रांची: झारखंड पुलिस के द्वारा कई ऐसी वारदातों का बेहतर अनुसंधान के बल पर खुलासा किया गया है, जो बेहद ब्लाइंड केस थे. झारखंड के कई जिलों में आपराधिक वारदातों को बेहतरीन तरीके से जांच कर उसकी तह तक पहुंचा गया और अपराधियों को न सिर्फ सलाखों के पीछे पहुंचाया गया, बल्कि पूरे कांड का भी खुलासा हुआ. झारखंड पुलिस में अनुसंधान के स्तर को सुधारने के लिए अब वैसे कांडों की सूची तैयार हो रही है, जिसमें पुलिस या जांच एजेंसियों ने बेहतर अनुसंधान कर आरोपी को सजा दिलायी हो.
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आईटीएस में बन रही सूची: पुलिस अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए बनी आईटीएस के द्वारा वैसे कांडों की सूची तैयार की जा रही है, जिसे केस स्टडी के तौर पर ट्रेनिंग सिलेबस में शामिल किया जा सके. झारखंड पुलिस की आईटीएस केस स्टडी के तौर पर आपराधिक मामलों के साथ-साथ आर्थिक अपराध, साइबर अपराध के नई पहलुओं पर भी ट्रेनिंग के लिए केस स्टडी की तलाश पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसियों से की जा रही है. इन केस स्टडी को नए बहाल पुलिसकर्मियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है. खासकर साल 2018 बैच के सब-इंस्पेक्टर के लिए यह काफी फायदेमंद होगा क्योंकि उनकी ट्रेनिंग लगातार अलग-अलग जगह पर चल रही है.
किस तरह के केस हो सकते हैं स्टडी में शामिल: झारखंड के सभी जिलों में वर्षों पुराने या फिर हाल के वैसे केस जिनमें पुलिस ने बेहतरीन अनुसंधान के बल पर अपराधियों को सजा दिलाई हो. वैसे केस को स्टडी के लिए एकत्र किया जा रहा है. झारखंड के दुमका में हुए एक गैंगरेप की वारदात के बाद पुलिस ने त्वरित अनुसंधान करते हुए मात्र दो महीने के भीतर ही आरोपियों को सजा दिलवा दी थी. इस केस को भी ट्रेनिंग में अब तक पढ़ाया जाता है. ऐसे ही मामलों की लिस्ट बनाकर उसकी जांच रिपोर्ट ट्रेनिंग स्कूल में जमा की जा रही है ताकि जो अफसर पढ़ने के लिए आए उनके ट्रेनिंग को बेहतर करने के लिए यह केस स्टडी काम आए.
लगातार चल रही है ट्रेनिंग: गौरतलब है कि कोविड संक्रमण की वजह से पुलिस का ट्रेनिंग कार्यक्रम पिछले 2 वर्षों तक प्रभावित रहा था, लेकिन 2021 से ट्रेंनिग की शुरुआत हो चुकी है. इसमें साइबर से लेकर हर तरह के अपराध की गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ऐसे में बेहतर केस स्टडी ट्रेनिंग लेने वाले पुलिसकर्मियों को भविष्य की तैयारियों में अच्छी मदद करेगा.