ETV Bharat / state

नक्सलियों से मुक्त बूढ़ा पहाड़ पर विकास की किरणें उतारने की कवायद, किस हाल में हैं इलाके के 27 गांवों के लोग, क्या करने जा रही है सरकार

नक्सलियों के गढ़ के रूप में कभी कुख्यात रहा बूढ़ा पहाड़ की तस्वीर अब बदलने की तैयारी शुरू हो गई है. इलाके में कुल 27 गांव हैं, जो कभी नक्सलवाद के कारण विकास से कोसों दूर थे, अब विकास से जुड़ने लगे हैं. सरकार भी बूढ़ा पहाड़ के विकास के लिए कोशिश कर रही है.

Budha Pahad in Jharkhand
Budha Pahad in Jharkhand
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 22, 2023, 4:04 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 5:12 PM IST

रांची: घने जंगलों में पहाड़, नदी और नालों के आसपास जब लैंड माइंस लगे हों और जो इलाका करीब चार दशकों तक नक्सलियों के कब्जे में रहा हो तो आप समझ सकते हैं कि प्रभावित गांवों की तस्वीर कैसी होगी. किस हाल में होंगे उस इलाके के लोग. यहां बात हो रही है कभी नक्सलियों के गढ़ रहे बूढ़ा पहाड़ की. झारखंड के गढ़वा, लातेहार और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की सीमा में करीब 60 किमी की परिधि में फैला है बूढ़ा पहाड़. इसका एक छोर पलामू टाईगर रिजर्व से भी जुड़ा है. 90 के दशक के बाद से कुछ समय पहले तक यह नक्सलियों का सबसे सेफ ठिकाना माना जाता था. लंबी लड़ाई के बाद सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस ने इसे नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया.

यह भी पढ़ें: Buddha Pahad Jharkhand: कभी जहां बच्चे पढ़ते थे 'लाल क्रांति' का पाठ, आज सुरक्षा बलों के सानिध्य में सीख रहे लोकतंत्र की भाषा

अब सरकार इस पहाड़ी क्षेत्र में बसे ग्रामीणों की जिंदगी बदलने में जुटी है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को विकास की किरणों से जवान बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में गढ़वा जिला के बड़गड़ प्रखंड का एक पंचायत और लातेहार जिला के महुआडांड प्रखंड के दो पंचायतों में कुल 27 गांव हैं जो 89 टोलों में बंटे हुए हैं. कुल 3,908 घर हैं. इनमें 19,836 लोग रहते हैं. टेहरी, अक्सी और ओरसा पंचायत का क्षेत्रफल 29574.79 हेक्टेयर में फैला हुआ है.

किस हाल में हैं बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के लोग: नक्सलियों का खौफ हमेशा विकास के आड़े आता रहा. आपको जानकर हैरानी होगी कि 3,908 परिवार वाले 27 गांवों में सिर्फ 908 घरों में गैस चूल्हा है. बाकी 3000 परिवार लकड़ी जलाकर खाना बनाते हैं. सिर्फ 204 परिवारों तक पाईप से पेयजल पहुंचा है. शेष 2186 परिवार नदी, डाड़ी जैसे असुरक्षित पेयजल स्त्रोत पर निर्भर हैं. शौचालय सिर्फ 1,510 परिवारों के घर में हैं. बाकी 2486 परिवार खुले में शौच करने को मजबूर हैं. आवास योजना का लाभ 1313 परिवारों को मिला है. अभी 2,595 परिवारों तक इसका लाभ पहुंचाना बाकी है. आलम यह है कि 1539 के पास जॉब कार्ड है. लेकिन 2369 योग्य लाभुकों को अबतक इसका इंतजार है. अच्छी बात यह है कि यहां के लोगों में पैसे बचाने की समझ है. यहां के 11535 लोगों ने बैंकों में खाते खुलवा रखे हैं. अभी भी 8301 लोगों का खाता खुलवाने की जरूरत है.

