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धन कुबेर कांग्रेसी धीरज साहू पहले भी रहे हैं इनकम टैक्स की रडार पर, भाई गोपाल साहू के दफ्तर पर भी पड़ चुका है आईटी का छापा

MP Dheeraj Sahu has been on radar of IT. राज्यसभा सांसद धीरज साहू एंड फैमिली की कंपनियों के दफ्तर से 300 करोड़ से ज्यादा नगद मिले हैं. यह पहली बार नहीं है जो उनका नाम सुर्खियों में आया है, इससे पहले भी कई बार अलग-अलग वजहों से वो सुर्खियों में आ चुके हैं.

Rajya Sabha MP Dheeraj Sahu
Rajya Sabha MP Dheeraj Sahu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 10, 2023, 6:38 AM IST

रांचीः झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू एंड फैमिली की शराब कंपनियों के ओडिशा स्थित दफ्तरों से 300 करोड़ से ज्यादा नगद बरामद होने के बाद इनके नाम के साथ धन कुबेर शब्द भी जुड़ गया है. ऐसा नहीं है कि धीरज साहू और उनके परिवार पर पहली बार इनकम टैक्स की टीम ने दबिश दी है.

मई 2018 में तीसरी बार राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद दिसंबर 2019 में तब धीरज साहू सुर्खियों में आए थे, जब दिल्ली जाते वक्त रांची एयरपोर्ट पर उनके बैग से करीब 30 लाख रुपए नगद का पता चला था. बैग की स्कैनिंग के दौरान भारी भरकम कैश का पता चलते ही CISF की टीम ने इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी दी थी. उस वक्त विस्तारा एयरवेज की फ्लाइट के टेक ऑफ का टाइम हो चुका था. इसलिए इनकम टैक्स की टीम ने दिल्ली में उनसे पूछताछ की थी. धीरज साहू ने कैश से संबंधित कागजात पेश किए थे. उसी आधार पर इनकम टैक्स की टीम ने उन्हें कैश के साथ जाने दिया था लेकिन उसी दौरान उनके लोहरदगा स्थित आवास पर इनकम टैक्स की टीम जांच पड़ताल के लिए पहुंची थी.

साहू फैमिली तब दूसरी बार चर्चा में आई थी जब 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान धीरज साहू के भाई गोपाल साहू हजारीबाग में भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा से लड़ने के लिए चुनाव के मैदान में उतरे थे. बेशुमार संपत्ति के मालिक गोपाल साहू ने हजारीबाग के होटल ए.के. इंटरनेशनल में पार्टी का कैंप कार्यालय बनाया था. उस दौरान भी छापा पड़ा था. तब उनके दफ्तर से करीब 22 लाख रुपए मिले थे.

उस वक्त इनकम टैक्स टीम की पूछताछ के दौरान गोपाल साहू नहीं बता पाए कि पैसे आखिर कहां से आए थे. हालांकि वह हजारीबाग से चुनाव हार गए और बाद में इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि जब्त पैसे किसके थे. उस वक्त रांची के प्रधान आयकर आयुक्त आर.एन. सहाय ने कहा था कि पॉलिटिकल सीजर के तहत मामला दर्ज होगा.

सबसे गौर करने वाली बात है कि साहू फैमिली की ओडिशा स्थित शराब कंपनियों के दफ्तर में मौजूद अलमारियों से 300 करोड़ से ज्यादा रुपए जब्त होने के बावजूद कांग्रेस नेता धीरज साहू ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दूसरी तरफ भाजपा इस मसले पर कांग्रेस के साथ-साथ पूरी झारखंड सरकार को घेर रही है. नगदी बरामद होने के बाद पीएम मोदी के ट्वीट से भाजपा और आक्रामक हो गई है.

आपको बता दें कि धीरज साहू के पिता राय साहब बलदेव साहू ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था. साहू फैमिली उस जमाने से कांग्रेस से जुड़ी हुई है. सबसे पहले धीरज साहू के बड़े भाई शिवप्रसाद साहू राजनीति के मैदान में उतरे थे. उन्होंने कॉलेज स्तर पर राजनीति शुरू की थी और बॉक्साइट वर्कर्स यूनियन के महासचिव बने थे. बाद में शिवप्रसाद साहू दो बार रांची से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा सदस्य बने थे, लेकिन धीरज साहू 1977 में खुलकर राजनीति के मैदान में कूदे. वह पहली बार साल 2009 में राज्यसभा सदस्य चुने गए. उस वक्त उनका कार्यकाल सिर्फ एक साल का था. फिर 2010 में दोबारा राज्यसभा सदस्य चुने गए. तीसरी बार 2018 में राज्यसभा पहुंचे. हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के रूप में यह परिवार शराब का कारोबार चलाता है. इसकी नींव बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनी के रूप में रखी गई थी. इस परिवार ने कच्ची शराब की पहली फैक्ट्री लोहरदगा के बड़ा तालाब के पास खोली थी जो करीब दो दशक पहले बंद हो गई. उसी समय इस परिवार का पूरा कारोबार ओड़िशा के अलग-अलग जिलों में शिफ्ट हो गया.

