रांची: झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षक 15 से 19 मार्च तक विधानसभा का घेराव करेंगे. इसे लेकर रणनीति तैयार कर ली गई है. पारा शिक्षकों में स्थायीकरण और वेतनमान नहीं दिए जाने को लेकर नाराजगी है. इन शिक्षकों का कहना है कि पिछले 20 सालों से सरकारी विद्यालय में शिक्षण कार्य कर रहे हैं, कई पारा शिक्षक रिटायर हो गए हैं और कितनों की मृत्यु हो गई, लेकिन राज्य सरकार के ओर से ना रिटायरमेंट के बाद और न ही मृत्यु के बाद भी एक रुपया पारा शिक्षकों को राज्य सरकार की ओर से दिया गया है.
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लगभग 3 हजार अप्रशिक्षित पारा शिक्षक 17 सालों से सेवा कर रहे हैं, जिनको अप्रशिक्षित एवं एनसी के नाम पर लगभग 24 महीने से मानदेय नहीं दिया गया है. बार-बार मुख्यमंत्री और विभागीय पदाधिकारी से संपर्क करने के बाद भी उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.
कमेटी ने अब तक नहीं लिया कोई निर्णय
साल 2018 से पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें इन पारा शिक्षकों ने लगभग 13 राज्यों का भ्रमण किया था और भ्रमण कर 9 जून को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में स्थायीकरण और वेतनमान के लिए एक अंतिम बैठक की गई थी. उसके बावजूद आज तक बैठक में लिए गए निर्णयों को संशोधित कर लागू नहीं किया गया, जबकि वर्तमान में शिक्षा विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ही है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव के समय वादा किया था कि जैसे ही हमारी सरकार बनेगी, 3 महीने के अंदर राज्य के पारा शिक्षकों को स्थायीकरण और वेतनमान देते हुए उनके भविष्य को सुरक्षित किया जाएगा.
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पारा शिक्षकों ने सरकार को दी चेतावनी
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य इकाई के सदस्यों ने बताया कि लगभग 14 महीने हो गए, लेकिन आज तक सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है. राज्य इकाई के सदस्य बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, ऋषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, सिंटू सिंह मोहन मंडल दशरथ ठाकुर ने घोषणा की है कि अगर 14 मार्च तक संशोधित कर नियमावली लागू नहीं किया जाता है तो 15 मार्च से लेकर 19 मार्च तक विधानसभा का घेराव किया जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती तब तक चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा.