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सरकारी स्कूल भवनों को नेचुरल लुक देने की तैयारी, हरा रंग पर भाजपा ने उठाए सवाल, कांग्रेस बोली- तिरंगे में भी है हरा रंग - रांची न्यूज

अब झारखंड में स्कूल के रंग पर राजनीति गरमाने लगी है. राज्य के सरकारी स्कूलों को नए लुक देने की तैयारी हो रही है. इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है.

politics on school color in jharkhand
सरकारी स्कूल
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Published : May 23, 2022, 9:29 PM IST

रांची: झारखंड के सभी सरकारी स्कूल भवनों को नेचुरल लुक देने की तैयारी की जा रही है. सभी भवनों का नये सीरे से रंग रोगन होगा. दीवार से लेकर दरवाजों के रंग बदले जाएंगे. इसमें स्वान विंग, अंगोरा व्हाइट, कोकोनट, मेहंदी, ग्रीन फ्री, फ्रास्टेड ग्रीन और डीप ग्रीन रंग का इस्तेमाल होगा. राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने इस बाबत निर्देश जारी कर दिया है. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्गत पत्र में इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया गया है कि इसके लिए शिक्षा मंत्री का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है.

स्कूल के रंग पर राजनीति: दूसरी तरफ स्कूल भवनों को नया लुक देने की तैयारी भाजपा को रास नहीं आ रही है. झारखंड बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि यह तो वही बात हो गई कि ऊपर से फीट-फाट और भीतर से मोकामा घाट. उन्होंने कहा कि सभी स्कूल प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे चल रहे हैं. शिक्षकों की भारी कमी है. सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए. वहीं उन्होंने हरा रंग को तुष्टीकरण का पर्याय बताया. उन्होंने कहा कि सरकार एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है. शिक्षा परियोजना निदेशक ने बताया कि विभाग के कहने पर स्कूलों का रंग बदलने का फैसला लिया गया है.

पासवा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता आलोक दूबे ने कहा कि स्कूलों में छात्रों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए. वर्तमान सरकार इस दिशा में अच्छा काम कर रही है. यही सरकार है जिसने बच्चों को पोशाक देने की भी बात कही है. उन्होंने हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि हरा रंग तो तिरंगा में भी है. फिर भी भाजपा वाले राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने मुगलसराय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रख दिया. तब उनके पेट में दर्द क्यों नहीं हुआ.

नये रंग चढ़ने पर कैसे दिखेंगे सरकारी स्कूल: स्कूलों की दीवारों पर तीन रंग चढाए जाएंगे. इसमें स्वान विंग (हंस के पंख जैसा रंग), अंगोरा व्हाइट (झक सफेद) और कोकोनट (नारियल) रंग का इस्तेमाल होगा. जबकि मुख्य भवन के बॉर्डर पर मेहंदी, ग्रीन फ्री और फ्रॉस्टेड ग्रीन रंग चढ़ाया जाएगा. दरअसल, सफेद दीवारों पर इस रंग का बॉर्डर बहुत जंचता है. इसके अलावा स्कूलों की खिड़की और दरवाजे को गहरे हरे रंग से पेंट किया जाएगा. यह रंग प्रकृति का प्रतीक माना जाता है. स्कूलों के शौचायलों पर भी मुख्य भवन का ही रंग चढ़ाया जाएगा ताकि छात्रों में यह मैसेज जाए कि जितना जरूरी कक्षा है उतना ही जरूरी विद्यालय का शौचालय भी है.

अभी कैसा है सरकारी स्कूलों का रंग: अभी तक स्कूल भवनों की मुख्य दीवार पर हल्का गुलाबी/क्रिम रंग चढ़ाया जाता था. जबकि बॉर्डर टेराकोटा रंग का था. वहीं शौचालयों की मुख्य दीवार पर हल्का नीला और नीचे की तरफ गहरा नीला रंग का इस्तेमाल हो रहा था. ज्यादातर निजी स्कूलों में भी ऐसा ही रंग देखने को मिलता है. राज्य बनने के समय स्कूल भवनों का रंग पीला हुआ करता था. लेकिन साल 2002-03 में इसे गुलाबी किया गया था. फिर 2014-15 में जब भाजपा की सरकार बनी तो मुख्य दीवार का रंग हल्का गुलाबी/क्रिम और बॉर्डर को टेराकोटा कर दिया गया. जबकि खिड़की और दरवाजे का रंग गोल्डन ब्राउन हो गया था.

