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मंत्री के निर्देश पर भी रांची के स्कूल में अब तक नहीं हुई बिजली की व्यवस्था, जानिए क्या है पूरा मामला

रांची में एक सरकारी स्कूल को बिजली नहीं मुहैया नहीं है. ईटीवी भारत की खबर पर मंत्री के संज्ञान और फोन निर्देश के बाद भी अब तक स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं की गयी है. ये तो आलम है सरकारी तंत्र का कि मंत्री के निर्देश पर भी विभागीय सुस्ती के कारण रांची में स्कूल को बिजली नहीं मिली है.

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रांची
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Published : May 10, 2022, 3:24 PM IST

Updated : May 10, 2022, 3:48 PM IST

रांचीः राजधानी के बीचों-बीच स्थित मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के आवास के ठीक सामने स्थित है, राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूल. इस स्कूल में मूलभूत सुविधाओं में से एक बिजली की व्यवस्था नहीं है. हालांकि मामला विभागीय संज्ञान में है, इस दिशा में निरीक्षण का दौर जारी है. अब तक तीन बार स्कूल का जायजा विभागीय स्तर पर किया जा चुका है. लेकिन विभागीय सुस्ती के कारण इस दिशा में कोई ठोस पहल होता नहीं दिख रहा है.

इसे भी पढ़ें- हाय रे शासन-प्रशासन! मंत्री की नाक के नीचे सरकारी स्कूल का हाल है बेहाल



अंधेर नगरी चौपट राजा इस नाटक मंचन में यह दिखाया गया है कि किस तरह नगर में सब कुछ होते हुए भी राजा कि नासमझी के कारण किस तरह एक नगर चौपट हो जाता है और राजा का भी अंत हो जाता है. इन दिनों झारखंड का कुछ हाल ऐसा ही है. कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के बीचों-बीच स्थित एक स्कूल का जायजा लिया. इस प्राथमिक सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं में से एक बिजली की व्यवस्था तक नहीं है. इसको लेकर मंत्री रामेश्वर उरांव से भी शिकायत की गयी. क्योंकि ये स्कूल मंत्री आवास से सिर्फ 10 कदम की दूरी पर है. इसके बावजूद अब तक यहां बिजली नहीं पहुंची है.

देखें पूरी खबर

इस वजह से बच्चे इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में ही पढ़ने को मजबूर हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्री रामेश्वर उरांव ने संबंधित अधिकारी को भी तत्काल फोन कर इससे अवगत कराया था. इस पर कार्रवाई भी हुई लेकिन कार्रवाई अब तक कागजों में सिमटी हुई है. इस मामले को लेकर जब शिकायत संबंधित शिक्षा पदाधिकारी को मिली तो उन्हें कागजों में ही इस मामले को रफा-दफा कर दिया. इसको लेकर विभागीय जेई से भी संपर्क साधा गया था उन्होंने भी स्कूल का जायजा लिया. स्कूल में ना तो बिजली का तार है और ना ही बिजली पहुंचाने के लिए ही कोई व्यवस्था की गई है.

इसे लेकर कागजी कार्रवाई शुरू हुई एक रिपोर्ट का पुलिंदा भी तैयार हुआ और जो शिक्षा विभाग के पास सुपुर्द किया गया है और इस पर अब तक अमल नहीं किया गया है. बताते चलें कि राज्य सरकार इन दिनों राज्य के स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित करने की कवायद में लगी हुई है. हालांकि यह योजना भी सुस्त गति से चल रहा है. पहले से बने बनाया भवन जर्जर हो रहा है, मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच रही है लेकिन ये तमाम योजनाएं कागजों में ही सिमटकर रहती दिखाई दे रही है.

