रांची: झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई बाघिन की मौत मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व में हुई बाघिन की मौत के असली कारणों को दबाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने नियमों और आदेशों की धज्जियां उड़ाई है. सरयू राय ने विभाग पर आरोप लगाया है कि मौत की असली वजह और तथ्यों पर पर्दा डालने की भी कोशिश की गई है.
विधायक सरयू राय ने एक पुराने सरकारी आदेश का रेफरेंस देते हुए कहा कि फरवरी, 2012 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर झारखंड सरकार के वन विभाग ने एक अधिसूचना निकाली थी. उसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि पीटीआर में बाघ या बाघिन की मौत होने की स्थिति में उसकी जांच विशेषज्ञों की 3 सदस्यीय टीम करेगी, लेकिन बेतला नेशनल पार्क में हुई बाघिन की मौत के बाद इस तरह के किसी भी रूल का पालन नहीं किया गया है.
पीटीआर के अधिकारियों ने बेतला नेशनल पार्क में बाघिन की मौत के बाद जांच टीम के सदस्य डीएस श्रीवास्तव को बताए बिना ही बाघिन के शव को जला दिया था. इसको लेकर सरयू राय ने कहा कि ऐसा करना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के नियमों और निर्देशों का उल्लंघन है. इस मामले में वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए.
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विभाग में पिछले 5 साल से बरती जा रही अनियमितता
विधायक सरयू राय ने आरोप लगाया है कि वन विभाग में पिछले 5 साल से घोर अनियमितता में चल रही है. उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर इस तरह की मनमानी हो रही है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक अपेक्षाकृत जूनियर ऑफिसर को राज्य का तदर्थ पीसीसीएफ बनाने का आदेश भी कर दिया था. वह भी तब जब राज्य में चुनाव आदर्श आचार संहिता लगी थी. साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शीर्ष पद पर जो बहालियां की गई, वह भी एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर किए गए हैं.