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कोरोना इफेक्ट: रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय विभाग में नहीं मना सरहुल उत्सव, 40 साल की परंपरा टूटी

रांची यूनिवर्सिटी में इस बार सरहुल उत्सव नहीं मनाया गया. इस बार कोरोना वायरस की वजह से सरहुल उत्सव के तमाम रैली और शोभायात्रा नहीं निकाली गई. वहीं, लोगों ने इसका समर्थन भी किया.

Sarhul festival was not celebrated in ranchi
रांची में नहीं मनाया गया सरहुल उत्सव
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Published : Mar 27, 2020, 5:02 PM IST

रांची: आरयू के जनजातीय विभाग में प्रत्येक साल सरहुल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना के भय से सरहुल उत्सव की तमाम रैली, जुलूस और शोभायात्रा को रद्द किया गया. वहीं, इसका असर रांची विश्वविद्यालय के 1980 से संचालित इस अखाड़े पर भी पड़ा है. एहतियात के तौर पर इस बार लोगों को एक संदेश इस अखरा के माध्यम से दिया जा रहा है.

रांची में नहीं मनाया गया सरहुल उत्सव
झारखंड समेत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष इसी समय सरहुल उत्सव की धूम रहती थी. लेकिन इस बार कोरोना के भय और इसके प्रकोप के कारण उत्सव भी फीका पड़ गया है. एहतियात के तौर पर पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी लॉकडाउन है और इसे देखते हुए सरहुल उत्सव के दौरान किसी भी तरीके का जुलूस, रैली नहीं निकाली जा रही है.
Sarhul festival was not celebrated in ranchi
रांची में नहीं मनाया गया सरहुल उत्सव

रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग जो कि 1980 में स्थापित किया गया था. उसी वक्त से प्रत्येक वर्ष यहां स्थित अखरा में सरहुल महोत्सव की धूम देखने को मिलती थी. लेकिन इस वर्ष यह परंपरा भी टूट गई.

ये भी पढ़ी- सरहुल में पाहन ने बांटे सखुआ के पत्ते से बने मास्क, कोरोना से बचाव के लिए की प्रकृति पूजा

गौरतलब है कि इस अखाड़े में राज्यपाल के अलावा कई गणमान्य शामिल होते आए हैं. इस वर्ष भी 4 महीने पहले से ही इसकी तैयारी थी, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए देश के साथ-साथ राज्य में भी लॉकडाउन है और लोग एहतियात के तौर पर घर से नहीं निकल रहे हैं. इस लॉकडाउन का पालन करते हुए सरहुल से जुड़े समितियों ने भी किसी भी तरीके से आयोजन करने से मना किया है और तमाम समाज के लोगों को निर्देशित भी किया है और इसका नजारा रांची विश्वविद्यालय के इस आदिवासी अखरा में देखने को मिला.

रांची: आरयू के जनजातीय विभाग में प्रत्येक साल सरहुल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना के भय से सरहुल उत्सव की तमाम रैली, जुलूस और शोभायात्रा को रद्द किया गया. वहीं, इसका असर रांची विश्वविद्यालय के 1980 से संचालित इस अखाड़े पर भी पड़ा है. एहतियात के तौर पर इस बार लोगों को एक संदेश इस अखरा के माध्यम से दिया जा रहा है.

रांची में नहीं मनाया गया सरहुल उत्सव
झारखंड समेत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष इसी समय सरहुल उत्सव की धूम रहती थी. लेकिन इस बार कोरोना के भय और इसके प्रकोप के कारण उत्सव भी फीका पड़ गया है. एहतियात के तौर पर पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी लॉकडाउन है और इसे देखते हुए सरहुल उत्सव के दौरान किसी भी तरीके का जुलूस, रैली नहीं निकाली जा रही है.
Sarhul festival was not celebrated in ranchi
रांची में नहीं मनाया गया सरहुल उत्सव

रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग जो कि 1980 में स्थापित किया गया था. उसी वक्त से प्रत्येक वर्ष यहां स्थित अखरा में सरहुल महोत्सव की धूम देखने को मिलती थी. लेकिन इस वर्ष यह परंपरा भी टूट गई.

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गौरतलब है कि इस अखाड़े में राज्यपाल के अलावा कई गणमान्य शामिल होते आए हैं. इस वर्ष भी 4 महीने पहले से ही इसकी तैयारी थी, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए देश के साथ-साथ राज्य में भी लॉकडाउन है और लोग एहतियात के तौर पर घर से नहीं निकल रहे हैं. इस लॉकडाउन का पालन करते हुए सरहुल से जुड़े समितियों ने भी किसी भी तरीके से आयोजन करने से मना किया है और तमाम समाज के लोगों को निर्देशित भी किया है और इसका नजारा रांची विश्वविद्यालय के इस आदिवासी अखरा में देखने को मिला.

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