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कांग्रेस विधायक ने अपनी ही सरकार की खोली पोल, झारखंड में किसानों को मिलने वाली सुखाड़ राहत पर पूछे तीखे सवाल

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायक ने अपनी ही सरकार के योजनाओं की पोल खोल दी. विधायक ने राज्य में किसानों को सुखाड़ राहत का लाभ नहीं मिलने को लेकर सरकार से सवाल पूछा है. वहीं कांग्रेस की दूसरी विधायक ने इसके लिए केंद्र को जिम्मेदार बताया है.

Congress MLA exposes own government
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Published : Aug 3, 2023, 7:36 PM IST

नेताओं के बयान

रांची: देश से लेकर राज्य तक किसान अक्सर राजनीतिक दलों की राजनीति के मुख्य केंद्र में होते हैं. हर दल अपने आप को अन्नदाताओं का हितैषी बताते हैं. साथ ही विपक्ष को किसान विरोधी बताने से भी नहीं चूकते. लेकिन झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कुछ ऐसा हुआ है जो कोई पार्टी अपने विधायक से उम्मीद नहीं करेगी. दरअसल, सत्ताधारी दलों के विधायकों ने झारखंड में सुखाड़ राहत के लिए केंद्र को जिम्मेदार तो ठहराया. लेकिन, इसमें एक विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. बात की जा रही है कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला की.

यह भी पढ़ें: सदन में कान पकड़कर माफी मांगें इरफान, नहीं तो कर देंगे ऐसी की तैसी, बांह चढ़ाकर शशि भूषण लपके, अकेला ने रोका, केंद्रीय कानून मंत्री ने भी की टिप्पणी

कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने सदन में कहा कि झारखंड राज्य में इस वर्ष भी सुखाड़ जैसे हालात बनते जा रहे हैं. किसानों को सहायता की जरूरत है, लेकिन हुआ क्या? कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला यहीं नहीं रुके. उन्होंने इसके लिए अपनी सरकार पर ही हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने स्तर से पिछले वर्ष के सुखाड़ राहत के लिए 32 लाख किसानों को प्रति किसान 3500 रुपये देने की बात कही थी. लेकिन 32 लाख किसानों में से 20 लाख किसानों को राज्य सरकार द्वारा मिलने वाली 3500 रुपये की सहायता राशि मिली ही नहीं है.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि वर्तमान में भी राज्य में खेती-बाड़ी की स्थिति अच्छी नहीं है. इसलिए राज्य सरकार 20 अन्नदाताओं को 3500 रुपए पिछले वर्ष का दे और इस वर्ष हर किसान को 10-10 हजार रुपए की सहायता राशि और दे. उन्होंने कहा कि उन्होने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से इस बारे में बात की है.

'केंद्र के कारण किसानों को मदद करने में हो रही है मुश्किल': कांग्रेस के एक विधायक उमाशंकर अकेला ने जहां खुलकर किसानों को सुखाड़ राहत के लिए मिलने वाली सहायता देने में राज्य की विफलता को उजागर कर दिया है. वहीं एक और विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने यह तो माना कि एक बड़ी संख्या वैसे किसानों की है, जिन्हें पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से हुए नुकसान का कोई मुआवजा नहीं मिला है. लेकिन इसके लिए वह राज्य की सरकार से ज्यादा केंद्र की सरकार को दोषी ठहराती हैं.

दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि लगातार दूसरी बार राज्य सुखाड़ की स्थिति में हैं. उन्होंने बताया कि पिछली बार 32 नहीं 43 लाख किसानों को 35 सौ रुपये की मदद देने की बात थी. लेकिन 13-14 लाख किसानों को ही यह सहायता राशि मिल सका है. कांग्रेस की महिला विधायक ने कहा कि केंद्र, जनहित के कार्यों के लिए राज्य को पैसा नहीं दे रही है. उन्होने कहा कि ना सिर्फ किसानों के राहत के लिए बल्कि पोषण सखी, तेजस्विनी योजना में भी केंद्र का यही रुख है.

किसानों को लेकर राज्य सरकार की मंशा ठीक नहीं-आजसू: वहीं इस मामले में आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की मंशा किसानों को लेकर ठीक नहीं है. इसलिए राज्य में पिछले वर्ष पड़े भयानक सुखाड़ के लिए राज्य सरकार द्वारा घोषित 3500 रुपये की सहायता राशि से ज्यादातर किसान वंचित हैं. उन्होने कहा कि केंद्र से मदद नहीं मिलने की दलील में कोई दम नहीं है. राज्य सरकार के पास पर्याप्त पैसा है. करीब 01 लाख 16 हजार 453 करोड़ का बजट और अभी 11,988 करोड़ का अनुपूरक बजट लाया गया है. इनकी मंशा ही ठीक नहीं है.

