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कैसे स्वस्थ होंगे सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज? IPHS की अनदेखी कर परोसा जाता है घटिया भोजन - सरकारी अस्पतालों में आईपीएचएस की अनदेखी

झारखंड के सरकारी अस्पताल में मरीजों को घटिया भोजन मिलता है. झारखंड प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट के बावजूद सरकारी अस्पतालों के किचन में IPHS का नहीं पालन होता. सरकारी अस्पतालों में आईपीएचएस की अनदेखी से यहां भर्ती मरीज आखिर कैसे स्वस्थ होंगे, सवाल जरूर बड़ा है लेकिन इसका पुख्ता जवाब किसी के पास नहीं है.

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झारखंड
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Published : May 9, 2022, 4:25 PM IST

Updated : May 9, 2022, 10:46 PM IST

रांचीः झारखंड के सरकारी अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे मरीजों को भोजन और नाश्ता भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. कहने को तो सभी जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सुबह के नाश्ते से लेकर रात का भोजन तक की व्यवस्था सरकार करती है. लेकिन क्या वास्तव में मरीजों को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्ता ऐसी होती है कि वह मरीजों के जल्द ठीक होने में मददगार साबित हो.


झारखंड के प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट (वर्ष 2014-2019) में राज्य के पांच जिलों की स्थिति को बताती है. जिसमें यहां के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के भोजन को लेकर IPHS यानी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया जाता. इसके अलावा ना तो सरकारी अस्पतालों का किचन हाइजेनिक है और ना ही वहां काम करने वाले स्टाफ इसका ख्याल रखते हैं. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता जांचने की भी प्रारंभिक स्तर तक की कोई व्यवस्था नहीं है. हर चार से छह महीने पर फ़ूड सेफ्टी अफसर अस्पतालों के किचन और वहां बनने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच की औपचारिकता निभाते हैं.

देखें पूरी खबर

अब भी नहीं बदली स्थितिः राज्य के प्रधान महालेखाकार की वर्ष 2014-19 तक कि रिपोर्ट में जिन कमियों के जिक्र किया गया है, क्या समय के साथ उसमें कोई बदलाव हुआ है. इस सवाल के जवाब की उम्मीद में ईटीवी भारत की टीम ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल पहुंची. वहां पहंचने पर देखा कि मरीजों को दोपहर का भोजन दिया जा रहा था. दाल, भात और भिंडी आलू की सब्जी परोसा गया.

लेकिन खाने की गुणवत्ता की बात करें तो दाल में दाल की मात्रा कम और पानी की ज्यादा मिली. खाने का स्वाद और पौष्टिकता की बात ही बेमानी है. यहां भर्ती मरीज वैरोनिका मिंज व्यंग्य भरे लहजे में कहती हैं कि इतने सारे लोगों को कहां से अच्छा दाल देगा, इसलिए पानी मिला देता है. वहीं सुषमा देवी ईटीवी भारत से कहती हैं कि चार दिनों से वह भर्ती हैं पर भोजन अच्छा नहीं होता, सिर्फ हल्दी, नमक का स्वाद रहता है.

Patients get low standard food in government hospitals of Jharkhand
मरीजों को दिया जाने वाला भोजन

हाइजिन नहीं है अस्पताल का किचनः
रांची सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों का भोजन जिस किचन में बनता है. वहां की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है, यहां पर साफ-सफाई और हाइजिन पर कोई ध्यान नहीं है. सैकड़ों दवाइयों के कार्टन को किचन में ही रख दिया गया है. इतना ही नहीं इस किचन को खाली ऑक्सीजन सिलेंडर का डंप यार्ड बना दिया गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो जहां खाना बनाया जाता है वहीं पर सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
Patients get low standard food in government hospitals of Jharkhand
किचन में दवाइयों का जमावड़ा

मरीज के लिए पौष्टिक भोजन है जरूरीः विशेषज्ञ ममता बताती हैं कि भोजन सिर्फ पेट भरने का काम नहीं करता बल्कि कई बीमारियों में यह दवा जैसा काम करता है. मरीजों के रोग, उम्र, लिंग के हिसाब से भी भोजन में बदलाव होते हैं. क्या सदर अस्पताल में रोगियों को मिलने वाला भोजन IPHS के अनुसार होता है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब सिविल सर्जन या उपाधीक्षक ही दे पाएंगे.


