रांची: जिले में राजस्वकर्मी की हड़ताल के कारण (Revenue Workers on Strike in Ranchi ) जाति, आवासीय और जमीन म्यूटेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गये हैं. अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये राजस्वकर्मियों का मानना है कि सरकार ने पहले से हुए समझौते के अनुसार अपना काम पूरा नहीं किया. जिस वजह से कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 11 सूत्री मांगों को लेकर राज्य में एक बार फिर राजस्व कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
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राजस्व कर्मचारी संघ के मुख्य संरक्षक भरत सिन्हा ने कहा कि कर्मचारी 2012 में हड़ताल पर गये थे. फिर 2017 में हड़ताल हुई. सरकार ने कर्मचारियों के साथ समझौते भी किए लेकिन इसे आज तक लागू नहीं किया. ऐसे में राज्य के करीब 3000 राजस्वकर्मी विवश होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं.
राजस्वकर्मियों की ये है मांग: हड़ताल पर गये झारखंड राजस्व उप निरीक्षक संघ ने सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांग रखा है. जिसे पूरा करने के पश्चात हड़ताल खत्म होने की धमकी दी है.
- राजस्व उप निरीक्षकों की मांगों में बेसिक ग्रेड पे में वृद्धि करना शामिल है
- अंचल निरीक्षक सह कानूनगो को शतप्रतिशत प्रोन्नति से भरना
- सीमित परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 5 वर्ष करना
- राजस्व प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना
- राजस्व उप निरीक्षकों को लैपटॉप व अन्य नेट सुविधा प्रदान करना
- क्षेत्र भ्रमण के लिए दो पहिया वाहन उपलब्ध कराना
- हल्का इकाई का पुनर्गठन करने एवं राजस्व उप निरीक्षकों के रिक्त पदों को अविलंब भरने की मांग की गई है.
संघ के मुख्य संरक्षक भरत सिन्हा ने कहा कि कर्मचारियों ने 14 सितंबर को मुख्यमंत्री सचिवालय में ज्ञापन सौंपकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की सूचना दे दी है. प्रत्येक दिन अपने-अपने जिला मुख्यालय में कर्मचारी धरना प्रदर्शन करेंगे. इधर राजस्व उपनिरीक्षक के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण राज्य के 277 जिलों में राजस्व से संबंधित कार्य ठप हो गया है. जाति, आवासीय, दाखिल खारिज, भूमि सीमांकन, ऑनलाइन सुधार जैसे विभिन्न कार्य प्रभावित हो रहे हैं.