नेताओं के बयान

रांची: देश से लेकर राज्य तक किसान अक्सर राजनीतिक दलों की राजनीति के मुख्य केंद्र में होते हैं. हर दल अपने आप को अन्नदाताओं का हितैषी बताते हैं. साथ ही विपक्ष को किसान विरोधी बताने से भी नहीं चूकते. लेकिन झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कुछ ऐसा हुआ है जो कोई पार्टी अपने विधायक से उम्मीद नहीं करेगी. दरअसल, सत्ताधारी दलों के विधायकों ने झारखंड में सुखाड़ राहत के लिए केंद्र को जिम्मेदार तो ठहराया. लेकिन, इसमें एक विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. बात की जा रही है कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला की.

यह भी पढ़ें: सदन में कान पकड़कर माफी मांगें इरफान, नहीं तो कर देंगे ऐसी की तैसी, बांह चढ़ाकर शशि भूषण लपके, अकेला ने रोका, केंद्रीय कानून मंत्री ने भी की टिप्पणी

कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने सदन में कहा कि झारखंड राज्य में इस वर्ष भी सुखाड़ जैसे हालात बनते जा रहे हैं. किसानों को सहायता की जरूरत है, लेकिन हुआ क्या? कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला यहीं नहीं रुके. उन्होंने इसके लिए अपनी सरकार पर ही हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने स्तर से पिछले वर्ष के सुखाड़ राहत के लिए 32 लाख किसानों को प्रति किसान 3500 रुपये देने की बात कही थी. लेकिन 32 लाख किसानों में से 20 लाख किसानों को राज्य सरकार द्वारा मिलने वाली 3500 रुपये की सहायता राशि मिली ही नहीं है.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि वर्तमान में भी राज्य में खेती-बाड़ी की स्थिति अच्छी नहीं है. इसलिए राज्य सरकार 20 अन्नदाताओं को 3500 रुपए पिछले वर्ष का दे और इस वर्ष हर किसान को 10-10 हजार रुपए की सहायता राशि और दे. उन्होंने कहा कि उन्होने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से इस बारे में बात की है.

'केंद्र के कारण किसानों को मदद करने में हो रही है मुश्किल': कांग्रेस के एक विधायक उमाशंकर अकेला ने जहां खुलकर किसानों को सुखाड़ राहत के लिए मिलने वाली सहायता देने में राज्य की विफलता को उजागर कर दिया है. वहीं एक और विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने यह तो माना कि एक बड़ी संख्या वैसे किसानों की है, जिन्हें पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से हुए नुकसान का कोई मुआवजा नहीं मिला है. लेकिन इसके लिए वह राज्य की सरकार से ज्यादा केंद्र की सरकार को दोषी ठहराती हैं.

दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि लगातार दूसरी बार राज्य सुखाड़ की स्थिति में हैं. उन्होंने बताया कि पिछली बार 32 नहीं 43 लाख किसानों को 35 सौ रुपये की मदद देने की बात थी. लेकिन 13-14 लाख किसानों को ही यह सहायता राशि मिल सका है. कांग्रेस की महिला विधायक ने कहा कि केंद्र, जनहित के कार्यों के लिए राज्य को पैसा नहीं दे रही है. उन्होने कहा कि ना सिर्फ किसानों के राहत के लिए बल्कि पोषण सखी, तेजस्विनी योजना में भी केंद्र का यही रुख है.

किसानों को लेकर राज्य सरकार की मंशा ठीक नहीं-आजसू: वहीं इस मामले में आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की मंशा किसानों को लेकर ठीक नहीं है. इसलिए राज्य में पिछले वर्ष पड़े भयानक सुखाड़ के लिए राज्य सरकार द्वारा घोषित 3500 रुपये की सहायता राशि से ज्यादातर किसान वंचित हैं. उन्होने कहा कि केंद्र से मदद नहीं मिलने की दलील में कोई दम नहीं है. राज्य सरकार के पास पर्याप्त पैसा है. करीब 01 लाख 16 हजार 453 करोड़ का बजट और अभी 11,988 करोड़ का अनुपूरक बजट लाया गया है. इनकी मंशा ही ठीक नहीं है.

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