रांचीः सरयू राय झारखंड की राजनीति के मजबूत स्तंभ रहे हैं. बीजेपी के वो कद्दावर नेता और सरकार में मंत्री भी रहे हैं. आज हालात ऐसे हो गए हैं कि अपनी ही पार्टी ने उनसे दूरी बना ली है. सरकार में रहकर सरकार के खिलाफ बोलना शायद उन्हें महंगा पड़ा. जिसके बाद उन्होंने बड़ा कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. वो जमशेदपुर पश्चिम और जमशेदपुर पूर्व दोनों सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
सरयू राय सरकार में मंत्री रहते भी अपनी ही सरकार के खिलाफ बेबाकी से आवाज उठाते रहे. जिसके कारण उनसे पार्टी के कई नेता नाराज चल रहे थे. कई बार ऐसी परिस्थितियां आईं, जिसमें उनका सीधा टकराव सीएम से हुआ. उन्होंने दिल्ली दरबार तक अपनी शिकायत पहुंचायी. कई बार मंत्री पद त्यागने की बात भी कही. जब पहली बार उन्होंने जाहिर की थी, तब ईटीवी भारत से उन्होंने साफ कहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते रहेंगे. चाहे वो सरकार के पक्ष में हो या फिर विपक्ष में. उन्होंने कहा था कि वो नहीं चाहते कि राज्य का तीसरा मुख्यमंत्री जेल जाए.
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इन सब वजहों से ही सरयू राय और सीएम रघुवर दास के बीच तल्खी बढ़ती रही. जिसका नतीजा हुआ कि इसबार उन्हें टिकट नहीं मिला. बीजेपी के 4 लिस्ट जारी होने के बावजूद जब सरयू राय का नाम नहीं आया, तो उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक की. जिसमें यह फैसला हुआ कि वो निर्दलीय ही मैदान में उतरेंगे. सरयू बड़े आक्रमक तेवर में दिखे. उन्होंने कहा जिसकी वजह से उन्हे टिकट नहीं मिली, उसे हराने में वो कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. उनका सीधा निशाना मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर था.
रघुवर सरकार के खिलाफ सरयू राय का चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद सभी विपक्षी पार्टियों ने भी सरयू राय का समर्थन कर दिया है. मुख्यमंत्री को हराने के लिए सरयू राय के साथ सभी विपक्षी पार्टियों ने एड़ी-चोटी एक कर दी है. सरयू राय और मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.