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Protest in Ranchi: तेजस्विनी कर्मचारियों का प्रदर्शन, प्रोजेक्ट भवन घेराव के दौरान पुलिस के साथ हुई नोकझोंक - ईटीवी भारत न्यूज

झारखंड में तेजस्विनी प्रोजेक्ट बंद होने पर तेजस्विनी कर्मचारी लगातार आंदोलनरत हैं. इसको लेकर सोमवार को रांची में तेजस्विनी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. यहां प्रोजेक्ट भवन घेराव करने पहुंचे कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की नोकझोंक भी हुई.

Etv BharatPolice clash with Tejashwi workers protest in Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 11, 2023, 3:33 PM IST

Updated : Sep 11, 2023, 3:55 PM IST

देखें पूरी खबर

रांचीः सेवा विस्तार की मांग को लेकर आंदोलनरत राज्य के तेजस्विनी कर्मचारी सोमवार को प्रोजेक्ट भवन घेराव के लिए राजधानी रांची पहुंचे. हालांकि इस दौरान प्रभात तारा मैदान से प्रोजेक्ट भवन जा रहे तेजस्विनी कर्मचारियों को प्रशासन द्वारा बीच में ही रोक दिया गया. जिस वजह से वे प्रोजेक्ट भवन तक नहीं जा सके. इस दौरान आंदोलनकारियों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई. प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाए जाने से तेजस्विनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी साफ देखी गयी. आंदोलनकारियों की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया था.

इसे भी पढ़ें- Video: सीएम आवास घेरने निकले तेजस्विनी कर्मियों को प्रशासन ने रोका, की जमकर नारेबाजी

2017 में शुरू हुआ था तेजस्विनी प्रोजेक्टः 2017 में विश्व बैंक की सहायता से राज्य में 14 से 24 साल की किशोरियों के बीच कौशल विकास और शिक्षापरक जानकारी देने के लिए तेजस्विनी प्रोजेक्ट की शुरुआत दुमका और रामगढ़ से की गई थी. जिसके बाद राज्य के 15 जिले को भी जोड़ा गया इस तरह से 17 जिलों में यह प्रोजेक्ट चलता रहा. इसके तहत तेजस्विनी कार्यकर्ता से लेकर राज्य स्तर तक में नोडल पदाधिकारी नियुक्त किए गए. करीब 5 वर्ष तक यह प्रोजेक्ट चलता रहा जिसके तहत राज्य में नियुक्त 10 हजार तेजस्विनी कार्यकर्ताओं में 8 हजार महिला कार्यकर्ता शामिल हैं. इन महिला कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह 2 हजार 300 रुपया मानदेय के रूप में मिलता है.

25 अगस्त को सरकार ने तेजस्विनी प्रोजेक्ट सेवा समाप्त करने का निर्णय लियाः महिला एवं बाल विकास द्वारा संचालित इस परियोजना को राज्य सरकार ने 25 अगस्त को अचानक बंद कर दिया. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि विश्व बैंक के द्वारा इसे आगे जारी रखने को लेकर हरी झंडी नहीं मिली है और इस योजना का जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है.

सरकार के निर्णय से इस परियोजना से जुड़े करीब 10 हजार कार्यकर्ता सड़क पर आ गए. इसके विरोध में तेजस्विनी कार्यकर्ता आक्रोशित हैं. तेजस्विनी कार्यकर्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष आशीष विजय ने सरकार पर नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि सेवा विस्तार के बजाय विभाग के द्वारा इस परियोजना को बंद कर दिया गया है, जिससे यहां के दस हजार मूलवासी बेरोजगार हो गए, जिसमें करीब 8 हजार महिलाएं शामिल हैं.

रामगढ़ की तेजस्विनी कार्यकर्ता निधि कहती हैं कि सरकार ने तेजस्विनी कार्यकर्ताओं के आंदोलन से डर कर धारा 144 लगाया गया है, हम भले ही प्रोजेक्ट भवन नहीं जाएं लेकिन हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा. सरायकेला खरसावां की सुषमा शर्मा कहती हैं कि सरकार से हम लोग लगातार गुहार लगाते रहे हैं सेवा विस्तार का भरोसा भी दिया जाता रहा मगर अचानक से 25 अगस्त को इसे बंद करने की घोषणा कर सरकार ने महिलाओं के साथ अन्याय किया है.

