रांचीः उत्तरकाशी सिल्क्यारा सुरंग हादसा और 13वें दिन का रेस्क्यू, हर किसी के परिवार को उम्मीद है कि उनके अपने उस अंधेरी सुरंग से सकुशल बाहर आएं. घर का चिराग बरकरार रहे इसके लिए हर कोई दुआ कर रहा है. 41 मजदूरों के साथ साथ झारखंड के 15 मजदूरों की वापसी की कामना हो रही है. रांची के मजदूर सुखराम के परिवार में दुख भर आया है. वो लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उनका दुख साझा किया.
ईटीवी भारत की टीम रांची के खिराबेड़ा गांव पहुंची. ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने खिराबेड़ा गांव के तीन मजदूरों के परिवार का हालचाल जाना. इनके परिवार के लोग उत्तराखंड टनल हादसे के बाद पिछले 12 दिन से सुरंग में फंसे हुए हैं. उनके परिवार के लोग सिर्फ इस इंतजार में है कि जल्द से जल्द उनका बेटा वापस आ जाए. सुखराम बेदिया के परिजनों का कहना है कि जिला प्रशासन के लोग उनके पास आते हैं और सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं. उन्हें सिर्फ ये बताया जाता है कि आज शाम तक या कल सुबह तक उनका बेटा टनल से निकल जाएगा.
उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे सुखराम बेदिया की माता पार्वती देवी बताती हैं कि अब तो आश्वासन भी धोखा लगने लगा है. क्योंकि पिछले 12 दिन से उनको सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है लेकिन अब तक कुछ भी अच्छी खबर नहीं आ रही है. सुखराम बेदिया की माता ने बताया कि जब तक वह अपने बेटे को अपनी आंखों से नहीं देख लेतीं है तब तक उन्हें किसी की बातों पर यकीन नहीं होगा. वहीं सुखराम के पिता बरहन बेदिया बताते हैं कि पिछले 12 दिन से सभी के घरों में खाना पीना लगभग बंद है क्योंकि सभी का मन और ध्यान अपने बेटे सुखराम की सलामती पर टिकी है.
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