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Board Corporation in Jharkhand: बोर्ड-निगम गठन पर सियासत तेज, विपक्ष के सवाल पर बेवश हुई कांग्रेस

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Published : Apr 7, 2023, 7:40 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 10:02 PM IST

बोर्ड निगम को लेकर सरकार के अंदर समन्वय नहीं होना बड़ी वजह है. इसके निराकरण के लिए सरकार के द्वारा राज्य स्तरीय कोऑर्डिनेशन कमिटी की दो-दो बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष सूची सौंपने का निर्णय लिया गया था.

Politics continues in Jharkhand regarding board corporation
बीजेपी और कांग्रेस के नेता
बीजेपी और कांग्रेस के नेता के बयान

रांची: झारखंड में बोर्ड निगम एक पहेली बनकर रह गया है. वर्तमान सरकार के द्वारा बार-बार बोर्ड- निगम के खाली पड़े पदों को भरने का आश्वासन दिया जाता रहा है. मगर हालात ऐसे हैं कि कई वर्षों से बोर्ड निगम के कार्यालय सुने पड़े हुए हैं. जो मूल कार्य इन आयोगों में होनी चाहिए वो हो नहीं पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- बोर्ड निगम के मलाइदार पदों को भरने की तैयारी, बीजेपी ने कसा तंज

हाल ही में कॉन्ग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे के द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री के समक्ष बोर्ड निगम के खाली पड़े पदों को भरने के लिए सत्तारूढ़ दलों की ओर से सौंपी गई सूची पर विचार अब तक लंबित होने की बात सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है की सरकार के अंदर इस मसले पर कहीं ना कहीं पेंच फंसा हुआ है जिस वजह से बोर्ड-निगम गठित करने संबंधी निर्णय नहीं हो पा रहा है. गौरतलब है कि राज्य में लोकायुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त के अलावे महिला आयोग, खादी बोर्ड, आवास बोर्ड, विधि आयोग, जियाडा,माडा जैसे आयोग और बोर्ड निगम के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं जिस वजह से यहां कामकाज ठप है.

बोर्ड-निगम को लेकर राजनीति तेज: मुख्यमंत्री के समक्ष कांग्रेस और राजद के द्वारा सूची सौंपी जा चुकी है मगर इस पर अब तक निर्णय नहीं होना कहीं ना कहीं सत्तारूढ़ दल के अंदर एकमत का अभाव माना जा रहा है. प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर इस बहाने निशाना साधने की कोशिश की है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सरकार में कांग्रेस को तीसरे दर्जे का दल होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने कांग्रेस का कोई महत्व नहीं रह गया है. शायद यही वजह है की सूची सौंपने के बावजूद भी मुख्यमंत्री इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस कांग्रेस की बदौलत सरकार चल रही है. इस सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस से राय लिए बगैर काम करती रही है, चाहे वह नियोजन नीति हो या मगही, भोजपुरी को हटाने की बात हो या 1932 खतियान आधारित स्थानीयता की बात हो.

इधर, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कांग्रेस पर सवाल उठाए जाने से नाराज पार्टी महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है भारतीय जनता पार्टी को बोर्ड निगम पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि इससे गर्म मुद्दा अभी के समय में देश में छाई महंगाई, बैंक घोटाला जैसे मुद्दे हैं जिस पर चर्चा करने से बीजेपी भागती है. हालांकि उन्होंने कहा कि बोर्ड निगम का गठन जल्द कर लिया जाएगा इसके लिए कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में सत्तारूढ़ दलों के बीच बटवारा भी किया जा चुका है कि कौन से बोर्ड और निगम इन्हें दिया जाए जो जल्द ही सामने आ जाएगा.

बहरहाल बोर्ड निगम को लेकर सियासत भले ही तेज हो मगर हकीकत यह है कि कोआर्डिनेशन के अभाव के कारण रांची और दुमका में अभी तक 20 सूत्री कमिटी का गठन नहीं हो सका है. ऐसे में सत्तारूढ़ दलों के राजीव रंजन, रमा खलखो, शमशेर आलम, रविन्द्र सिंह, शशिभूषण राय, ज्योति मथारु जैसे कार्यकर्ता और नेता जो इस उम्मीद के साथ बैठे हुए हैं कि उन्हें बोर्ड निगम में स्थान मिलेगा उनकी संयम अब जवाब देने लगी है.

