केवड़ियाः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को गुजरात के केवड़िया में दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 80वें सम्मेलन का उद्घाटन किया. सशक्त लोकतंत्र के लिए विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका का आदर्श समन्वय विषय पर होने वाले सम्मेलन में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो भी शामिल होने पहुंचे हैं. विधानसभा अध्यक्ष इस सम्मलेन में राज्य और केंद्र के अधिकारों पर चर्चा कर सकते हैं. इसके अलावा वे प्रमुख संस्थाओं में शक्तिओं के बंटवारे और विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में समन्वय पर जोर दे सकते हैं.
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जानें, राष्ट्रपति के संबोधन के कुछ अहम अंशः
- नर्मदा जिले के केवडिया गांव में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निकट टेंट सिटी में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा सदन में असंसदीय भाषा के इस्तेमाल और अनुशासनहीनता से उनका चुनाव करने वाले लोगों की भावनाएं आहत होती हैं.
- यह बहुत प्रसन्नता का विषय है कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का 80वां सम्मेलन, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के सान्निध्य में हो रहा है. उनकी यह प्रतिमा, विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है. यह हम सभी देशवासियों के लिए, गौरव की बात है.
- भारत की संसद ने, जन-भागीदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित करने वाले निकाय के रूप में, लोगों के हृदय में, विशेष स्थान बनाया है. राज्यों की विधान सभाएं और विधान परिषदें भी, लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को मुखरित करने का, सशक्त माध्यम बनी हैं.
- वर्ष 1949 में, संविधान सभा में, आज के ही दिन, संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहब डॉक्टर बी. आर. आंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता, भारत की जनता और राजनीतिक दलों के, आचरण पर निर्भर करेगी.
इससे पहले उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने 80 वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के लिए भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के गुजरात के केवडिया पहुंचने पर उनका स्वागत किया.