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राजनीतिक दलों को ऑनलाइन देना होगा वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट, चुनाव आयोग के निर्देश पर मचा हड़कंप

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Published : Jul 17, 2023, 8:07 PM IST

Updated : Jul 17, 2023, 9:37 PM IST

चुनाव आयोग की एक चिठ्ठी ने सभी राजनीतिक दलों को उलझन में डाल दिया है. चुनाव आयोग ने एक चिठ्ठी जारी करते हुए सभी राजनीतिक दलों के पार्टी फंड और वित्तीय लेखा-जोखा ऑनलाइन माध्यम के जरिए जमा करने को कहा है. इस पर झारखंड की राजनीति गरमा गई है.

online reports of political parties
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रांची: अब राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को ऑनलाइन वित्तीय लेखा-जोखा उपलब्ध कराना होगा. भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन लेखा-जोखा की शुरुआत चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 से शुरू की है. भारत निर्वाचन आयोग के इस निर्णय के बाद झारखंड मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टी को चिठ्ठी भेजकर ससमय रिपोर्ट आयोग को देने को कहा गया है.

यह भी पढ़ें: सीबीआई, चुनाव आयोग और अब ईडी, इन संस्थाओं के निदेशकों की नियुक्ति में आया बड़ा बदलाव

पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के वित्तीय लेखा जोखा को वार्षिक ऑडिट अकाउंट रिपोर्ट के माध्यम से जमा करने को कहा है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के द्वारा जारी पत्र के अनुसार जो राजनीतिक दल ऑनलाइन मोड में वित्तीय रिपोर्ट दाखिल नहीं करना चाहते हैं, उन्हें लिखित रूप में इसकी वजह बतानी होगी. इसके अलावा आयोग के द्वारा निर्धारित प्रारूप में सीडी या पेन ड्राइव के साथ हार्ड कॉपी प्रारूप में रिपोर्ट भी दाखिल कर सकते हैं. भारत निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के द्वारा वित्तीय डिटेल ऑनलाइन दाखिल नहीं करने की वजह को सार्वजनिक करने का काम करेगी.

चुनाव आयोग की चिठ्ठी से गरमाई राजनीति: वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट को लेकर राजनीति गरमा गई है. बीजेपी ने पार्टी फंड में आनेवाले चंदा की राशि को पूरी तरह से वैध रूप में होने का दावा करते हुए दूसरे दलों पर तंज कसा है. पूर्व स्पीकर और रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने पार्टी फंड में आने वाली राशि को सही बताते हुए कहा है कि जब कभी भी अभियान चलाया जाता है तो बकायदा चेक और कूपन के जरिए पार्टी फंड में राशि जमा होती हैं, जिसमें दाताओं के नाम, मोबाइल नंबर और पता अंकित होता है. बीजेपी पूरी सूचना के साथ वित्तीय लेन-देन में विश्वास रखती है. यही वजह है कि अन्य दलों की अपेक्षा हमारे यहां पूरी पारदर्शिता रहती है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने वित्तीय लेखा-जोखा संबंधी रिपोर्ट चुनाव आयोग के द्वारा मांगे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पार्टी ससमय रिपोर्ट उपलब्ध करा देगी. पार्टी प्रवक्ता मनोज पांडे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के वित्तीय लेखा-जोखा का ऑडिट होना चाहिए. जिसमें इलेक्ट्रॉल बाउंड के जरिए और उद्योगपतियों के द्वारा कई माध्यम से पार्टी फंड में पैसे जमा होते आए हैं.

क्षेत्रीय पार्टी की आय में होती रही है वृद्धि: हाल के वर्षों में क्षेत्रीय पार्टियों की आय में अज्ञात स्रोतों से काफी वृद्धि हुई है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-2022 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की अज्ञात स्रोतों से आय 887.55 करोड़ रुपए रही, जो उनकी कुल आय का 76% है. एडीआर रिपोर्ट के अनुसार 20,000 रुपए से ज्यादा के आय को ज्ञात स्रोतों की आय के रूप में रखा गया है. क्योंकि इनके दाताओं का ब्यौरा क्षेत्रीय दलों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में उपलब्ध कराई गई है. चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए राजनीतिक दलों पर अंकुश लगाने की तैयारी की है, जिसके तहत राजनीतिक दलों की फंडिंग और चुनावी खर्च में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए क्लीनअप, क्रैकडाउन और अनुपालन यानी 3C पर काम करते हुए बड़ा कदम उठाया गया है.