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मई 2018 में तीसरी बार राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद दिसंबर 2019 में तब धीरज साहू सुर्खियों में आए थे, जब दिल्ली जाते वक्त रांची एयरपोर्ट पर उनके बैग से करीब 30 लाख रुपए नगद का पता चला था. बैग की स्कैनिंग के दौरान भारी भरकम कैश का पता चलते ही CISF की टीम ने इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी दी थी. उस वक्त विस्तारा एयरवेज की फ्लाइट के टेक ऑफ का टाइम हो चुका था. इसलिए इनकम टैक्स की टीम ने दिल्ली में उनसे पूछताछ की थी. धीरज साहू ने कैश से संबंधित कागजात पेश किए थे. उसी आधार पर इनकम टैक्स की टीम ने उन्हें कैश के साथ जाने दिया था लेकिन उसी दौरान उनके लोहरदगा स्थित आवास पर इनकम टैक्स की टीम जांच पड़ताल के लिए पहुंची थी.

साहू फैमिली तब दूसरी बार चर्चा में आई थी जब 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान धीरज साहू के भाई गोपाल साहू हजारीबाग में भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा से लड़ने के लिए चुनाव के मैदान में उतरे थे. बेशुमार संपत्ति के मालिक गोपाल साहू ने हजारीबाग के होटल ए.के. इंटरनेशनल में पार्टी का कैंप कार्यालय बनाया था. उस दौरान भी छापा पड़ा था. तब उनके दफ्तर से करीब 22 लाख रुपए मिले थे.

उस वक्त इनकम टैक्स टीम की पूछताछ के दौरान गोपाल साहू नहीं बता पाए कि पैसे आखिर कहां से आए थे. हालांकि वह हजारीबाग से चुनाव हार गए और बाद में इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि जब्त पैसे किसके थे. उस वक्त रांची के प्रधान आयकर आयुक्त आर.एन. सहाय ने कहा था कि पॉलिटिकल सीजर के तहत मामला दर्ज होगा.

सबसे गौर करने वाली बात है कि साहू फैमिली की ओडिशा स्थित शराब कंपनियों के दफ्तर में मौजूद अलमारियों से 300 करोड़ से ज्यादा रुपए जब्त होने के बावजूद कांग्रेस नेता धीरज साहू ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दूसरी तरफ भाजपा इस मसले पर कांग्रेस के साथ-साथ पूरी झारखंड सरकार को घेर रही है. नगदी बरामद होने के बाद पीएम मोदी के ट्वीट से भाजपा और आक्रामक हो गई है.

आपको बता दें कि धीरज साहू के पिता राय साहब बलदेव साहू ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था. साहू फैमिली उस जमाने से कांग्रेस से जुड़ी हुई है. सबसे पहले धीरज साहू के बड़े भाई शिवप्रसाद साहू राजनीति के मैदान में उतरे थे. उन्होंने कॉलेज स्तर पर राजनीति शुरू की थी और बॉक्साइट वर्कर्स यूनियन के महासचिव बने थे. बाद में शिवप्रसाद साहू दो बार रांची से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा सदस्य बने थे, लेकिन धीरज साहू 1977 में खुलकर राजनीति के मैदान में कूदे. वह पहली बार साल 2009 में राज्यसभा सदस्य चुने गए. उस वक्त उनका कार्यकाल सिर्फ एक साल का था. फिर 2010 में दोबारा राज्यसभा सदस्य चुने गए. तीसरी बार 2018 में राज्यसभा पहुंचे. हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के रूप में यह परिवार शराब का कारोबार चलाता है. इसकी नींव बलदेव साहू एंड ग्रुप ऑफ कंपनी के रूप में रखी गई थी. इस परिवार ने कच्ची शराब की पहली फैक्ट्री लोहरदगा के बड़ा तालाब के पास खोली थी जो करीब दो दशक पहले बंद हो गई. उसी समय इस परिवार का पूरा कारोबार ओड़िशा के अलग-अलग जिलों में शिफ्ट हो गया.

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