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जमशेदपुर में एसआईटी पर घमासान, सरयू राय-अभय सिंह में इशारों में चल रहा आरोप-प्रत्यारोप - पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर सरयू राय का हमला

शहर की पुलिस ने सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर अवैध रूप से खरीदारी करने के मामले में एसआईटी का गठन किया है. इसके बाद जमशेदपुर में सियासत गर्म है. विधायक सरयू राय और भाजपा नेता अभय सिंह ने यहां जमीन के अवैध कारोबार पर रोक लगाने की मांग करने श्रेय लेने की कोशिश की पर बिना नाम लिए स्थानीय वरीय नेता पर आरोप प्रत्यारोप लगाया.

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और अभय सिंह पर सरयू राय का हमला,
Saryu Rai attacked on former CM Raghuvar Das and Abhay Singh
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Published : Aug 22, 2020, 9:49 PM IST

जमशेदपुर: शहर की पुलिस ने सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर अवैध रूप से खरीदारी करने के मामले में एसआईटी का गठन किया है. इसके बाद जमशेदपुर में सियासत गर्म है. विधायक सरयू राय और भाजपा नेता अभय सिंह ने यहां जमीन के अवैध कारोबार पर रोक लगाने की मांग करने श्रेय लेने की कोशिश की पर बिना नाम लिए स्थानीय वरीय नेता पर आरोप प्रत्यारोप लगाया. पहले अभय सिंह की प्रेस विज्ञप्ति फिर सरयू राय की प्रेस विज्ञप्ति आने से सियासी गलियारे में इसे एक दूसरे पर हमला माना जा रहा है.

शुक्रवार को भाजपा नेता अभय सिंह ने मीडिया को एक विज्ञप्ति जारी कर बिना नाम लिए कहा था कि मानगो और कहई क्षेत्रों मे जमीन की अवैध बिक्री हो रही है, इसमें एक वरीय नेता का हाथ है. उन्होंने डीजीपी और सीएम से जांच की भी मांग की थी. इसके बाद विधायक सरयू राय ने एक ट्वीट कर कहा था कि जमशेदपुर के काशीडीह में टाटा निर्मित एक सार्वजनिक शौचालय होता था, जो अब नहीं दिखता, उसे दबंग पड़ोसी ने अपने मकान में मिला लिया है. यहीं पास में भाजपा नेता का मकान होने से इसे अभय सिंह से जोड़कर देखा जा रहा है.

राय ने लीज नवीकरण समझौता की जानकारी मांगी

मामले को लेकर विधायक ने सरयू राय ने झारखंड सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखकर टाटा लीज नवीनीकरण समझौता 2005 के समय क्षेत्र से बाहर की गई बस्तियों और 2006 में हुए सर्वे की जानकारी मांगी है. विभाग को भेजे गए पत्र के अनुसार सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा नेता अभय सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. विधायक सरयू राय की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार और टाटा स्टील लिमिटेड के बीच 2005 में हुए टाटा लीज नवीकरण समझौते के दौरान एक पृथक अनुसूची के तहत करीब 1 हजार 700 एकड़ लीज भूमि को लीज से बाहर कर दिया गया था.

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लोगों में बढ़ गया था मालिकाना हक मिलने का भरोसा

राय ने कहा है कि इस भूमि पर करीब 86 बस्तियां बस गईं हैं, जिन्हें मालिकाना हक दिलवाने के लिए झारखंड सरकार के तत्कालीन वित्त और नगर विकास मंत्री सह जमशेदपुर के पूर्व विधायक रघुवर दास के नेतृत्व में बस्ती विकास समिति बनाकर आंदोलन किया जा रहा था. इन बस्तियों को टाटा से अलग करने का उद्देश्य ही बताया गया था कि बाद में यह बस्तियां जिस जमीन पर बसी हुई हैं, वह जमीन सरकार की हो जाएगी. इन बस्तियों के टाटा लीज से अलग होने पर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में जश्न मना और जनप्रतिनिधि का अभिनंदन हुआ. इसे एक बड़ी उपलब्धि माना गया. लोगों को अपनी बासगीत जमीन पर मालिकाना हक मिलने का भरोसा बढ़ गया.

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86 बस्तियों का हुआ था सर्वे

विगत दिनों जमशेदपुर की इन बस्तियों को मालिकाना हक के बारे में आपके साथ दो बार मेरी औपचारिक वार्ता हुई है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय कक्ष में भी एक बार इस विषय पर उनलोगों के बीच सार्थक विमर्श हो चुका है. एक बार इन 86 बस्तियों का सर्वे में हुआ था और सर्वे के बहाने जमशेदपुर पूर्वी में जश्न भी मनाया गया था, लेकिन इस बार बस्तियों के मालिकाना हक इन्हें नहीं मिले.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हाल ही के 24 सालों में खास श्रेणी वालों ने धौंस दिखाकर और राजनीतिक संरक्षण पाकर सरकार और टाटा स्टील की महंगी लीज भूमि पर कब्जा कर लिया है. साथ ही अलीशान बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर ली हैं. सरयू राय ने मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि ऐसे लोग मालिकाना हक के प्रति सरकार के संवेदनशील दृष्टिकोण की आड़ में अपना निहित स्वार्थ साधने की साजिश कर रहे हैं. आम लोगों को उनकी बासगीत भूमि पर मालिकाना हक दिलाने की चेष्टा के साथ ही सरकार को ऐसे खास लोगों के षड़यंत्र पर भी नजर रखनी होगी .

