रांची: व्यापारियों की धमकी के बीच राज्य में प्रस्तावित कृषि कर लागू करने की तैयारी में सरकार जुटी हुई है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा है कि कृषि बाजार समिति के हाल को देखते हुए दूसरे राज्यों की तरह झारखंड में भी मॉडल एक्ट लागू किया जायेगा. 16 मई से चैम्बर ऑफ कॉमर्स के खाद्यान्नों की सप्लाई चेन बाधित करने की घोषणा पर उन्होंने कहा कि बातचीत कर रास्ता निकाला जायेगा. उन्होंने कहा कि बिहार को छोड़कर देश के 16 राज्यों में इस तरह की व्यवस्था है जिसके तहत कर वसूला जाता है.
झारखंड में पैसों के अभाव के कारण बाजार समिति में कार्यरत कर्मियों को वेतन तक मिलना मुश्किल है. हालत यह है कि कृषि बाजार समिति की जो दुकानें हैं वो पूरी तरह से जर्जर हो चूकी हैं, जिसकी मरम्मति भी पैसे के अभाव में नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब में 4% तक टैक्स है जबकि झारखंड मात्र 2% टैक्स लगाने जा रहा है. ऐसे में बाजार समिति को पुर्नगठित करने के लिए नियमावली अंतिम चरण में है, जिसमें व्यवसायी भी बतौर सदस्य रहेंगे और उनकी बातों को भी स्थान दिया जायेगा.
बाजार समितियों में इस तरह होगा बदलाव, अंतिम रुप देने में जुटी सरकार: कृषि विभाग के अनुसार बदहाल पड़े कृषि विपणन पर्षद को इसके माध्यम से सुधारा जा सकेगा. कृषि विपणन पर्षद से लेकर बाजार समिति तक में बड़े पैमाने पर बदलाव होंगे. अब तक बाजार समिति के अध्यक्ष एसडीओ होते हैं. सरकार अध्यक्ष के पद को मनोनयन के द्वारा भरने की तैयारी कर रही है. स्वभाविक रुप से मनोनयन के आधार पर बाजार समिति के अध्यक्ष पद पर राजनीतिक व्यक्ति भी आसीन होंगे. इसके तहत राज्य के सभी 28 बाजार समितियों को पुर्नगठित किया जायेगा.
इसके अलावे राज्य सरकार एक बार फिर बाजार समितियों को टैक्स कलेक्शन का अधिकार देने की तैयारी में है. यदि ऐसा होता है तो 27 अप्रैल 2015 से पूर्व की तरह बाजार समिति को 2% तक टैक्स वसुलने का अधिकार होगा. बाजार समिति द्वारा संकलित राजस्व में से 20 फीसदी राशि मार्केटिंग बोर्ड को मिलेगी जिससे मार्केटिंग बोर्ड की आर्थिक कमी दूर होगी. इसके जरिए मार्केटिंग बोर्ड को सुव्यवस्थित कर बाजार समितियों पर नियंत्रण रखा जायेगा.