इसी तरह 91 लाख 21 हजार 173 की संख्या बकरियों की है. इसके अलावा भेड़, पेट्स और अन्य जानवरों की संख्या अलग से है. अगर संख्या के हिसाब से देखें तो सिर्फ गाय और भैंस की जितनी संख्या है, उनके लिए ही 26 सौ से अधिक पशु चिकित्सक इस राज्य को चाहिए.

आने वाले दिनों में पशुपालन के क्षेत्र में बदलाव दिखेगाः राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने फोन पर ईटीवी भारत से कहा कि विभाग राज्य में पशुपालन को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. वेटनरी डॉक्टरों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. वहीं मोबाइल पशु चिकित्सा वैन, पेट्स क्लिनिक सहित कई योजनाएं या तो अब धरातल पर उतर गई हैं या उतरने वाली है. हमारा लक्ष्य पशुपालन से खुशहाली लाना है.

रांचीः झारखंड में हर किसान और ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग पशुपालन को अपनाकर आय का अपना स्रोत बढ़ाएं इसके लिए सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन योजना न सिर्फ शुरू की है बल्कि इस योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को भी सरकार ने बढ़ा दिया है, लेकिन सवाल यह है कि जब इन पशुओं का इलाज करने वाले सरकारी पशु चिकित्सक ही नहीं रहेंगे(shortage of government veterinarians in Jharkhand) तो पशुपालन कैसे फायदेमंद साबित होगा.

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झारखंड राज्य पशु चिकित्सक सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ सैमसन संजय टोप्पो के अनुसार नीति आयोग की अनुशंसा है कि हर 5000 कैटल पर 1 पशु चिकित्सक होना जरूरी है, तब जाकर पशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दी जा सकती है लेकिन राज्य के हालात बेहद खराब है. राज्य में जरूरत कम से कम 2600 पशु चिकित्सक की है. जबकि वर्तमान में सरकारी पशु चिकित्सकों की संख्या महज 488 है. जबकि स्वीकृत पद भी जरूरत से काफी कम सिर्फ 798 हैं. ऐसे में जरूरत राज्य में सरकारी पशु चिकित्सकों के स्वीकृत पद को भरने के साथ साथ स्वीकृत पदों को बढ़ाने की भी है.

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झोलाछाप या फिर महंगे निजी वेटनरी डॉक्टर्स से इलाज कराना पशुपालकों की मजबूरीः चाहे राज्य के गौशाला हो या फिर छोटे छोटे डेयरी चलाने वाले लोग या पशुपालक. जब उनके पशु बीमार होते हैं तो उन्हें न सिर्फ झोला छाप पशु चिकित्सक से इलाज कराने की मजबूरी होती है, बल्कि कई बार महंगी फीस देकर निजी डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. राज्य में ट्रस्ट के माध्यम से चलने वाले कई गौशाला भी निजी डॉक्टरों के भरोसे हैं.


राज्य में 20वें पशु गणना के अनुसार गाय की संख्या एक करोड़ 11 लाख 88 हजार 770 है. जबकि 13 लाख 50 हजार 313 की संख्या में भैंस है. इसी तरह 91 लाख 21 हजार 173 की संख्या बकरियों की है. इसके अलावा भेड़, पेट्स और अन्य जानवरों की संख्या अलग से है. अगर संख्या के हिसाब से देखें तो सिर्फ गाय और भैंस की जितनी संख्या है, उनके लिए ही 26 सौ से अधिक पशु चिकित्सक इस राज्य को चाहिए.

आने वाले दिनों में पशुपालन के क्षेत्र में बदलाव दिखेगाः राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने फोन पर ईटीवी भारत से कहा कि विभाग राज्य में पशुपालन को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. वेटनरी डॉक्टरों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. वहीं मोबाइल पशु चिकित्सा वैन, पेट्स क्लिनिक सहित कई योजनाएं या तो अब धरातल पर उतर गई हैं या उतरने वाली है. हमारा लक्ष्य पशुपालन से खुशहाली लाना है.

Last Updated : Dec 4, 2022, 12:05 PM IST
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