रांची: दीपावली के दिन लोग अपने-अपने घरों में दीप जलाते हैं. इसके साथ ही पटाखा फोड़ते हैं. आतिशबाजी कर इस पर्व का इंजॉय करते. लेकिन कई बार घरों में दीप जलाने और पटाखा फोड़ने के दौरान असावधानी हो जाती है. इस असावधानी की वजह से अगलगी और पटाखा से जलने की शिकायतें मिलती है. पटाखा से जलने वालों का तत्काल इलाज किया जा सके. इसको लेकर रिम्स के बर्न वार्ड (Burn ward of RIMS) को अलर्ट रखा गया. इसके साथ ही स्टाफ और डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति भी की गई है.
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झारखंड में जलने की घटना होती है तो पीड़ित परिवार को सिर्फ और सिर्फ एक ही सहारा दिखता है. वह राज्य के सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स है. इसकी वजह है कि सदर अस्पतालों में जले हुए मरीजों की समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पतालों से रिम्स रेफर किया जाता है.
रांची में निजी अस्पतालों को छोड़ दें तो सरकारी अस्पताल में सिर्फ रिम्स ही एक ऐसा अस्पताल है, जहां मरीजों को बेहतर इलाज मिलता है. दीपावली को लेकर बर्न वार्ड की तैयारी पर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ राजीव रंजन कहते हैं कि बर्न वार्ड में 18 बेड लगाये गए हैं. लेकिन दीपावली को देखते हुए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि बेड के साथ साथ इंसेक्ट फ्लैशर और एसी को भी दुरुस्त किया गया है. उन्होंने कहा कि खराब एसी को बदला जा रहा है. उन्होंने कहा कि बर्न वार्ड में अतिरिक्त डॉक्टरों को प्रतिनियुक्त किए गए हैं, जो दीपावली के दिन 24 घंटे तैनात रहेंगे.
शनिवार को ईटीवी भारत की टीम बर्न वार्ड पहुंचकर जायजा लिया. दीपावली को लेकर तैयारियां की गई है. लेकिन कुछ कमियां भी है. दुमका से आए मरीज ने बताया कि जले हुए मरीज के लिए रिम्स ही सहारा है. इसकी वजह है कि सदर अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा रांची सदर अस्पताल के साथ साथ अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भी दीपावली को देखते हुए बर्निंग केस के मरीजों के लिए इंतजाम किए गए हैं. सिविल सर्जन विनोद प्रसाद ने बताया कि रांची के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट किया गया है. इन अस्पतालों में स्टाफ और डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है.