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Ranchi News: रांची में देखरेख के अभाव में गिर रहे पेड़, वृक्षारोपण में जुटा वन विभाग - jharkhand news

रांची में प्रदूषण को कम करने के लिए करीब 90 हजार पेड़ लगाए जा रहे हैं. लेकिन लोगों के उदासीन रवैया के कारण पेड़ों का विकास नहीं हो पा रहा है, तो वहीं कई पेड़ गिर जा रहे हैं.

plantation in ranchi
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Published : May 1, 2023, 9:09 AM IST

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रांची: राजधानी में प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए वन विभाग लगातार पेड़ लगाने की कवायद में जुटा हुआ है. इसी के मद्देनजर निगम क्षेत्र और राजधानी रांची के आसपास के इलाकों में करीब 90 हजार पेड़ लगाए जा रहे हैं. लेकिन, लगाए जा रहे कई पेड़ देखरेख के अभाव में गिर जा रहे हैं तो कई पेड़ों का विकास ही नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़ें: Palamu News: पीटीआर में वन्य जीवों के प्यास बुझाने के नाम पर लाखों खर्च, फिर भी प्यास बुझाने को भटक रहे जानवर

रिंग रोड क्षेत्र और नए विधानसभा परिसर में लगाए गए पेड़ धाराशायी हो रहे हैं, जिस वजह से लगाए गए पेड़ की आयु नहीं बढ़ पा रही है. गिर रहे पेड़ को लेकर रांची के जिला वन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि कई बार पेड़ों के जड़ जमीन को नहीं पकड़ पाते, जिस कारण लगाए गए पेड़ गिर जाते हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग का उद्देश्य है कि राज्य का 33% भूभाग वनों से भरा हो, ताकि झारखंड में प्राकृतिक सौंदर्य बना रहे.

गिर रहे पेड़ों की तुरंत वन विभाग को दें सूचना: वन विभाग के पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा ने बताया कि जिस प्रकार से बड़े-बड़े शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए बड़े-बड़े पेड़ लगाए गए हैं. उसी प्रकार से राजधानी रांची में भी पेड़ लगाने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वन विभाग की तरफ से लगाए गए पेड़ जो गिर रहे हैं, उनकी सूचना तुरंत ही वन विभाग को दें ताकि संबंधित पदाधिकारियों को तुरंत ही गिरे हुए पेड़ को सुरक्षित करने के लिए मौके पर भेजा जा सके.

यह भी पढ़ें: जमीन घोटाला मामले में रांची सदर रजिस्ट्रार से सोमवार को ईडी करेगी पूछताछ, खुल सकते हैं कई राज

वन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि साल में दो बार किये गए पौधारोपण की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि शहर के विकास या फिर अन्य कार्यों के लिए जब पेड़ काटे जाते हैं तो उसके बाद भारत सरकार की नियमावली के अनुसार जितने क्षेत्र में पेड़ काटे गए हैं. उस क्षेत्र में पेड़ लगाने की जिम्मेदारी भी वन विभाग की होती है. पेड़ के समुचित विकास के लिए साल में दो बार गणना भी की जाती है, ताकि वन विभाग को यह पता चल सके कि कितने पेड़ लगे हुए हैं और कितने पेड़ नष्ट हो गए हैं. वहीं उन्होंने कहा कि जहां पर रोड के बगल में पेड़ लगाए जाते हैं, वहां पर छोटे पौधों का बचना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन उसके बावजूद वन विभाग वैसे पेड़ों को बचाने के लिए बेहतर फेंसिंग करने की कोशिश कर रहा है ताकि वाहनों या फिर आवारा जानवरों से पेड़ों को बचाया जा सके.

