रांची: झारखंड विधानसभा से मुख्यमंत्री प्रश्नकाल खत्म करने की तैयारी चल रही है. विधानसभा समिति की अनुशंसा पर सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है. पिछले दिनों स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो की अध्यक्षता में हुई विधानसभा की नियम समिति की बैठक में यह तय हुआ कि कार्य संचालन नियमावली की धारा 52 को समाप्त किया जाए. साथ ही प्रतिदिन शून्यकाल की सूचना 15 को बढ़ाकर 25 किया जाए. इतना ही नहीं अल्पसूचित प्रश्न को 14 दिन पहले सभा सचिवालय में जमा करने के प्रावधान को भी समाप्त किया जाए.
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मुख्यमंत्री प्रश्नकाल पर सियासत
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के बाद झारखंड तीसरा ऐसा राज्य है जहां विधानसभा नियमावली में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल का प्रावधान है. अब इसको झारखंड से समाप्त करने को लेकर कर राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायक इसको लेकर सरकार को घेरने में जुटे हैं. विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में प्रश्नों का सटीक जवाब नहीं दिया जाता. भाजपा विधायक सी पी सिंह ने कहा कि उन्होंने तो अब मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में सवाल पूछना ही छोड़ दिया है. सीपी सिंह ने कहा कि बिना तैयारी के सरकार की ओर से उजूल फिजुल जवाब दिया जाता है.
जेएमएम का बीजेपी पर पलटवार
बीजेपी के हमले पर जेएमएम ने पलटवार किया है. जेएमएम के अनुसार मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान बेतुका सवाल पूछकर सदन की गरीमा को समाप्त करने का काम विपक्ष के द्वारा किया जाता है ऐसे में इसकी उपयोगिता ही समाप्त हो जाती है. इसलिए इसको समाप्त किया जाना ही बेहतर होगा. विधानसभा नियमावली के अनुसार सत्र के दौरान हर सोमवार को करीब 12 बजे मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की परंपरा रही है.