रांची: विधानसभा के मॉनसून सत्र में परंपरा के अनुसार महालेखाकार ने राज्य वित्त लेखा परीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इसके तीन हिस्से हैं पहला राज्य वित्त लेखा परीक्षा प्रतिवेदन, दूसरा राजस्व लेखा परीक्षा प्रतिवेदन और तीसरा सिविल लेखा परीक्षा प्रतिवेदन. वर्ष 2017-18 और 2018-19 के खर्च पर आधारित पेश किए गए रिपोर्ट को लेकर प्रधान महालेखाकार इंदु अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दो रिपोर्ट सरकार के वित्त प्रबंधन पर आधारित है.
संचार माध्यम में कमी
वहीं 2017-18 की सिविल रिपोर्ट के बारे में प्रधान महालेखाकार इंदु अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में पुलिस फोर्स के आधुनिकरण पर परफारमेंस ऑडिट किया गया है. वहीं सिविल रिपोर्ट की बात करें तो पुलिस आधुनिकरण पर किये गए खर्च में लगभग 900 करोड़ की ऑडिट में यह बात सामने आई है कि नक्सल अभियान में राज्य पुलिस की भूमिका बहुत कम है राज्य पुलिस के संसाधनों में भारी कमी है, संचार माध्यम में कमी भी साफ झलकती है. महालेखाकार की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि लगभग दो करोड़ 80 लाख के बैंच डेस्क बिना जरूरत के खरीदे गए हैं जो कि अब बेकार पड़े हैं. सरायकेला-खरसावां जिले में स्थित संजय नदी पर बिना अप्रोच रोड के पुल बना दिया गया है जिसमें 7 करोड़ 36 लाख रुपए बर्बाद हुए हैं.
फिजूलखर्ची और बर्बादी पर रोक लगाना बेहद ही जरूरी
गढ़वा जिले में स्टेडियम निर्माण में भी एक करोड़ 28 लाख रुपए की बर्बादी रिपोर्ट में दिखाई गई है. वहीं 2017-18 की रिवेन्यू रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जमीन अधिग्रहण में कई अनियमितता है जिस वजह से जमीन के मालिक को उचित पैसा नहीं मिल पा रहा है और बिचौलिए सीधा लाभ उठा रहे हैं. वहीं वित्तीय प्रबंधन की बात करें तो इसकी हालत भी बेहतर नहीं है. ऑडिट रिपोर्ट से यह जानकारी दी गई कि केवल दो खातों में जमीन अधिग्रहण के पैसे रखे जाने चाहिए थे जो कि 104 खातों में रखे गए हैं और इसको लेकर भी 1255 करोड़ रुपए इधर से उधर बिना मतलब के ही ट्रांसफर किए गए हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि सरकार का वित्तीय प्रबंधन और प्लानिंग में काफी कमी है. वहीं महालेखाकार की ओर से विधानसभा की पटल पर पेश किए गए रिपोर्ट, इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य में पैसों की फिजूलखर्ची और बर्बादी पर रोक लगाना बेहद ही जरूरी है.