'लोगों के उदासीन रवैया के कारण नहीं हो पा रहा पेड़ों को विकास': गौरतलब है कि शहरी क्षेत्रों में विकास के बढ़ रहे कार्यों को लेकर कई बार पेड़ काटने पड़ते हैं. ऐसे में पेड़ों की संख्या को बरकरार रखने के लिए वन विभाग के द्वारा विभिन्न जगहों पर पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन वन विभाग और आम लोगों के उदासीन रवैया के कारण कई पेड़ों का विकास समुचित रूप से नहीं हो पाता है. ऐसे में वन विभाग के साथ-साथ आम लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वातावरण को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए पेड़ों का संरक्षण करें ताकि राजधानी रांची अपने सुंदर वातावरण को लेकर एक बार फिर से जाना जा सके.

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रांची: राजधानी में प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए वन विभाग लगातार पेड़ लगाने की कवायद में जुटा हुआ है. इसी के मद्देनजर निगम क्षेत्र और राजधानी रांची के आसपास के इलाकों में करीब 90 हजार पेड़ लगाए जा रहे हैं. लेकिन, लगाए जा रहे कई पेड़ देखरेख के अभाव में गिर जा रहे हैं तो कई पेड़ों का विकास ही नहीं हो पा रहा है.

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रिंग रोड क्षेत्र और नए विधानसभा परिसर में लगाए गए पेड़ धाराशायी हो रहे हैं, जिस वजह से लगाए गए पेड़ की आयु नहीं बढ़ पा रही है. गिर रहे पेड़ को लेकर रांची के जिला वन पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा बताते हैं कि कई बार पेड़ों के जड़ जमीन को नहीं पकड़ पाते, जिस कारण लगाए गए पेड़ गिर जाते हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग का उद्देश्य है कि राज्य का 33% भूभाग वनों से भरा हो, ताकि झारखंड में प्राकृतिक सौंदर्य बना रहे.

गिर रहे पेड़ों की तुरंत वन विभाग को दें सूचना: वन विभाग के पदाधिकारी श्रीकांत वर्मा ने बताया कि जिस प्रकार से बड़े-बड़े शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए बड़े-बड़े पेड़ लगाए गए हैं. उसी प्रकार से राजधानी रांची में भी पेड़ लगाने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वन विभाग की तरफ से लगाए गए पेड़ जो गिर रहे हैं, उनकी सूचना तुरंत ही वन विभाग को दें ताकि संबंधित पदाधिकारियों को तुरंत ही गिरे हुए पेड़ को सुरक्षित करने के लिए मौके पर भेजा जा सके.

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वन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि साल में दो बार किये गए पौधारोपण की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि शहर के विकास या फिर अन्य कार्यों के लिए जब पेड़ काटे जाते हैं तो उसके बाद भारत सरकार की नियमावली के अनुसार जितने क्षेत्र में पेड़ काटे गए हैं. उस क्षेत्र में पेड़ लगाने की जिम्मेदारी भी वन विभाग की होती है. पेड़ के समुचित विकास के लिए साल में दो बार गणना भी की जाती है, ताकि वन विभाग को यह पता चल सके कि कितने पेड़ लगे हुए हैं और कितने पेड़ नष्ट हो गए हैं. वहीं उन्होंने कहा कि जहां पर रोड के बगल में पेड़ लगाए जाते हैं, वहां पर छोटे पौधों का बचना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन उसके बावजूद वन विभाग वैसे पेड़ों को बचाने के लिए बेहतर फेंसिंग करने की कोशिश कर रहा है ताकि वाहनों या फिर आवारा जानवरों से पेड़ों को बचाया जा सके.

'लोगों के उदासीन रवैया के कारण नहीं हो पा रहा पेड़ों को विकास': गौरतलब है कि शहरी क्षेत्रों में विकास के बढ़ रहे कार्यों को लेकर कई बार पेड़ काटने पड़ते हैं. ऐसे में पेड़ों की संख्या को बरकरार रखने के लिए वन विभाग के द्वारा विभिन्न जगहों पर पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन वन विभाग और आम लोगों के उदासीन रवैया के कारण कई पेड़ों का विकास समुचित रूप से नहीं हो पाता है. ऐसे में वन विभाग के साथ-साथ आम लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वातावरण को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए पेड़ों का संरक्षण करें ताकि राजधानी रांची अपने सुंदर वातावरण को लेकर एक बार फिर से जाना जा सके.

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