रांची: झारखंड में महिलाओं से जुड़ी आपराधिक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. दुमका की अंकिता का मामला हो या चतरा की काजल या फिर रांची में एक रिटायर्ड आईएएस की पत्नी सह भाजपा नेता सीमा पात्रा के जुल्म की शिकार आदिवासी बेटी सुनीता खा खा हो. इन नामों की न सिर्फ राज्य में बल्कि देशभर में चर्चा में हो रही है. क्योंकि इन बेटियों के साथ इसी समाज के लोगों ने दरिंदगी की हदें पार कर दी. ऐसे में इन मुद्दों पर जहां खूब राजनीति हुई, अलग अलग दलों और नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चला, राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी झारखंड आयी लेकिन, कहीं नजर नहीं आया तो वह था झारखंड महिला आयोग.
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क्यों सक्रिय नहीं है झारखंड महिला आयोग: राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार को दिसंबर महीने में 3 साल पूरे हो जायेंगे लेकिन, इन तीन वर्षों से राज्य में महिला आयोग के अध्यक्ष का पद (Chairman of Jharkhand Women Commission) खाली पड़ा हुआ है और जब अध्यक्ष ही नहीं होगा तो राज्य की आधी आबादी को न्याय दिलाने की पहल कौन करेगा. जब महिला आयोग क्रियाशील था, तब हर दिन बड़ी संख्या में मामले आयोग पहुंचते थे और हर दिन उसकी सुनवाई होती थी. जिससे पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल जाया करता था. लेकिन, अब तो सामान्य महिला उत्पीड़न या हिंसा की बात छोड़ दें, बड़े बड़े मामलों में भी राज्य महिला आयोग कहीं नजर नहीं आता.
जल्द पद भरे जाने का आश्वासन: वहीं पहले राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष पद संभाला चुकी झामुमो के राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि कोरोना काल की वजह से देरी हुई है. अब जल्द महिला आयोग में अध्यक्ष पद भर दिया जाएगा. कांग्रेस विधायक दल के नेता और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने जल्द सभी आयोग और बोर्ड को भरने का फैसला किया है. जल्द ही राज्य महिला आयोग क्रियाशील हो जाएगा.