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मानवता अभी जिंदा हैः रांची में 'प्रेम आश्रम', जहां हर ठुकराई बेटी को मिलता है सहारा

रांची के सोबा गांव में रहने वाले सचिंदर महतो बेसहारा बच्चियों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं. उनके अनाथ आश्रम में 24 बच्चियां अपनी जिंदगी संवार रही हैं. भले ही इन बच्चियों को अपनों ने छोड़ दिया हो, लेकिन सचिंदर उन्हें सहारा देकर उनको अपने पैरों पर खड़ा करने में लगे हुए हैं.

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सचिंदर महतो मानवता के लिए बनें मिसाल
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Published : Sep 13, 2021, 12:27 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 2:34 PM IST

रांची: कहते हैं परिस्थतियां कितनी भी कठिन हो अगर मानवता हार न माने तो कई बेसहारों को सहारा मिल जाता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहे हैं बुढ़मू प्रखंड के सोबा गांव के बहेरागड़ा टोली में रहने वाले सचिंदर महतो. सचिंदर महज सांतवी पास हैं, लेकिन उनका काम कई अच्छे पढ़े लिखे लोगों के लिए सबक है. इन्होंने वैसे 24 बेसहारा बच्चियों को सहारा दिया है जिनके अपने किसी न किसी कारणवश उनसे दूर हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- 'मेरे घर वाले मुझे पढ़ाना नहीं चाहते', अगवा हुई लड़की ने वीडिया जारी कर सुनायी आपबीती

बेसहारा मासूम बच्चियों की मदद

सचिंदर दो साल से अनाथ और बेसहारा बच्चियों का सहारा बनकर न केवल उनका पालन पोषण कर रहे हैं, बल्कि उनका भविष्य अच्छा हो इसके लिए सभी को शिक्षा भी दे रहे हैं. बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ कई घरेलू कार्यों की भी ट्रेनिंग दी जा रही है. खेती, पुश पालन का भी प्रशिक्षण इन बच्चियों को दिया जा रहा है, ताकि आगे चलकर वे अपना भविष्य खुद बना सकें. बच्चियां स्वस्थ रहें इसके लिए सबको योगा की भी ट्रेनिंग दी जा रही है.

देखें पूरी खबर

परिवार के सहयोग से चला रहे हैं अनाथालय

बेसहारा बच्चियों के लिए सचिंदर महतो अपने पूरे परिवार की मदद से अनाथ आश्रम चला रहे हैं. उनके इस काम में उनकी पत्नी सोनी देवी, बहू बबीता और उनका बेटा मदद कर रहा है. आश्रम में सभी बच्चियों की देख रेख का जिम्मा इनके परिवार वालों के ऊपर ही है. बच्चियां भी आश्रम में बागवानी और पशुपालन का काम कर सचिंदर महतो की मदद कर रही हैं. उनके आश्रम में 6 गायें हैं जिनकी देख रेख का जिम्मा इन्हीं हवाले है.

लगातार बढ़ रही बच्चियों की संख्या

सचिंदर महतो बताते हैं कि आश्रम में लगातार बेसहारा बच्चियों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिससे अकेले इन बच्चियों की जरूरतों को पूरा करने में उन्हें दिक्कत हो रही है. उन्होंने समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों से आर्थिक और अन्य सहयोग की अपील की है.

रांची: कहते हैं परिस्थतियां कितनी भी कठिन हो अगर मानवता हार न माने तो कई बेसहारों को सहारा मिल जाता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहे हैं बुढ़मू प्रखंड के सोबा गांव के बहेरागड़ा टोली में रहने वाले सचिंदर महतो. सचिंदर महज सांतवी पास हैं, लेकिन उनका काम कई अच्छे पढ़े लिखे लोगों के लिए सबक है. इन्होंने वैसे 24 बेसहारा बच्चियों को सहारा दिया है जिनके अपने किसी न किसी कारणवश उनसे दूर हो गए हैं.

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बेसहारा मासूम बच्चियों की मदद

सचिंदर दो साल से अनाथ और बेसहारा बच्चियों का सहारा बनकर न केवल उनका पालन पोषण कर रहे हैं, बल्कि उनका भविष्य अच्छा हो इसके लिए सभी को शिक्षा भी दे रहे हैं. बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ कई घरेलू कार्यों की भी ट्रेनिंग दी जा रही है. खेती, पुश पालन का भी प्रशिक्षण इन बच्चियों को दिया जा रहा है, ताकि आगे चलकर वे अपना भविष्य खुद बना सकें. बच्चियां स्वस्थ रहें इसके लिए सबको योगा की भी ट्रेनिंग दी जा रही है.

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परिवार के सहयोग से चला रहे हैं अनाथालय

बेसहारा बच्चियों के लिए सचिंदर महतो अपने पूरे परिवार की मदद से अनाथ आश्रम चला रहे हैं. उनके इस काम में उनकी पत्नी सोनी देवी, बहू बबीता और उनका बेटा मदद कर रहा है. आश्रम में सभी बच्चियों की देख रेख का जिम्मा इनके परिवार वालों के ऊपर ही है. बच्चियां भी आश्रम में बागवानी और पशुपालन का काम कर सचिंदर महतो की मदद कर रही हैं. उनके आश्रम में 6 गायें हैं जिनकी देख रेख का जिम्मा इन्हीं हवाले है.

लगातार बढ़ रही बच्चियों की संख्या

सचिंदर महतो बताते हैं कि आश्रम में लगातार बेसहारा बच्चियों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिससे अकेले इन बच्चियों की जरूरतों को पूरा करने में उन्हें दिक्कत हो रही है. उन्होंने समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों से आर्थिक और अन्य सहयोग की अपील की है.

Last Updated : Sep 13, 2021, 2:34 PM IST
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