रांची: झारखंड के अलग-अलग जिलों, प्रखंडों और पंचायतों के पशुपालक पशुओं में हो रही लंपी स्किन डिजीज जैसी बीमारी से परेशान हैं. लेकिन, फिर भी झारखंड के सरकारी आंकड़ों में राज्य में एक भी लंपी स्किन डिजीज (LSD) से ग्रसित पशु नहीं हैं. पशुपालन विभाग की ओर से अभी तक छह जिलों के संदिग्ध पशुओं से लिए गए 95 सैंपल को जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी डिजीज, भोपाल भेजा गया है. जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है. जब तक वहां से रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आएगी, तब तक झारखंड लंपी वायरस से मुक्त माना जाएगा.
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एक ओर जहां राज्य के पशुपालक पशुओं में हो रही लंपी स्किन डिजीज जैसी बीमारी से परेशान हैं. वहीं पशुपालन विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि संदिग्ध पशुओं का लिया गया सैंपल मुख्यालय नहीं भेजा जाता. ताजा मामला रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर चान्हो प्रखंड का है. जहां के कोको रघुनाथपुर गांव से लिया गया सैंपल करीब 40 दिनों बाद भी कांके के पशु स्वास्थ्य उत्पादन संस्थान नहीं पहुंचा है. जिस कारण इसे जांच के लिए नहीं भेजा जा सका. पशु स्वास्थ्य उत्पादन संस्थान से ही इन पशुओं का सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी डिजीज, भोपाल भेजा जाता है.
अधिकारी नहीं दे पाए जवाब: रांची के पशुपालन विभाग की घोर लापरवाही को लेकर ईटीवी भारत ने लंपी स्किन डिजीज के लिए पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के नोडल अधिकारी डॉ मृत्युंजय कुमार से बात की. जिसके बाद वे चान्हो के भ्रमणशील पशुपालन पदाधिकारी से बात करने लगे. वहीं जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने कहा कि जल्द ही बड़ी संख्या में लंपी संदिग्ध पशुओं का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि संभव है कि सैंपल जम गया होगा. लेकिन, दोबारा सैंपल लेने में इतना लंबा वक्त क्यों लग गया, इसका जवाब उनके पास भी नहीं है.
बिना जांच के कैसे मिलेगी बीमारी की जानकारी: जब तक भोपाल से लंपी स्किन डिजीज पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक राज्य में सरकारी आंकड़ा लंपी मुक्त ही माना जायेगा. ऐसे में जब संदिग्ध पशुओं के सैंपलों को जांच के लिए कलेक्शन से लेकर लैब तक भेजने तक में लापरवाही होगी, तब बीमारी का सही आकलन कैसे हो पायेगा.