ईटीवी भारत की टीम ने रांची सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की लेकिन फोन पर उन्होंने खुद को बाहर बताया. इसको लेकर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से कहा कि मरीजों को मिलने वाला खाना अभी ओल्ड टेंडर के अनुसार चल रहा है, नया टेंडर हो जाने पर व्यवस्था में सुधार होगा. सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. एके खेतान ने कहा कि वैसे खाना देखने में ठीक लगता है. उन्होंने कहा कि अगर इसमें जरूरत पड़ी को बदलाव किए जाएंगे. लेकिन सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर विभाग गंभीर नहीं है.

रांचीः झारखंड के सरकारी अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे मरीजों को भोजन और नाश्ता भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. कहने को तो सभी जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सुबह के नाश्ते से लेकर रात का भोजन तक की व्यवस्था सरकार करती है. लेकिन क्या वास्तव में मरीजों को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्ता ऐसी होती है कि वह मरीजों के जल्द ठीक होने में मददगार साबित हो.


झारखंड के प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट (वर्ष 2014-2019) में राज्य के पांच जिलों की स्थिति को बताती है. जिसमें यहां के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के भोजन को लेकर IPHS यानी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया जाता. इसके अलावा ना तो सरकारी अस्पतालों का किचन हाइजेनिक है और ना ही वहां काम करने वाले स्टाफ इसका ख्याल रखते हैं. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता जांचने की भी प्रारंभिक स्तर तक की कोई व्यवस्था नहीं है. हर चार से छह महीने पर फ़ूड सेफ्टी अफसर अस्पतालों के किचन और वहां बनने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच की औपचारिकता निभाते हैं.

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अब भी नहीं बदली स्थितिः राज्य के प्रधान महालेखाकार की वर्ष 2014-19 तक कि रिपोर्ट में जिन कमियों के जिक्र किया गया है, क्या समय के साथ उसमें कोई बदलाव हुआ है. इस सवाल के जवाब की उम्मीद में ईटीवी भारत की टीम ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल पहुंची. वहां पहंचने पर देखा कि मरीजों को दोपहर का भोजन दिया जा रहा था. दाल, भात और भिंडी आलू की सब्जी परोसा गया.

लेकिन खाने की गुणवत्ता की बात करें तो दाल में दाल की मात्रा कम और पानी की ज्यादा मिली. खाने का स्वाद और पौष्टिकता की बात ही बेमानी है. यहां भर्ती मरीज वैरोनिका मिंज व्यंग्य भरे लहजे में कहती हैं कि इतने सारे लोगों को कहां से अच्छा दाल देगा, इसलिए पानी मिला देता है. वहीं सुषमा देवी ईटीवी भारत से कहती हैं कि चार दिनों से वह भर्ती हैं पर भोजन अच्छा नहीं होता, सिर्फ हल्दी, नमक का स्वाद रहता है.

Patients get low standard food in government hospitals of Jharkhand
मरीजों को दिया जाने वाला भोजन

हाइजिन नहीं है अस्पताल का किचनः
रांची सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों का भोजन जिस किचन में बनता है. वहां की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है, यहां पर साफ-सफाई और हाइजिन पर कोई ध्यान नहीं है. सैकड़ों दवाइयों के कार्टन को किचन में ही रख दिया गया है. इतना ही नहीं इस किचन को खाली ऑक्सीजन सिलेंडर का डंप यार्ड बना दिया गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो जहां खाना बनाया जाता है वहीं पर सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
Patients get low standard food in government hospitals of Jharkhand
किचन में दवाइयों का जमावड़ा

मरीज के लिए पौष्टिक भोजन है जरूरीः विशेषज्ञ ममता बताती हैं कि भोजन सिर्फ पेट भरने का काम नहीं करता बल्कि कई बीमारियों में यह दवा जैसा काम करता है. मरीजों के रोग, उम्र, लिंग के हिसाब से भी भोजन में बदलाव होते हैं. क्या सदर अस्पताल में रोगियों को मिलने वाला भोजन IPHS के अनुसार होता है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब सिविल सर्जन या उपाधीक्षक ही दे पाएंगे.


ईटीवी भारत की टीम ने रांची सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की लेकिन फोन पर उन्होंने खुद को बाहर बताया. इसको लेकर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से कहा कि मरीजों को मिलने वाला खाना अभी ओल्ड टेंडर के अनुसार चल रहा है, नया टेंडर हो जाने पर व्यवस्था में सुधार होगा. सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. एके खेतान ने कहा कि वैसे खाना देखने में ठीक लगता है. उन्होंने कहा कि अगर इसमें जरूरत पड़ी को बदलाव किए जाएंगे. लेकिन सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर विभाग गंभीर नहीं है.

Last Updated : May 9, 2022, 10:46 PM IST
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