इस पूरे मामले को लेकर राज्य के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से भी ईटीवी भारत की टीम ने बात की है. उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी उन्हें है. मामला विभाग के भी संज्ञान में दे दिया गया है. किस तरीके से बिजली स्कूल तक पहुंचेगी इसकी पूरी व्यवस्था की जा रही है. अब सवाल उठता है कि जब राज्य सरकार के शिक्षा विभाग राज्य के सभी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने की बात कह रही है. लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी अब तक क्यों नहीं बिजली स्कूल तक पहुंचाई गयी. इससे तो ऐसा ही लगता है कि विभाग और विभाग के अधिकारी सुस्त हैं और उन्हें इन बच्चों की फिक्र नहीं है.

रांचीः राजधानी के बीचों-बीच स्थित मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के आवास के ठीक सामने स्थित है, राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूल. इस स्कूल में मूलभूत सुविधाओं में से एक बिजली की व्यवस्था नहीं है. हालांकि मामला विभागीय संज्ञान में है, इस दिशा में निरीक्षण का दौर जारी है. अब तक तीन बार स्कूल का जायजा विभागीय स्तर पर किया जा चुका है. लेकिन विभागीय सुस्ती के कारण इस दिशा में कोई ठोस पहल होता नहीं दिख रहा है.

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अंधेर नगरी चौपट राजा इस नाटक मंचन में यह दिखाया गया है कि किस तरह नगर में सब कुछ होते हुए भी राजा कि नासमझी के कारण किस तरह एक नगर चौपट हो जाता है और राजा का भी अंत हो जाता है. इन दिनों झारखंड का कुछ हाल ऐसा ही है. कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के बीचों-बीच स्थित एक स्कूल का जायजा लिया. इस प्राथमिक सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं में से एक बिजली की व्यवस्था तक नहीं है. इसको लेकर मंत्री रामेश्वर उरांव से भी शिकायत की गयी. क्योंकि ये स्कूल मंत्री आवास से सिर्फ 10 कदम की दूरी पर है. इसके बावजूद अब तक यहां बिजली नहीं पहुंची है.

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इस वजह से बच्चे इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में ही पढ़ने को मजबूर हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्री रामेश्वर उरांव ने संबंधित अधिकारी को भी तत्काल फोन कर इससे अवगत कराया था. इस पर कार्रवाई भी हुई लेकिन कार्रवाई अब तक कागजों में सिमटी हुई है. इस मामले को लेकर जब शिकायत संबंधित शिक्षा पदाधिकारी को मिली तो उन्हें कागजों में ही इस मामले को रफा-दफा कर दिया. इसको लेकर विभागीय जेई से भी संपर्क साधा गया था उन्होंने भी स्कूल का जायजा लिया. स्कूल में ना तो बिजली का तार है और ना ही बिजली पहुंचाने के लिए ही कोई व्यवस्था की गई है.

इसे लेकर कागजी कार्रवाई शुरू हुई एक रिपोर्ट का पुलिंदा भी तैयार हुआ और जो शिक्षा विभाग के पास सुपुर्द किया गया है और इस पर अब तक अमल नहीं किया गया है. बताते चलें कि राज्य सरकार इन दिनों राज्य के स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित करने की कवायद में लगी हुई है. हालांकि यह योजना भी सुस्त गति से चल रहा है. पहले से बने बनाया भवन जर्जर हो रहा है, मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच रही है लेकिन ये तमाम योजनाएं कागजों में ही सिमटकर रहती दिखाई दे रही है.

इस पूरे मामले को लेकर राज्य के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से भी ईटीवी भारत की टीम ने बात की है. उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी उन्हें है. मामला विभाग के भी संज्ञान में दे दिया गया है. किस तरीके से बिजली स्कूल तक पहुंचेगी इसकी पूरी व्यवस्था की जा रही है. अब सवाल उठता है कि जब राज्य सरकार के शिक्षा विभाग राज्य के सभी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने की बात कह रही है. लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी अब तक क्यों नहीं बिजली स्कूल तक पहुंचाई गयी. इससे तो ऐसा ही लगता है कि विभाग और विभाग के अधिकारी सुस्त हैं और उन्हें इन बच्चों की फिक्र नहीं है.

Last Updated : May 10, 2022, 3:48 PM IST
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