रांची: तकरीबन 13 महीनों के बाद रिम्स शासी परिषद की बैठक विवादों के बीच हुई. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति की तरफ से बैठक में शामिल होने के लिए अधिकृत बीजेपी नेता प्रतुल शाहदेव को ऐन मौके पर बैठक में शामिल होने से रोक दिया गया. इससे विवाद बढ़ गया है. इससे पहले शाहदेव को 12 अक्टूबर को बैठक में शामिल होने के लिए ईमेल किया गया था. अब ऐन वक्त पर ई-मेल कर बैठक में शामिल होने का न्योता वापस ले लिया गया.
बीते वर्ष शासी परिषद की बैठक हुई थी. जिसके बाद इस साल इस बैठक का आयोजन किया गया. इसमें कई लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव को भी ई-मेल के जरिए निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन बैठक के दिन यानी 14 अक्टूबर को उन्हें ई-मेल आया कि आप बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि शासी परिषद में 35 एजेंडे थे. इसमें एक एजेंडा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के लिए लग्जरी गाड़ी खरीदने से भी जुड़ा हुआ था. शाहदेव ने कहा कि कोरोना काल का हवाला देते हुए उन्होंने कार खरीदने के एजेंडे पर सवाल उठाए थे, इसलिए उन्हे साजिश के तहत बैठक से अलग किया गया.
लग्जरी गाड़ी के मामले पर भी विवाद
प्रतुल शाहदेव का आरोप है कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने एक साजिश के तहत रिम्स शासी परिषद के एजेंडे में अपने लिए एक लग्जरी गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव डाला था. मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने लग्जरी गाड़ी की मांग नहीं की थी. यह पूछे जाने पर कि जब एजेंडे में इस बात का जिक्र था तो फिर आपने उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कैसे किया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस पॉइंट पर उनकी नजर ही नहीं पड़ी थी. इससे पहले 26 सितंबर 2019 को रिम्स शासी परिषद की बैठक हुई थी. जबकि प्रावधान है कि हर तीन माह पर बैठक होनी चाहिए. अब सवाल है कि 1 साल बाद बैठक क्यों हो रही है. माना जाता है कि स्वास्थ्य मंत्री और तत्कालीन रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह के बीच आपसी तालमेल नहीं होने के कारण पूर्व में बैठक टलती रही.