रांची: झारखंड की 2 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज होने लगी है. उपचुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ महागठबंधन ने विकास कार्यों पर फोकस करने का निर्णय लिया है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी बीजेपी ने एक शैडो कैबिनेट बनाकर सरकार की कथित असफलताओं को हाइलाइट करने का मन बनाया है.
दरअसल चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड की बेरमो और दुमका विधानसभा सीटों पर बिहार विधानसभा के साथ उपचुनाव करा लिए जाएंगे, साथ ही चुनाव आयोग ने नवंबर के अंतिम हफ्ते तक यह प्रक्रिया पूरी कराने की भी घोषणा की है. ऐसे में प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन एक्शन में आ गया है.
महागठबंधन की प्रतिष्ठा का है सवाल
बेरमो और दुमका दोनों विधानसभा सीट पर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने क्रमशः जीत दर्ज की थी. ऐसे में सत्तारूढ़ महागठबंधन के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल भी होगा. दोनों दलों के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पहले से इसको लेकर उम्मीदवारी तय कर ली गई है. एक तरफ जहां दुमका में झामुमो अपना उम्मीदवार उतारेगा. वहीं दूसरी तरफ बेरमो में कांग्रेस का कैंडिडेट होगा.
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कैंडिडेट को लेकर हो रहा है मंथन
दुमका विधानसभा सीट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2019 में असेम्बली इलेक्शन में जीत के बाद छोड़ दी. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा वहां बसंत सोरेन के नाम पर विचार कर रहा है. बसंत शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा के युवा मोर्चा की कमान संभाल रहे हैं.
हालांकि अभी तक पार्टी की तरफ से इसकी आधिकारिक और औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. वहीं बेरमो की सीट पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेंद्र सिंह की मृत्यु के बाद खाली हुई है. ऐसे में कांग्रेस ने इस सीट पर उन्हीं के परिवार के एक सदस्य को टिकट देने का मन बनाया है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो उनके बड़े बेटे अनूप सिंह या छोटे बेटे गौरव सिंह के नाम पर दांव खेला जा सकता है. अनूप सिंह फिलहाल इंटक के पदाधिकारी हैं. वहीं गौरव सिंह कांग्रेस के युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं. अंदरूनी सूत्रों की मानें तो दोनों भाइयों में टिकट को लेकर खींचातानी भी चल रही है.
हालांकि उपचुनाव की तिथि निर्धारित होने के बाद उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जाएगी. दरअसल अनूप अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए सक्रिय हैं. वहीं दूसरी तरफ गौरव अपने ससुर और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक कमलेश सिंह के सहारे अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करना चाहते हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो इन दोनों के बीच किसी तीसरे को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
सत्तारूढ़ महागठबंधन की राह में विपक्ष अटका सकता है रोड़ा
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो दुमका विधानसभा सीट सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दुमका झारखंड मुक्ति मोर्चा का 'हर्टलैंड' माना जाता है. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार लुईस मरांडी को हेमंत सोरेन ने पटखनी दी थी. वहीं 2014 में मरांडी दुमका विजयी हुई थीं. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हराया था और बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बनी. एनडीए खेमे के अनुसार बीजेपी दुमका से लुईस मरांडी को फिर से उम्मीदवार बना सकती है. 2019 में चुनाव में पराजय का मुंह देखने के बाद इलाके में सक्रिय हैं.
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एनडीए को एकजुट करने की कोशिश
बेरमो सीट को लेकर एनडीए फोल्डर में एकमतता बनाने की कोशिश शुरू हो गई. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. आजसू के उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था. उन्हें 16,000 से भी अधिक वोट मिले थे. ऐसे में आजसू भी वहां से लड़ने का मन बना रहा है, लेकिन अभी इस पर तस्वीर साफ नहीं है.
आजसू ने बेरमो से काशीनाथ सिंह को मैदान में उतारा था. 2019 के चुनाव में योगेश्वर महतो को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह से शिकस्त मिली थी. पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार उनके अलावा गिरिडीह से सांसद रहे रविंद्र पांडे के बेटे विक्रम पांडे की उम्मीदवारी को लेकर जोड़-तोड़ कर रहे हैं. विक्रम पिछला चुनाव टुंडी विधानसभा से लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.
क्या कहते हैं राजनीतिक दल
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे ने साफ तौर पर कहा कि अब जब चुनाव आयोग ने बिहार के साथ झारखंड की दोनों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर तस्वीर साफ कर दी है तो तैयारी शुरू की जा सकती है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार सारी चीजें की जाएंगी, हालांकि कैंडिडेट के नाम की घोषणा चुनाव की तिथि के घोषित होने के बाद ही की जाएगी. वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर शाहदेव ने स्पष्ट किया कि बेरमो पार्टी की सिटिंग सीट है, ऐसे में उस पर उसकी दावेदारी बनती है और पार्टी उपचुनाव ज्यादा मार्जिन से जीतेगी.