अभावों के बीच भी शिक्षा की ललक दिखती है. तीनों पंचायत में 06-14 वर्ष के 3,832 बच्चे हैं जिनमें से 3.491 बच्चे तमाम बाधाओं से जूझते हुए स्कूल जाते हैं. 14-18 वर्ष के बच्चों की संख्या 1,934 है. इनमें से 1,672 बच्चे स्कूल जा रहे हैं. आधार कार्ड के मामले में प्रभावित गांवों के लोगों की सजगता दिखती है. कुल 19,836 लोगों में से 16,116 के पास आधार कार्ड है. शेष 3,721 लोगों का आधार कार्ड बनवाया जाना है. यहां के 27 गांवों में 0-6 वर्ष के बच्चों की संख्या 2,212 है लेकिन सिर्फ 1,664 ही आंगनबाड़ी तक पहुंच पाते हैं. वर्तमान में 1,549 महिलाएं गर्भवती और धात्री है. सजगता का परिणाम है कि 1,461 महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों से सेवा ले रही हैं.

कैसे बदलेगी बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र की तस्वीर: आदिवासी बहुल इस इलाके में सबसे ज्यादा 76 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 08 प्रतिशत आदिम जनजाति की आबादी है. दुर्गम पहाड़ी रास्ते, छोटी-छोटी प्राकृतिक गुफाओं के अलावा बूढ़ा और औरंगा नदी इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस इलाके में बसे लोग खेती और वनोत्पाद से जीवन यापन करते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि 27 गांवों वाला यह इलाका 1990 के दशक से माओवाद की वजह से मुख्यधारा से कटा था. सामाजिक और आर्थिक आंकड़े बता रहे हैं कि वहां के लोग किस हाल में हैं. राज्य सरकार ने इन गांवों तक विकास की रौशनी पहुंचाने के लिए 100 करोड़ की राशि जारी की है. इसके लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी ने बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्लान के तहत विकास की रूपरेखा तैयार की है.

बूढ़ा पहाड़ को विकसित करने का प्रस्ताव: इसमें कोई शक नहीं कि बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र विकास से कटा हुआ है. यहां जिंदगी बेहद कठिन है. लिहाजा, कमेटी ने 101 सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है. इन सड़कों की कुल लंबाई 216 किमी होगी. पहाड़ी क्षेत्र के नाते कनेक्टिवी एक बड़ी समस्या है. इसको ध्यान में रखते हुए कुल 46 पुल बनाने का प्रस्ताव तैयार हुआ है. इन 46 पुलों की लंबाई 276 किमी होगी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, यहां के लोगों को मुख्य मार्ग तक आने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी होती होगी. लिहाजा, इन्हीं दुश्वारियों का फायदा उठाकर नक्सलियों ने इस इलाके को शरणस्थली बनाया था. इस इलाके में घर-घर पानी पहुंचाने के लिए 365 योजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया गया है. वहीं खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई से जुड़ी 1262 योजनाओं की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: बूढ़ा पहाड़ के ग्रामीणों की बदल रही है जिंदगी, गांव में पहुंचने लगी विकास की किरण

बूढ़ा पहाड़ के विकास के लिए क्या कर रही है सरकार: सभी 27 गांवों का समाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण हो चुका है. यह तय किया गया है कि इस इलाके में रह रहे 19,836 लोगों को किन-किन योजनाओं से जोड़कर लाभ पहुंचाना है. कमेटी ने लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए सबसे पहले संपर्क पथ, बिजली, पानी, सिंचाई और मोबाइल नेटवर्क का प्रस्ताव दिया है. साथ ही स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी सेवाएं, जनवितरण प्रणाली और शिक्षा को दुरूस्त करने का प्रस्ताव तैयार हुआ है. यही नहीं राशन कार्ड, आवास योजना, शौचालय, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जॉब कार्ड, भूमिहीन परिवार को पट्टा और वनाधिकार पट्टा का लाभ पहुंचाने की तैयारी है. इसके अलावा सर्वजन पेंशन योजना, आंगनबाड़ी योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं के लाभुकों की सूची भी तैयार कर ली गई है.

बूढ़ा पहाड़ इलाके में लातेहार के 16 और गढ़वा के 11 गांव शामिल हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 29, स्वास्थ्य उपकेंद्रों की संख्या 06, प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 27 और पीडीएस दुकानों की संख्या 14 है. सबसे खास बात है कि 27 गांवों के 3908 परिवारों में से 3,823 के पास अपनी जमीन है. भूमिहीन परिवारों की संख्या 85 है. अब अलग-अलग योजनाओं का प्रस्ताव तैयार कर प्रभावित इलाकों में विकास की गाड़ी पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है. उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय पहले तक बूढ़ा पहाड़ के आस-पास से लोगों के गुजरने को सांसें फूलने लगती थी, अब बुनियादी जरूरतें पूरी होने के बाद लोग सैलानी बनकर जा सकेंगे.

