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हाईकोर्ट का सरकार से सवाल, पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज एक्ट में क्यों नहीं शामिल

झारखंड हाईकोर्ट में शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि पेसा कानून के प्रावधान पंचायती राज एक्ट में क्यों नहीं शामिल किए गए.

question of High Court to government why all provisions of PESA Act not included in Panchayati Raj Act
हाईकोर्ट का सरकार से सवाल, पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज एक्ट में क्यों नहीं शामिल
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Published : Jan 23, 2022, 12:48 PM IST

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में झारखंड शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा.

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हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा कि पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज अधिनियम में क्यों नहीं शामिल किए गए हैं. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने चार फरवरी की तिथि निर्धारित कर दी है. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से झारखंड हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि पंचायती राज अधिनियम संवैधानिक है. प्रार्थियों की दलील सही नहीं है.

इधर याचिकाकर्ताओं ने झारखंड हाई कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधान के तहत शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है. पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया है, यह संवैधानिक रूप से सही नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अपनी बात रखी. बता दें कि आदिवासी बुद्धिजीवी मंच और ईमिल वाल्टर कंडुलना की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में झारखंड शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा.

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हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार से पूछा कि पेसा कानून के सभी प्रावधान पंचायती राज अधिनियम में क्यों नहीं शामिल किए गए हैं. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने चार फरवरी की तिथि निर्धारित कर दी है. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से झारखंड हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि पंचायती राज अधिनियम संवैधानिक है. प्रार्थियों की दलील सही नहीं है.

इधर याचिकाकर्ताओं ने झारखंड हाई कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधान के तहत शेड्यूल एरिया में पंचायती राज अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है. पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया है, यह संवैधानिक रूप से सही नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अपनी बात रखी. बता दें कि आदिवासी बुद्धिजीवी मंच और ईमिल वाल्टर कंडुलना की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. उसी याचिका पर सुनवाई हुई.

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