रांची: झारखंड के सभी सरकारी स्कूल भवनों को नेचुरल लुक देने की तैयारी की जा रही है. सभी भवनों का नये सीरे से रंग रोगन होगा. दीवार से लेकर दरवाजों के रंग बदले जाएंगे. इसमें स्वान विंग, अंगोरा व्हाइट, कोकोनट, मेहंदी, ग्रीन फ्री, फ्रास्टेड ग्रीन और डीप ग्रीन रंग का इस्तेमाल होगा. राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने इस बाबत निर्देश जारी कर दिया है. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्गत पत्र में इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया गया है कि इसके लिए शिक्षा मंत्री का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है.

स्कूल के रंग पर राजनीति: दूसरी तरफ स्कूल भवनों को नया लुक देने की तैयारी भाजपा को रास नहीं आ रही है. झारखंड बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि यह तो वही बात हो गई कि ऊपर से फीट-फाट और भीतर से मोकामा घाट. उन्होंने कहा कि सभी स्कूल प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे चल रहे हैं. शिक्षकों की भारी कमी है. सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए. वहीं उन्होंने हरा रंग को तुष्टीकरण का पर्याय बताया. उन्होंने कहा कि सरकार एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है. शिक्षा परियोजना निदेशक ने बताया कि विभाग के कहने पर स्कूलों का रंग बदलने का फैसला लिया गया है.

पासवा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता आलोक दूबे ने कहा कि स्कूलों में छात्रों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए. वर्तमान सरकार इस दिशा में अच्छा काम कर रही है. यही सरकार है जिसने बच्चों को पोशाक देने की भी बात कही है. उन्होंने हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि हरा रंग तो तिरंगा में भी है. फिर भी भाजपा वाले राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों ने मुगलसराय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रख दिया. तब उनके पेट में दर्द क्यों नहीं हुआ.

नये रंग चढ़ने पर कैसे दिखेंगे सरकारी स्कूल: स्कूलों की दीवारों पर तीन रंग चढाए जाएंगे. इसमें स्वान विंग (हंस के पंख जैसा रंग), अंगोरा व्हाइट (झक सफेद) और कोकोनट (नारियल) रंग का इस्तेमाल होगा. जबकि मुख्य भवन के बॉर्डर पर मेहंदी, ग्रीन फ्री और फ्रॉस्टेड ग्रीन रंग चढ़ाया जाएगा. दरअसल, सफेद दीवारों पर इस रंग का बॉर्डर बहुत जंचता है. इसके अलावा स्कूलों की खिड़की और दरवाजे को गहरे हरे रंग से पेंट किया जाएगा. यह रंग प्रकृति का प्रतीक माना जाता है. स्कूलों के शौचायलों पर भी मुख्य भवन का ही रंग चढ़ाया जाएगा ताकि छात्रों में यह मैसेज जाए कि जितना जरूरी कक्षा है उतना ही जरूरी विद्यालय का शौचालय भी है.

अभी कैसा है सरकारी स्कूलों का रंग: अभी तक स्कूल भवनों की मुख्य दीवार पर हल्का गुलाबी/क्रिम रंग चढ़ाया जाता था. जबकि बॉर्डर टेराकोटा रंग का था. वहीं शौचालयों की मुख्य दीवार पर हल्का नीला और नीचे की तरफ गहरा नीला रंग का इस्तेमाल हो रहा था. ज्यादातर निजी स्कूलों में भी ऐसा ही रंग देखने को मिलता है. राज्य बनने के समय स्कूल भवनों का रंग पीला हुआ करता था. लेकिन साल 2002-03 में इसे गुलाबी किया गया था. फिर 2014-15 में जब भाजपा की सरकार बनी तो मुख्य दीवार का रंग हल्का गुलाबी/क्रिम और बॉर्डर को टेराकोटा कर दिया गया. जबकि खिड़की और दरवाजे का रंग गोल्डन ब्राउन हो गया था.

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