रांची: सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक प्रदीप यादव ने इस बात पर आपत्ति जताते हुए सरकार से पूछा कि जल संसाधन विभाग ने एक भ्रष्ट सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता विमल कुमार झा को पाइपलाइन प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सेल में अनुबंध पर कैसे रख लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित पदाधिकारी के खिलाफ 2 जनवरी 2021 को सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया था. वह नक्शा घोटाले में नामित हैं. उनके खिलाफ 15 अप्रैल 2015 को ज्ञापांक 1750 के हवाले से जारी आदेश में दो वेतन वृद्धि पर रोक लगाया गया था. इसके बावजूद ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारी को एक साल के लिए अनुबंध पर रखा गया है.
ये भी पढ़ें- नहीं हटाए जाएंगे अनुबंधित श्रमिक मित्र, एनएचएआई की मनमानी से खतरे में कांची नहर
प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि 2002 में देवाशीष गुप्ता के नेतृत्व वाली कमेटी ने अनुबंध को लेकर एक दिशा निर्देश जारी किया था. उसमें स्पष्ट कहा गया था कि एक तो किसी को अनुबंध पर रखना ही नहीं चाहिए और अगर जरूरी है तो दो समाचार पत्रों में विज्ञापन निकालना है. ऐसे पद के लिए सीएम का अनुमोदन जरूरी है. लेकिन विमल कुमार झा के मामले में सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया गया.
इसके जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि विमल कुमार झा आरोप मुक्त हो चुके हैं. मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही उन्हें अनुबंध पर रखा गया है. वह एक अनुभवी पदाधिकारी हैं. पाइपलाइन सिंचाई योजना एक नई अवधारणा है जो इस राज्य के पठारी स्थलों के लिए उपयुक्त है. इस विभाग में पदस्थापित रहते हुए इस पद्धति की सिंचाई योजनाओं का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन यानी डीपीआर तैयार करने में विमल कुमार झा की सक्रिय भूमिका रही है.
वर्तमान में भी इस तरह की कई अन्य योजनाओं का डीपीआर तैयार किया जा रहा है. इसी लिहाज से एक साल की अवधि के लिए विमल कुमार झा और प्रदीप नारायण सिंह को नोडल पदाधिकारी और समन्वय के रूप में संविदा पर रखा गया है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि अगर अभी भी सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो पूरे मामले की जांच के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी.