रांची: होली का त्योहार आते ही लोग अपने सारे गम और शिकायतों को भूल कर पर्व को मनाते हैं. इस दिन लोग अपने परिजनों के साथ रंग और गुलाल लगाकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं. लेकिन इस रंग गुलाल की वजह से कभी कभी लोगों को कई तरह के नुकसान भी सहने पड़ते हैं. खासकर रंग और गुलाल के उपयोग से लोगों को कई बार चर्म रोग या त्वचा की समस्या से जूझना पड़ता है. ऐसे में होली में अपनी त्वचा की रक्षा (Skin Care in Holi) के लिए डॉक्टरों का कहना है कि गीले रंगों का प्रयोग ना करें जितना हो सके सिर्फ और सिर्फ सूखे रंगों के साथ होली मनाने का प्रयास करें.
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होली के लिए स्कीन केयर टिप्स: होली के मौके पर लोगों की त्वचा की सुरक्षा को लेकर रिम्स अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभात कुमार (Dermatologists in RIMS Ranchi) बताते हैं कि होली के समय लोगों को स्किन की समस्या से ज्यादा जूझना पड़ता है. कई बार देखा गया है कि होली के बाद चर्म रोग के ज्यादा गंभीर मरीज मिलते हैं, क्योंकि आज की तारीख में बाजार में केमिकल वाले रंग धड़ल्ले से मिल रहे हैं. लोगों के चेहरों पर केमिकल वाले रंग से काफी नुकसान पहुंचते हैं. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभात कुमार ने लोगों को सुझाव देते हुए कहा कि होली खेलने से पहले अपने चेहरे व शरीर पर मॉस्चराईजर क्रीम अवश्य लगा लें, इससे केमिकल वाले रंगों से नुकसान कम होता है.
होली को लेकर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती: वहीं, रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. डीके सिन्हा (RIMS Public Relations Officer Dr. DK Sinha) ने बताया कि होली को देखते हुए इमरजेंसी विभाग में डॉक्टरों की तैनाती कर दी गई है. जूनियर डॉक्टरों के साथ-साथ सीनियर रेजिडेंट और एक वरिष्ठ चिकित्सक भी मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि होली में लोग ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं और इस दौरान नशीली पदार्थों का भी सेवन कर लेते हैं, जिससे दुर्घटना और मारपीट में घायल होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाती है इसको देखते हुए रिम्स में इमरजेंसी विभाग को दुरुस्त रखा गया है, ताकि किसी भी मरीज को पर्व के समय भी डॉक्टर के अभाव में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.
सदर अस्पताल में भी होली को लेकर खास तैयारी की गई है. अस्पताल में 18 मार्च और 19 मार्च को इमरजेंसी विभाग में डॉक्टरों की तैनाती करने के आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं. इन सबके अलावा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था को आवश्यक सेवा के रूप में देखते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए गए हैं.