रांची: झारखंड में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ राज्य सरकार कई कदम उठा रही है. वहीं दूसरी ओर पहले से सरकारी कार्यालय में लगे सोलर सिस्टम देखरेख के अभाव में बेकार पड़े हुए हैं (Sadar Hospital solar system is not working). रांची सदर अस्पताल में क्लीन एनर्जी मिशन के तहत करीब पांच करोड़ की लागत से लगा सोलर पावर प्लांट बेकार हो चुका है.
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करीब चार वर्ष पहले रांची के सदर अस्पताल में क्लीन एनर्जी मिशन के तहत करीब पांच करोड़ की लागत से सोलर पावर प्लांट लगाया गया था. इस सोलर प्लांट से उम्मीद की जा रही थी कि यह सुपर स्पेशलिटी का दर्जा प्राप्त इस सदर हॉस्पिटल को बिजली उपलब्ध कराने के लिए यह सक्षम होगा. केंद्र और राज्य सरकार के क्लीन एनर्जी मिशन के तहत 4 करोड़ 70 लाख रुपए की लागत से यहां 180 केवीए के रूफ टॉप सोलर प्लांट में 300 से ज्यादा सोलर पैनल हैं. योजना थी कि इसके जरिए अस्पताल को 24 घंटे निर्बाध बिजली मिले. मगर तकनीकी खामियों की वजह से यह सफेद हाथी साबित हो रहा है.
सोलर के बजाय लाखों रुपये देनी होती है बिजली बिल: सोलर सिस्टम कारगर नहीं होने की वजह से सदर अस्पताल को हर माह लाखों रुपये बिजली बिल मद में भुगतान करना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो हर महीने करीब 4 लाख का बिजली बिल आता है. गर्मियों में बिल की राशि में वृद्धि हो जाती है इसके अलावा जनरेटर पर डेढ़ से 2 लाख खर्च होते हैं. अगर सोलर सिस्टम दुरुस्त रहता तो ना केवल सदर अस्पताल को बिजली प्राप्त होती बल्कि अतिरिक्त बिजली होने पर इसे पावर ग्रिड को भी दिया जा सकता था.
जरेडा का है अभियान: जरेडा इन दिनों सरकारी कार्यालय को सौर ऊर्जा से जगमग करने का अभियान चला रखी है. जिसके तहत सभी सरकारी आवास पर सोलर प्लांट लगाने का निर्णय लिया है. राज्य के सभी जिला मुख्यालय में लगनेवाले रुफ टॉप सोलर प्लांट से राज्य को करीब 60 मेगावाट बिजली मिलने की संभावना है. इसकी शुरुआत राजधानी के सभी सरकारी आवास से की जायेगी. मगर जहां पहले से सोलर प्लांट लगे हुए हैं वहां अगर देखरेख नहीं होगा तो इस अभियान का क्या फायदा होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.