बीजेपी और कांग्रेस के नेता के बयान

रांची: झारखंड में बोर्ड निगम एक पहेली बनकर रह गया है. वर्तमान सरकार के द्वारा बार-बार बोर्ड- निगम के खाली पड़े पदों को भरने का आश्वासन दिया जाता रहा है. मगर हालात ऐसे हैं कि कई वर्षों से बोर्ड निगम के कार्यालय सुने पड़े हुए हैं. जो मूल कार्य इन आयोगों में होनी चाहिए वो हो नहीं पा रहे हैं.

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हाल ही में कॉन्ग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे के द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री के समक्ष बोर्ड निगम के खाली पड़े पदों को भरने के लिए सत्तारूढ़ दलों की ओर से सौंपी गई सूची पर विचार अब तक लंबित होने की बात सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है की सरकार के अंदर इस मसले पर कहीं ना कहीं पेंच फंसा हुआ है जिस वजह से बोर्ड-निगम गठित करने संबंधी निर्णय नहीं हो पा रहा है. गौरतलब है कि राज्य में लोकायुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त के अलावे महिला आयोग, खादी बोर्ड, आवास बोर्ड, विधि आयोग, जियाडा,माडा जैसे आयोग और बोर्ड निगम के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं जिस वजह से यहां कामकाज ठप है.

बोर्ड-निगम को लेकर राजनीति तेज: मुख्यमंत्री के समक्ष कांग्रेस और राजद के द्वारा सूची सौंपी जा चुकी है मगर इस पर अब तक निर्णय नहीं होना कहीं ना कहीं सत्तारूढ़ दल के अंदर एकमत का अभाव माना जा रहा है. प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर इस बहाने निशाना साधने की कोशिश की है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सरकार में कांग्रेस को तीसरे दर्जे का दल होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने कांग्रेस का कोई महत्व नहीं रह गया है. शायद यही वजह है की सूची सौंपने के बावजूद भी मुख्यमंत्री इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस कांग्रेस की बदौलत सरकार चल रही है. इस सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस से राय लिए बगैर काम करती रही है, चाहे वह नियोजन नीति हो या मगही, भोजपुरी को हटाने की बात हो या 1932 खतियान आधारित स्थानीयता की बात हो.

इधर, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कांग्रेस पर सवाल उठाए जाने से नाराज पार्टी महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है भारतीय जनता पार्टी को बोर्ड निगम पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि इससे गर्म मुद्दा अभी के समय में देश में छाई महंगाई, बैंक घोटाला जैसे मुद्दे हैं जिस पर चर्चा करने से बीजेपी भागती है. हालांकि उन्होंने कहा कि बोर्ड निगम का गठन जल्द कर लिया जाएगा इसके लिए कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में सत्तारूढ़ दलों के बीच बटवारा भी किया जा चुका है कि कौन से बोर्ड और निगम इन्हें दिया जाए जो जल्द ही सामने आ जाएगा.

बहरहाल बोर्ड निगम को लेकर सियासत भले ही तेज हो मगर हकीकत यह है कि कोआर्डिनेशन के अभाव के कारण रांची और दुमका में अभी तक 20 सूत्री कमिटी का गठन नहीं हो सका है. ऐसे में सत्तारूढ़ दलों के राजीव रंजन, रमा खलखो, शमशेर आलम, रविन्द्र सिंह, शशिभूषण राय, ज्योति मथारु जैसे कार्यकर्ता और नेता जो इस उम्मीद के साथ बैठे हुए हैं कि उन्हें बोर्ड निगम में स्थान मिलेगा उनकी संयम अब जवाब देने लगी है.

Last Updated : Apr 7, 2023, 10:02 PM IST
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