रांची: राजधानी में लगातार बढ़ रही गर्मी की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं. जिसको लेकर राजधानी के सभी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. रांची सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक है. गर्मी की वजह से गायनी, मेडिसिन, पेडियाट्रिक, ऑर्थो और इमरजेंसी में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. लेकिन दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मी एवं चिकित्सकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी से मरीजों को परेशानी हो रही है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड में तेजी से बढ़ रही किडनी संक्रमित मरीजों की संख्या, डॉक्टरों की कमी के चलते हो रही भारी परेशानी
राजधानी में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की वजह से मरीजों को इलाज कराने में काफी परेशानी हो रही है. सदर अस्पताल की बात करें तो यहां मौजूद बेड के अनुसार करीब 150 चिकित्सकों की आवश्यकता है. लेकिन वर्तमान में पूरे सदर अस्पताल में मात्र 65 से 70 चिकित्सक काम कर रहे हैं. इसी तरह पारा मेडिकल स्टाफ, एएनएम, जीएनएम, वार्ड अटेंडेंट, सफाईकर्मी, ट्रॉली मैन और ड्रेसिंग करने वाले स्टाफ की भी अस्पताल में घोर कमी है.
ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची सदर अस्पताल जाकर जायजा लिया तो देखा कि गायनी विभाग में मरीजों की संख्या इतनी है कि वह लाइन लगाकर खड़ी हैं. वहीं कई मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या कम होने के कारण मरीजों को इलाज कराने के लिए लंबा इंतजार करना मजबूरी है. रातू रोड और एयरपोर्ट के पास की बस्ती से मरीज का इलाज कराने पहुंचे परिजनों ने कहा कि चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से वो बाहर इंतजार कर रहे हैं. अगर चिकित्सकों की पर्याप्त संख्या होती तो आज यहां आने वाले मरीजों को समय पर इलाज मिलता.
वहीं इटकी से आए मरीज के परिजन अतीकउर रहमान ने बताया कि सदर अस्पताल और किसी भी सरकारी अस्पताल में गरीब मरीज पहुंचते हैं. क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते और वह उम्मीद लगा कर आते हैं कि बिना पैसे के उनका बेहतर इलाज हो पाएगा. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण गरीब मरीजों के लिए सदर अस्पताल में पर्याप्त संसाधन नहीं है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सभी मरीजों ने एक स्वर में कहा कि वह सरकार से अपील करते हैं कि जल्द से जल्द डॉक्टरों के रिक्त जगह को भरा जाए. जिससे सदर अस्पताल एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में आने वाले गरीब मरीजों को बेहतर इलाज समय पर मिल सके.
इसे भी पढ़ें- झारखंड में डॉक्टरों की कमी, क्योंकि हमारी नीतियों में ही कमी है: स्वास्थ्य सचिव
दूसरी ओर कई डॉक्टर्स ने कहा कि एक तो अस्पताल में चिकित्सकों की कमी दूसरी और स्वास्थ विभाग के कार्यक्रमों में भी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों को ही समय देना पड़ता है. वो कहते हैं कि टीकाकरण अभियान, यक्ष्मा अभियान, मलेरिया अभियान, कुष्ठ अभियान और नियमित तौर पर लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों में भी डॉक्टरों को ही समय देना पड़ता है. जिस वजह से मरीजों के लिए और भी ज्यादा चिकित्सकों की भारी कमी शुरू हो जाती है.
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को लेकर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह से बात की. उन्होंने यह मानते हुए कहा कि जितने भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की सदर अस्पताल में कमी है, उसे जल्द ही आउटसोर्सिंग और स्टाफ सिलेक्शन एग्जाम के माध्यम से भरा जाएगा. इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को भी मजबूत करने के लिए मानव बल की कमी से पूरा किया जाएगा. रांची सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में ही जब चिकित्सकों की कमी की वजह से गरीब मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो झारखंड में सरकारी अस्पताल के हालात का अंदाजा ही लगाया जा सकता है.