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झारखंड में सरना धर्म कोड जल्द लागू होगा: बंधु तिर्की

झारखंड में सरना धर्म कोड को लेकर लगातार घमासान जारी है. आदिवासियों की धार्मिक पहचान से जुड़े इस मुद्दे को लेकर राज्य में सियासत तेज होती जा रही है.मांडर विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासी शब्द को हटाकर सरना शब्द जोड़ना चाहिए.

बंधु तिर्की
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Published : Nov 7, 2020, 6:55 PM IST

Updated : Nov 7, 2020, 7:07 PM IST

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने राजधानी रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन कर सरना धर्म कोड को लेकर वकालत की है. साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि सिर्फ और सिर्फ सरना धर्म कोड को लेकर ही योजना बनाया जाए ना कि आदिवासी धर्म कोड को लेकर विचार करने की जरूरत है क्योंकि सरना धर्म कोड में ही तमाम लोग समाहित होंगे.

देखें पूरी खबर.

प्रेस को संबोधित करते हुए बंधु ने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं और सरना आदिवासी को बांटना चाहते हैं. सरना धर्मावलंबी प्रकृति के पूजक हैं, जो लंबे समय से सरना कोड की मांग करते आ रहे हैं. इसलिए सरना धर्म कोड राज्य सरकार और केंद्र सरकार को लागू करना चाहिए.

सरना धर्म कोड की मांग करने वाले आदिवासी समाज ने विशेष सत्र बुलाने के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था और सरकार की ओर से 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाया भी गया है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि इस विशेष सत्र में सरना धर्म कोड को लेकर क्या कुछ निर्णय आता है. संविधान के अनुसार सरना कोड की मांग तर्क संगत है.

यह भी पढ़ेंः अपहरण के 6 घंटे के भीतर नाबालिग छात्रा बरामद, आरोपी गिरफ्तार, रांची-टाटा रोड पर लगा जाम हटा

लोकसभा चुनाव में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मांग को जायज ठहराया था. सरना कोड अति आवश्यक है. आदिवासी जाति का सूचक है. प्रकृति के पूजक आदिवासी की मांग तर्क संगत है, जिससे आदिवासी की पहचान भी हो सकेगी.

आदिवासी ट्राइबल शब्द से जाति शब्द का बोध होता है. आदिवासी शब्द को हटाकर सरना शब्द जोड़ना चाहिए. राष्ट्रीय स्तर तक नेताओं तक बात पहुंचायी है. राष्ट्रीय नेता को इस पर विचार करना चाहिए. सरना कोड पर ही मुख्यमंत्री को बात करनी चाहिए. ना कि आदिवासी ऑब्लिक सरना कोड पर विचार करने की जरूरत है. सिर्फ सरना कोड की अनुशंसा करनी चाहिए.

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने राजधानी रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन कर सरना धर्म कोड को लेकर वकालत की है. साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि सिर्फ और सिर्फ सरना धर्म कोड को लेकर ही योजना बनाया जाए ना कि आदिवासी धर्म कोड को लेकर विचार करने की जरूरत है क्योंकि सरना धर्म कोड में ही तमाम लोग समाहित होंगे.

देखें पूरी खबर.

प्रेस को संबोधित करते हुए बंधु ने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं और सरना आदिवासी को बांटना चाहते हैं. सरना धर्मावलंबी प्रकृति के पूजक हैं, जो लंबे समय से सरना कोड की मांग करते आ रहे हैं. इसलिए सरना धर्म कोड राज्य सरकार और केंद्र सरकार को लागू करना चाहिए.

सरना धर्म कोड की मांग करने वाले आदिवासी समाज ने विशेष सत्र बुलाने के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था और सरकार की ओर से 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाया भी गया है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि इस विशेष सत्र में सरना धर्म कोड को लेकर क्या कुछ निर्णय आता है. संविधान के अनुसार सरना कोड की मांग तर्क संगत है.

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लोकसभा चुनाव में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मांग को जायज ठहराया था. सरना कोड अति आवश्यक है. आदिवासी जाति का सूचक है. प्रकृति के पूजक आदिवासी की मांग तर्क संगत है, जिससे आदिवासी की पहचान भी हो सकेगी.

आदिवासी ट्राइबल शब्द से जाति शब्द का बोध होता है. आदिवासी शब्द को हटाकर सरना शब्द जोड़ना चाहिए. राष्ट्रीय स्तर तक नेताओं तक बात पहुंचायी है. राष्ट्रीय नेता को इस पर विचार करना चाहिए. सरना कोड पर ही मुख्यमंत्री को बात करनी चाहिए. ना कि आदिवासी ऑब्लिक सरना कोड पर विचार करने की जरूरत है. सिर्फ सरना कोड की अनुशंसा करनी चाहिए.

Last Updated : Nov 7, 2020, 7:07 PM IST
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