रांची: घने जंगलों में पहाड़, नदी और नालों के आसपास जब लैंड माइंस लगे हों और जो इलाका करीब चार दशकों तक नक्सलियों के कब्जे में रहा हो तो आप समझ सकते हैं कि प्रभावित गांवों की तस्वीर कैसी होगी. किस हाल में होंगे उस इलाके के लोग. यहां बात हो रही है कभी नक्सलियों के गढ़ रहे बूढ़ा पहाड़ की. झारखंड के गढ़वा, लातेहार और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की सीमा में करीब 60 किमी की परिधि में फैला है बूढ़ा पहाड़. इसका एक छोर पलामू टाईगर रिजर्व से भी जुड़ा है. 90 के दशक के बाद से कुछ समय पहले तक यह नक्सलियों का सबसे सेफ ठिकाना माना जाता था. लंबी लड़ाई के बाद सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस ने इसे नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया.

यह भी पढ़ें: Buddha Pahad Jharkhand: कभी जहां बच्चे पढ़ते थे 'लाल क्रांति' का पाठ, आज सुरक्षा बलों के सानिध्य में सीख रहे लोकतंत्र की भाषा

अब सरकार इस पहाड़ी क्षेत्र में बसे ग्रामीणों की जिंदगी बदलने में जुटी है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को विकास की किरणों से जवान बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में गढ़वा जिला के बड़गड़ प्रखंड का एक पंचायत और लातेहार जिला के महुआडांड प्रखंड के दो पंचायतों में कुल 27 गांव हैं जो 89 टोलों में बंटे हुए हैं. कुल 3,908 घर हैं. इनमें 19,836 लोग रहते हैं. टेहरी, अक्सी और ओरसा पंचायत का क्षेत्रफल 29574.79 हेक्टेयर में फैला हुआ है.

किस हाल में हैं बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के लोग: नक्सलियों का खौफ हमेशा विकास के आड़े आता रहा. आपको जानकर हैरानी होगी कि 3,908 परिवार वाले 27 गांवों में सिर्फ 908 घरों में गैस चूल्हा है. बाकी 3000 परिवार लकड़ी जलाकर खाना बनाते हैं. सिर्फ 204 परिवारों तक पाईप से पेयजल पहुंचा है. शेष 2186 परिवार नदी, डाड़ी जैसे असुरक्षित पेयजल स्त्रोत पर निर्भर हैं. शौचालय सिर्फ 1,510 परिवारों के घर में हैं. बाकी 2486 परिवार खुले में शौच करने को मजबूर हैं. आवास योजना का लाभ 1313 परिवारों को मिला है. अभी 2,595 परिवारों तक इसका लाभ पहुंचाना बाकी है. आलम यह है कि 1539 के पास जॉब कार्ड है. लेकिन 2369 योग्य लाभुकों को अबतक इसका इंतजार है. अच्छी बात यह है कि यहां के लोगों में पैसे बचाने की समझ है. यहां के 11535 लोगों ने बैंकों में खाते खुलवा रखे हैं. अभी भी 8301 लोगों का खाता खुलवाने की जरूरत है.

अभावों के बीच भी शिक्षा की ललक दिखती है. तीनों पंचायत में 06-14 वर्ष के 3,832 बच्चे हैं जिनमें से 3.491 बच्चे तमाम बाधाओं से जूझते हुए स्कूल जाते हैं. 14-18 वर्ष के बच्चों की संख्या 1,934 है. इनमें से 1,672 बच्चे स्कूल जा रहे हैं. आधार कार्ड के मामले में प्रभावित गांवों के लोगों की सजगता दिखती है. कुल 19,836 लोगों में से 16,116 के पास आधार कार्ड है. शेष 3,721 लोगों का आधार कार्ड बनवाया जाना है. यहां के 27 गांवों में 0-6 वर्ष के बच्चों की संख्या 2,212 है लेकिन सिर्फ 1,664 ही आंगनबाड़ी तक पहुंच पाते हैं. वर्तमान में 1,549 महिलाएं गर्भवती और धात्री है. सजगता का परिणाम है कि 1,461 महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों से सेवा ले रही हैं.

