रांची: झारखंड में चल रहे 108 एंबुलेंस सेवा असमंजस की स्थिति में चल रही है. इसलिए लगभग 337 एंबुलेंस के चालक और उनके टेक्नीशियन को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन अपने बकाए वेतन और नए टेंडर प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ी को लेकर मंगलवार को सुबह 9:00 बजे से लगभग 1:00 बजे तक हड़ताल पर चले रहे.
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कई घंटों तक एंबुलेंस बंद: चार घंटे तक रांची की लगभग 30 में से 20 गाड़ियां बंद पड़ी रही. इस वजह से मरीजों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. दरअसल पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने 108 एंबुलेंस सेवा की जिम्मेदारी नई टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंपनी को दे दी है. जिसे लेकर पुरानी कंपनी के संचालकों ने विभाग के नई टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट में केस भी किया है. इसके बावजूद भी आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नई कंपनी की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर 108 एंबुलेंस का जिम्मा दे दिया है.
पशोपेश में कर्मचारी: नई कंपनी और पुरानी कंपनी के पशोपेश में पुरानी कंपनी के सैकड़ों कर्मचारी परेशान है. कर्मचारियों को यह आशंका है कि कहीं नई कंपनी नए मैन पावर के साथ काम करेगी तो उनके बकाए पैसे नहीं मिल पाएंगे. इसी को लेकर चालकों और टेक्नीशियनों की हड़ताल पर जाने की सूचना पाकर मौके पर 108 एंबुलेंस सेवा के झारखंड स्टेट हेड मिल्टन सिंह मौके पर पहुंचे और हड़ताल पर बैठे कर्मियों को समझा-बुझाकर उनका हड़ताल समाप्त कराया.
एंबुलेंस सेवा के संचालक ने क्या कहा: मौके पर पहुंचे 108 एंबुलेंस सेवा के संचालक मिल्टन सिंह ने कहा कि सरकार में बैठे अधिकारियों की टेंडर प्रक्रिया को गलत तरीके से लागू करने के कारण एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन परेशान हैं. उनके मन में डर है कि यदि नई कंपनी नए सिरे से काम करेगी तो पुरानी कंपनी के कर्मचारियों के बकाए वेतन कहीं फंस ना जाए. संचालक के समझाने के बाद हड़ताल पर बैठे एंबुलेंस कर्मी हड़ताल को वापस ले, काम पर जाने का निर्णय लिया.
कई घंटों तक खड़ी रही एंबुलेंस: वहीं 4 घंटे तक एंबुलेंस खड़ी रहने की वजह से होने वाली परेशानी को लेकर मिल्टन सिंह ने कहा कि उन्हें खेद है कि एंबुलेंस चार घंटे तक खड़ी रही. वहीं कर्मचारियों ने कहा कि यदि जल्द से जल्द बकाया वेतन दे दिया जाएगा और नई टेंडर प्रक्रिया रद्द की जाती है, तभी चालक और कर्मचारी काम करेंगे. कर्मचारियों ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर से हड़ताल पर जाने को वे विवश हो जाएंगे.