जमशेदपुर: शहर की पुलिस ने सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर अवैध रूप से खरीदारी करने के मामले में एसआईटी का गठन किया है. इसके बाद जमशेदपुर में सियासत गर्म है. विधायक सरयू राय और भाजपा नेता अभय सिंह ने यहां जमीन के अवैध कारोबार पर रोक लगाने की मांग करने श्रेय लेने की कोशिश की पर बिना नाम लिए स्थानीय वरीय नेता पर आरोप प्रत्यारोप लगाया. पहले अभय सिंह की प्रेस विज्ञप्ति फिर सरयू राय की प्रेस विज्ञप्ति आने से सियासी गलियारे में इसे एक दूसरे पर हमला माना जा रहा है.

शुक्रवार को भाजपा नेता अभय सिंह ने मीडिया को एक विज्ञप्ति जारी कर बिना नाम लिए कहा था कि मानगो और कहई क्षेत्रों मे जमीन की अवैध बिक्री हो रही है, इसमें एक वरीय नेता का हाथ है. उन्होंने डीजीपी और सीएम से जांच की भी मांग की थी. इसके बाद विधायक सरयू राय ने एक ट्वीट कर कहा था कि जमशेदपुर के काशीडीह में टाटा निर्मित एक सार्वजनिक शौचालय होता था, जो अब नहीं दिखता, उसे दबंग पड़ोसी ने अपने मकान में मिला लिया है. यहीं पास में भाजपा नेता का मकान होने से इसे अभय सिंह से जोड़कर देखा जा रहा है.

राय ने लीज नवीकरण समझौता की जानकारी मांगी

मामले को लेकर विधायक ने सरयू राय ने झारखंड सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखकर टाटा लीज नवीनीकरण समझौता 2005 के समय क्षेत्र से बाहर की गई बस्तियों और 2006 में हुए सर्वे की जानकारी मांगी है. विभाग को भेजे गए पत्र के अनुसार सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा नेता अभय सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. विधायक सरयू राय की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार और टाटा स्टील लिमिटेड के बीच 2005 में हुए टाटा लीज नवीकरण समझौते के दौरान एक पृथक अनुसूची के तहत करीब 1 हजार 700 एकड़ लीज भूमि को लीज से बाहर कर दिया गया था.

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लोगों में बढ़ गया था मालिकाना हक मिलने का भरोसा

राय ने कहा है कि इस भूमि पर करीब 86 बस्तियां बस गईं हैं, जिन्हें मालिकाना हक दिलवाने के लिए झारखंड सरकार के तत्कालीन वित्त और नगर विकास मंत्री सह जमशेदपुर के पूर्व विधायक रघुवर दास के नेतृत्व में बस्ती विकास समिति बनाकर आंदोलन किया जा रहा था. इन बस्तियों को टाटा से अलग करने का उद्देश्य ही बताया गया था कि बाद में यह बस्तियां जिस जमीन पर बसी हुई हैं, वह जमीन सरकार की हो जाएगी. इन बस्तियों के टाटा लीज से अलग होने पर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में जश्न मना और जनप्रतिनिधि का अभिनंदन हुआ. इसे एक बड़ी उपलब्धि माना गया. लोगों को अपनी बासगीत जमीन पर मालिकाना हक मिलने का भरोसा बढ़ गया.

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86 बस्तियों का हुआ था सर्वे

विगत दिनों जमशेदपुर की इन बस्तियों को मालिकाना हक के बारे में आपके साथ दो बार मेरी औपचारिक वार्ता हुई है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय कक्ष में भी एक बार इस विषय पर उनलोगों के बीच सार्थक विमर्श हो चुका है. एक बार इन 86 बस्तियों का सर्वे में हुआ था और सर्वे के बहाने जमशेदपुर पूर्वी में जश्न भी मनाया गया था, लेकिन इस बार बस्तियों के मालिकाना हक इन्हें नहीं मिले.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हाल ही के 24 सालों में खास श्रेणी वालों ने धौंस दिखाकर और राजनीतिक संरक्षण पाकर सरकार और टाटा स्टील की महंगी लीज भूमि पर कब्जा कर लिया है. साथ ही अलीशान बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर ली हैं. सरयू राय ने मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि ऐसे लोग मालिकाना हक के प्रति सरकार के संवेदनशील दृष्टिकोण की आड़ में अपना निहित स्वार्थ साधने की साजिश कर रहे हैं. आम लोगों को उनकी बासगीत भूमि पर मालिकाना हक दिलाने की चेष्टा के साथ ही सरकार को ऐसे खास लोगों के षड़यंत्र पर भी नजर रखनी होगी .

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