कैसे बदलेगी बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र की तस्वीर: आदिवासी बहुल इस इलाके में सबसे ज्यादा 76 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 08 प्रतिशत आदिम जनजाति की आबादी है. दुर्गम पहाड़ी रास्ते, छोटी-छोटी प्राकृतिक गुफाओं के अलावा बूढ़ा और औरंगा नदी इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस इलाके में बसे लोग खेती और वनोत्पाद से जीवन यापन करते हैं. अब आप समझ सकते हैं कि 27 गांवों वाला यह इलाका 1990 के दशक से माओवाद की वजह से मुख्यधारा से कटा था. सामाजिक और आर्थिक आंकड़े बता रहे हैं कि वहां के लोग किस हाल में हैं. राज्य सरकार ने इन गांवों तक विकास की रौशनी पहुंचाने के लिए 100 करोड़ की राशि जारी की है. इसके लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी ने बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेंट प्लान के तहत विकास की रूपरेखा तैयार की है.

बूढ़ा पहाड़ को विकसित करने का प्रस्ताव: इसमें कोई शक नहीं कि बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र विकास से कटा हुआ है. यहां जिंदगी बेहद कठिन है. लिहाजा, कमेटी ने 101 सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है. इन सड़कों की कुल लंबाई 216 किमी होगी. पहाड़ी क्षेत्र के नाते कनेक्टिवी एक बड़ी समस्या है. इसको ध्यान में रखते हुए कुल 46 पुल बनाने का प्रस्ताव तैयार हुआ है. इन 46 पुलों की लंबाई 276 किमी होगी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, यहां के लोगों को मुख्य मार्ग तक आने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी होती होगी. लिहाजा, इन्हीं दुश्वारियों का फायदा उठाकर नक्सलियों ने इस इलाके को शरणस्थली बनाया था. इस इलाके में घर-घर पानी पहुंचाने के लिए 365 योजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया गया है. वहीं खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई से जुड़ी 1262 योजनाओं की जरूरत है.

यह भी पढ़ें: बूढ़ा पहाड़ के ग्रामीणों की बदल रही है जिंदगी, गांव में पहुंचने लगी विकास की किरण

बूढ़ा पहाड़ के विकास के लिए क्या कर रही है सरकार: सभी 27 गांवों का समाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण हो चुका है. यह तय किया गया है कि इस इलाके में रह रहे 19,836 लोगों को किन-किन योजनाओं से जोड़कर लाभ पहुंचाना है. कमेटी ने लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए सबसे पहले संपर्क पथ, बिजली, पानी, सिंचाई और मोबाइल नेटवर्क का प्रस्ताव दिया है. साथ ही स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी सेवाएं, जनवितरण प्रणाली और शिक्षा को दुरूस्त करने का प्रस्ताव तैयार हुआ है. यही नहीं राशन कार्ड, आवास योजना, शौचालय, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जॉब कार्ड, भूमिहीन परिवार को पट्टा और वनाधिकार पट्टा का लाभ पहुंचाने की तैयारी है. इसके अलावा सर्वजन पेंशन योजना, आंगनबाड़ी योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं के लाभुकों की सूची भी तैयार कर ली गई है.

बूढ़ा पहाड़ इलाके में लातेहार के 16 और गढ़वा के 11 गांव शामिल हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 29, स्वास्थ्य उपकेंद्रों की संख्या 06, प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 27 और पीडीएस दुकानों की संख्या 14 है. सबसे खास बात है कि 27 गांवों के 3908 परिवारों में से 3,823 के पास अपनी जमीन है. भूमिहीन परिवारों की संख्या 85 है. अब अलग-अलग योजनाओं का प्रस्ताव तैयार कर प्रभावित इलाकों में विकास की गाड़ी पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है. उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय पहले तक बूढ़ा पहाड़ के आस-पास से लोगों के गुजरने को सांसें फूलने लगती थी, अब बुनियादी जरूरतें पूरी होने के बाद लोग सैलानी बनकर जा सकेंगे.

Last Updated : Sep 22, 2023, 5:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.