बहरहाल तेजस्विनी प्रोजेक्ट को बंद किए जाने से एक तरफ करीब दस हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं. दूसरी ओर सरकार द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि विश्व बैंक द्वारा योजना बंद किए जाने से यह हालात पैदा हुए हैं.

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रांचीः सेवा विस्तार की मांग को लेकर आंदोलनरत राज्य के तेजस्विनी कर्मचारी सोमवार को प्रोजेक्ट भवन घेराव के लिए राजधानी रांची पहुंचे. हालांकि इस दौरान प्रभात तारा मैदान से प्रोजेक्ट भवन जा रहे तेजस्विनी कर्मचारियों को प्रशासन द्वारा बीच में ही रोक दिया गया. जिस वजह से वे प्रोजेक्ट भवन तक नहीं जा सके. इस दौरान आंदोलनकारियों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई. प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाए जाने से तेजस्विनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी साफ देखी गयी. आंदोलनकारियों की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया था.

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2017 में शुरू हुआ था तेजस्विनी प्रोजेक्टः 2017 में विश्व बैंक की सहायता से राज्य में 14 से 24 साल की किशोरियों के बीच कौशल विकास और शिक्षापरक जानकारी देने के लिए तेजस्विनी प्रोजेक्ट की शुरुआत दुमका और रामगढ़ से की गई थी. जिसके बाद राज्य के 15 जिले को भी जोड़ा गया इस तरह से 17 जिलों में यह प्रोजेक्ट चलता रहा. इसके तहत तेजस्विनी कार्यकर्ता से लेकर राज्य स्तर तक में नोडल पदाधिकारी नियुक्त किए गए. करीब 5 वर्ष तक यह प्रोजेक्ट चलता रहा जिसके तहत राज्य में नियुक्त 10 हजार तेजस्विनी कार्यकर्ताओं में 8 हजार महिला कार्यकर्ता शामिल हैं. इन महिला कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह 2 हजार 300 रुपया मानदेय के रूप में मिलता है.

25 अगस्त को सरकार ने तेजस्विनी प्रोजेक्ट सेवा समाप्त करने का निर्णय लियाः महिला एवं बाल विकास द्वारा संचालित इस परियोजना को राज्य सरकार ने 25 अगस्त को अचानक बंद कर दिया. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि विश्व बैंक के द्वारा इसे आगे जारी रखने को लेकर हरी झंडी नहीं मिली है और इस योजना का जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है.

सरकार के निर्णय से इस परियोजना से जुड़े करीब 10 हजार कार्यकर्ता सड़क पर आ गए. इसके विरोध में तेजस्विनी कार्यकर्ता आक्रोशित हैं. तेजस्विनी कार्यकर्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष आशीष विजय ने सरकार पर नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि सेवा विस्तार के बजाय विभाग के द्वारा इस परियोजना को बंद कर दिया गया है, जिससे यहां के दस हजार मूलवासी बेरोजगार हो गए, जिसमें करीब 8 हजार महिलाएं शामिल हैं.

रामगढ़ की तेजस्विनी कार्यकर्ता निधि कहती हैं कि सरकार ने तेजस्विनी कार्यकर्ताओं के आंदोलन से डर कर धारा 144 लगाया गया है, हम भले ही प्रोजेक्ट भवन नहीं जाएं लेकिन हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा. सरायकेला खरसावां की सुषमा शर्मा कहती हैं कि सरकार से हम लोग लगातार गुहार लगाते रहे हैं सेवा विस्तार का भरोसा भी दिया जाता रहा मगर अचानक से 25 अगस्त को इसे बंद करने की घोषणा कर सरकार ने महिलाओं के साथ अन्याय किया है.

बहरहाल तेजस्विनी प्रोजेक्ट को बंद किए जाने से एक तरफ करीब दस हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं. दूसरी ओर सरकार द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि विश्व बैंक द्वारा योजना बंद किए जाने से यह हालात पैदा हुए हैं.

Last Updated : Sep 11, 2023, 3:55 PM IST
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