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रांची: अब राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को ऑनलाइन वित्तीय लेखा-जोखा उपलब्ध कराना होगा. भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन लेखा-जोखा की शुरुआत चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 से शुरू की है. भारत निर्वाचन आयोग के इस निर्णय के बाद झारखंड मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टी को चिठ्ठी भेजकर ससमय रिपोर्ट आयोग को देने को कहा गया है.

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पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के वित्तीय लेखा जोखा को वार्षिक ऑडिट अकाउंट रिपोर्ट के माध्यम से जमा करने को कहा है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के द्वारा जारी पत्र के अनुसार जो राजनीतिक दल ऑनलाइन मोड में वित्तीय रिपोर्ट दाखिल नहीं करना चाहते हैं, उन्हें लिखित रूप में इसकी वजह बतानी होगी. इसके अलावा आयोग के द्वारा निर्धारित प्रारूप में सीडी या पेन ड्राइव के साथ हार्ड कॉपी प्रारूप में रिपोर्ट भी दाखिल कर सकते हैं. भारत निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के द्वारा वित्तीय डिटेल ऑनलाइन दाखिल नहीं करने की वजह को सार्वजनिक करने का काम करेगी.

चुनाव आयोग की चिठ्ठी से गरमाई राजनीति: वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट को लेकर राजनीति गरमा गई है. बीजेपी ने पार्टी फंड में आनेवाले चंदा की राशि को पूरी तरह से वैध रूप में होने का दावा करते हुए दूसरे दलों पर तंज कसा है. पूर्व स्पीकर और रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने पार्टी फंड में आने वाली राशि को सही बताते हुए कहा है कि जब कभी भी अभियान चलाया जाता है तो बकायदा चेक और कूपन के जरिए पार्टी फंड में राशि जमा होती हैं, जिसमें दाताओं के नाम, मोबाइल नंबर और पता अंकित होता है. बीजेपी पूरी सूचना के साथ वित्तीय लेन-देन में विश्वास रखती है. यही वजह है कि अन्य दलों की अपेक्षा हमारे यहां पूरी पारदर्शिता रहती है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने वित्तीय लेखा-जोखा संबंधी रिपोर्ट चुनाव आयोग के द्वारा मांगे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पार्टी ससमय रिपोर्ट उपलब्ध करा देगी. पार्टी प्रवक्ता मनोज पांडे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के वित्तीय लेखा-जोखा का ऑडिट होना चाहिए. जिसमें इलेक्ट्रॉल बाउंड के जरिए और उद्योगपतियों के द्वारा कई माध्यम से पार्टी फंड में पैसे जमा होते आए हैं.

क्षेत्रीय पार्टी की आय में होती रही है वृद्धि: हाल के वर्षों में क्षेत्रीय पार्टियों की आय में अज्ञात स्रोतों से काफी वृद्धि हुई है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-2022 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की अज्ञात स्रोतों से आय 887.55 करोड़ रुपए रही, जो उनकी कुल आय का 76% है. एडीआर रिपोर्ट के अनुसार 20,000 रुपए से ज्यादा के आय को ज्ञात स्रोतों की आय के रूप में रखा गया है. क्योंकि इनके दाताओं का ब्यौरा क्षेत्रीय दलों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में उपलब्ध कराई गई है. चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए राजनीतिक दलों पर अंकुश लगाने की तैयारी की है, जिसके तहत राजनीतिक दलों की फंडिंग और चुनावी खर्च में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए क्लीनअप, क्रैकडाउन और अनुपालन यानी 3C पर काम करते हुए बड़ा कदम उठाया गया है.

Last Updated : Jul 17, 2023, 9:37 PM IST
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