रांची: एक तरफ राज्य में दुर्गा पूजा की धूम है, वहीं दूसरी ओर राज्य के 18,000 पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों में उदासी है. सेवा स्थायीकरण सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में बीते 107 दिनों से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक सरकार के बेरुखी से खासे नाराज हैं. राजभवन के सामने आंदोलन कर रहे इन पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का मानना है कि अब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि आंदोलनकारी के साथ वार्ता करने के लिए आगे नहीं आया है. इससे स्पष्ट होता है कि राज्य में कैसी सरकार चल रही है.
पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार कहते हैं कि हमारी सिर्फ पांच मांगें हैं, जिसे पूरा करने में सरकार को कोई परेशानी नहीं है. इसके बावजूद सरकार राज्य के 18,000 पंचायत सचिवालय स्वयं सेवकों के साथ उदासीन है. हम पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को नियमित मानदेय देने की बात कर रहे हैं. हम इस पद का नाम बदलकर स्वयंसेवक के स्थान पर पंचायत सहायक रखने की बात कर रहे हैं. हम मुख्यमंत्री से वार्ता करने की बात कर रहे हैं, मगर इन सारी बातों पर सरकार के कोई भी आला अधिकारी सुधि लेने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.
पंचायत स्वयंसेवक की मांग, कब तक होती रहेगी अनसुनी
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को नियमित मानदेय मिले.
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक का नाम बदलकर पंचायत सहायक हो.
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का पंचायती राज विभाग में समायोजन हो.
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को स्थायी किया जाए.
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यसचिव के साथ वार्ता कराई जाए.
150 आवेदन के बाबजूद मुख्यमंत्री से नहीं मिला मिलने का समय: आंदोलनरत पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के द्वारा अब तक डेढ़ सौ आवेदन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजा गया है. इस आवेदन के जरिए आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बातों को रखना चाहते हैं. इसके लिए समय की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें समय नहीं मिला है.
हजारीबाग की रीमा कुमारी सरकार के इस बेरुखी से काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि एक तरफ लोग दुर्गा पूजा मना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर हमारी जैसी महिला सड़क पर आंदोलन करने को विवश है. पलामू की उर्मिला देवी कहती हैं सरकार बार-बार पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को ठग रही है. ऐसे में अनिश्चितकालीन यह आंदोलन जारी रखना हमलोगों के लिए मजबूी है. हालत यही रही तो दीपावली और छठ भी सड़क पर ही मनेगा. सरकार को किस बात की नाराजगी है वह समझ में नहीं आती है. यदि हालात ऐसे रहे तो हम सभी पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक परिवार के साथ राजभवन के समक्ष आत्मदाह करने को मजबूर हो जाएंगे.
गौरतलब है कि रघुवर सरकार के समय 2016 में पंचायत स्तर पर राज्य में स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गई थी. पंचायत स्तर पर सरकार के विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए प्रत्येक पंचायत में चार-चार पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक बनाए गए थे जिन्हें काम आधारित भत्ता मिलता था. सरकार बदलते ही सोच भी बदली और पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक से काम लेना विभाग ने बंद कर दिया. हालत यह है कि राज्य के 18,000 पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक आज सड़क पर हैं और सरकार से पंचायती राज विभाग में समायोजित करने की मांग कर रहे हैं.