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रेजीडेंट डॉक्टरों का आंदोलन खत्म, स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद काम पर लौटे डॉक्टर

झारखंड में छह मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों का आंदोलन चल रहा था, जो 11 मार्च को समाप्त हो गया. लोगों के हितों को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को जूनियर डॉक्टरों से वार्ता की, जिसमें डॉक्टरों को मार्च के अंत से उनके बकाए एरियर का भुगतान शुरू करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद डॉक्टरों ने आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया.

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काम पर लौटे डॉक्टर
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Published : Mar 11, 2021, 7:54 PM IST

Updated : Mar 11, 2021, 9:02 PM IST

रांची: झारखंड में पिछले एक सप्ताह से छह मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों का आंदोलन चल रहा था, जो 11 मार्च को खत्म हो गया. अपने आंदोलन को उग्र करते हुए राज्य के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने पिछले 4 दिनों से ओपीडी का बहिष्कार कर दिया था, जिसके बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. लोगों के हितों को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को जूनियर डॉक्टरों से वार्ता की, जिसमें डॉक्टरों को मार्च के अंत से उनके बकाए एरियर का भुगतान शुरू करने का आश्वासन दिया.

इसे भी पढे़ं: डॉक्टरों की हड़ताल पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान, कहा- अधिकारियों को समाधान के लिए दे दिए गए हैं निर्देश

रेजिडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता कर आंदोलन को समाप्त करने का फैसला लिया, जिसके बाद सभी मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर अपने काम पर वापस लौट गए हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर अजीत कुमार ने बताया कि पूरे मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता ने मुख्य सचिव सहित विभिन्न विभाग के सचिवों को दिशा निर्देश दिए हैं, साथ ही साथ कहा है कि मार्च के अंत तक आंदोलनरत सभी चिकित्सकों के एरियर का भुगतान किया जाए. राज्य में लगभग 700 जूनियर और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं, जो स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है.

एरियर भुगतान करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे डॉक्टर

राज्य के छह मेडिकल कॉलेज रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज, दुमका मेडिकल कॉलेज और पलामू मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में 8 मार्च से रेजिडेंट डॉक्टर ने अपनी मांगों के समर्थन में कार्य बहिष्कार किया था. इससे पूर्व डॉक्टरों ने 1 से 6 मार्च तक काला बिल्ला लगाकर डॉक्टरों ने विरोध किया था. डॉक्टर सातवें वेतनमान का एरियर भुगतान करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे.

रांची: झारखंड में पिछले एक सप्ताह से छह मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों का आंदोलन चल रहा था, जो 11 मार्च को खत्म हो गया. अपने आंदोलन को उग्र करते हुए राज्य के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने पिछले 4 दिनों से ओपीडी का बहिष्कार कर दिया था, जिसके बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. लोगों के हितों को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को जूनियर डॉक्टरों से वार्ता की, जिसमें डॉक्टरों को मार्च के अंत से उनके बकाए एरियर का भुगतान शुरू करने का आश्वासन दिया.

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रेजिडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता कर आंदोलन को समाप्त करने का फैसला लिया, जिसके बाद सभी मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर अपने काम पर वापस लौट गए हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर अजीत कुमार ने बताया कि पूरे मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता ने मुख्य सचिव सहित विभिन्न विभाग के सचिवों को दिशा निर्देश दिए हैं, साथ ही साथ कहा है कि मार्च के अंत तक आंदोलनरत सभी चिकित्सकों के एरियर का भुगतान किया जाए. राज्य में लगभग 700 जूनियर और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं, जो स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है.

एरियर भुगतान करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे डॉक्टर

राज्य के छह मेडिकल कॉलेज रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज, दुमका मेडिकल कॉलेज और पलामू मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में 8 मार्च से रेजिडेंट डॉक्टर ने अपनी मांगों के समर्थन में कार्य बहिष्कार किया था. इससे पूर्व डॉक्टरों ने 1 से 6 मार्च तक काला बिल्ला लगाकर डॉक्टरों ने विरोध किया था. डॉक्टर सातवें वेतनमान का एरियर भुगतान करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे.

Last Updated : Mar 11, 2021, 9:02 PM IST
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