रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो सह पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के आवास के बाहर दिनदहाड़े हुए गैंगवार ने रांची की पुलिसिंग व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया. लेकिन यह आपराधिक घटना कोई पहली बार नहीं हुई है. इस घटना से पहले भी राजधानी के हाई सिक्योरिटी जोन में अपराधियों ने दुस्साहस दिखाते हुए हत्या जैसी वारदातों को अंजाम दिया है. इतना ही नहीं, सीएम आवास के समीप से अपराधियों ने पुलिसकर्मी से राइफल भी छीन ली थी. हैरानी की बात यह है कि जब हाई सिक्योरिटी जोन में बड़ी वारदात होती है तो पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि समय गुजरने के साथ ही वह व्यवस्था और दावे कागजों में सिमट कर रह जाते हैं.
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राजधानी के हाई सिक्योरिटी जोन में अपराधी समय समय पर अपना दुःसाहस दिखाते रहते हैं. लेकिन इन घटनाओं पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस की ओर से किए व्यवस्था नाकाफी ही साबित होती है. वारदात के बाद अक्सर यह देखा जाता है कि सबसे पहले वीआईपी इलाकों से गुजरने वाली सड़कों पर बड़े-बड़े स्पीड ब्रेकर बना दिये जाते हैं. स्पीड ब्रेकर अपराधियों को तो नहीं रोक पाता है. लेकिन आमलोग अंधेरे में गिर कर अपना हाथ मुंह जरूर तोड़वा लेते हैं. हास्यास्पद बात तो यह है कि जब मामला थोड़ा शांत पड़ जाता है तो सड़क से आने जाने वाले माननीयों को भी स्पीड ब्रेकर से दिक्कत होने लगती है. इस स्थिति में स्पीड ब्रेकर हटा दिया जाता है. साल 2018 में रघुवर दास जब मुख्यमंत्री थे, तब सीएम आवास के बाहर सरेशाम एक एसपीओ को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीएम आवास के बाहर हुए हत्या के बाद पुलिस महकमे में खलबली मच गई. इस घटना के बाद सीएम आवास के चारों तरफ स्पीड ब्रेकर बना दिए गए और पुलिस गश्ती बढ़ा दी गई. लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
रांची में वीआईपी इलाके की सुरक्षा: रांची पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार की थी. इस योजना के तहत उस इलाके में एक नियमित चेक पोस्ट बनाया जाना था. चेक पोस्ट में 24 घंटे पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करनी थी. तत्कालीन एसएसपी अनीश गुप्ता ने स्थल चिहिन्त करने की जिम्मेवारी गोंदा थाने को सौंपी. चेक पोस्ट के लिए स्थल चयनित किया गया और विभागीय प्रक्रिया को लेकर फाइल भी बढ़ाया गया. लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी पोस्ट नहीं बन पाया है. इसके साथ ही हाई सिक्योरिटी जोन मोरहाबादी मैदान और कांके रोड की कई गलियों में सीसीटीवी कैमरा लगाना था. लेकिन अब तक एक भी गली के मुहाने पर सीसीटीवी कैमरा नहीं लग सका है.
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रांची पुलिस ने हाई सिक्योरिटी जोन के लिए जो योजनाएं बनाई थी, वह धरातल पर उतर गई होती तो एक बेहतर सुरक्षा का माहौल बनता. लेकिन योजना कागजों में ही सिमटी हुई है. साल 2018 के बाद साल 2022 में फिर हाई सिक्योरिटी जोन में अपराधियों ने दुस्साहस दिखाते हुए जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के आवास के बाहर हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता और जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के घर के बाहर हुई फायरिंग के बाद पुलिस महकमें में खलबली मच गई. पुलिस ने आनन-फानन में मोरहाबादी मैदान में लगने वाले दुकानदारों को हटा दिया गया. अब डीसी ने सीसीटीवी कैमरा लगाने की शर्त पर दुकान खुलने की अनुमति दी है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि सभी चीजों को दुरुस्त किया जा रहा है. भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो. इसको लेकर नई व्यवस्था की जा रही है.
हाई सिक्योरिटी जोन में हुए मुख्य वारदात
- 7 सितंबर 2018 की शाम मुख्यमंत्री आवास के समीप एसपीओ बुधु दास की गोली मारकर हत्या कर दी थी. लेकिन पुलिस अब तक अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है.
- 22 सितंबर 2018 को मुख्यमंत्री आवास के पास चाय पी रहे एक पुलिसकर्मी से अपराधियों ने राइफल छिन लिया. पुलिस ने अपराधियों को पीछा किया तो राइफल फेंक फरार हो गया. लेकिन अपराधी को अब तक पता नहीं किया जा सका है.
- 27 जनवरी 2022 को जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के आवास के समीप हुए गैंगवार में कुख्यात अपराधी की हत्या
रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि हाल के दिनों में राजधानी में क्राइम का पैटर्न बदला है. नए-नए तरीके से अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजधानी की आबादी भी बढ़ी है. लेकिन संसाधन अभी पुराने ही हैं. यही वजह है कि पुलिस के सामने थोड़ी कठिनाइयां हैं. लेकिन पुलिस इन कठिनाइयों के बावजूद राजधानी में बेहतर पुलिसिंग देने की कोशिश कर रही है.