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Jharkhand Weather Update: झारखंड के 14 जिलों में ओलावृष्टि को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी, किसानों को खेत में नहीं जाने की सलाह

आगामी दिनों में प्रदेश के मौसम का मिजाज बदलने वाला है. रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने झारखंड के 14 जिलों में ओलावृष्टि के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. गुरुवार को दो जिलों में वज्रपात के लिए तात्कालिक चेतावनी जारी हुई है, जिसमें किसानों को खेत में नहीं जाने की सलाह दी गयी है.

Orange alert issued for hailstorm in 14 districts of Jharkhand
झारखंड के 14 जिलों में ओलावृष्टि को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी
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Published : Mar 16, 2023, 2:22 PM IST

रांचीः रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने राज्य के 14 जिलों में 17 मार्च को ओलावृष्टि के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. जिन जिलों के ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. उनमें गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पूर्वी सिंहभूम शामिल है.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand Weather Alert: सावधान! राजधानी समेत इन इलाकों में ओलावृष्टि का अलर्ट, जानिए अगले पांच दिनों तक कैसा रहेगा मौसम

गुरुवार को इन जिलों में वज्रपात की तात्कालिक चेतावनी जारीः रांची मौसम केंद्र ने गुरुवार के मौसम के मिजाज को लेकर दो जिलों को लेकर अलर्ट जारी किया है. गढ़वा, सिमडेगा जिला के लिए अगले तीन से चार घंटे के अंदर मध्यम दर्जे की मेघ गर्जन और वज्रपात के साथ साथ वर्षा होने की तात्कालिक चेतावनी जारी की है. इन दो जिलों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा भी चल सकती है.

सिमडेगा और गढ़वा के लोग मौसम साफ होने तक रहें सावधानः वज्रपात की तात्कालिक चेतावनी जारी होने के बाद मौसम केंद्र ने गढ़वा और सिमडेगा के लोगों के सतर्क और सावधान रहने की सलाह दी है. मौसम खराब होने की स्थिति में सुरक्षित स्थान में शरण लेने की सलाह दी है. वज्रपात या पानी से बचने के लिए पेड़ के नीचे नहीं जाने, बिजली खंभों से दूर रहने और मौसम साफ होने तक किसानों को खेत में नहीं जाने को कहा है.

इन फसलों पर ओलावृष्टि का पड़ता है खराब प्रभावः ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल पर खराब असर पड़ता है. ओलावृष्टि के वजह से गेंहू के दाने देर से पकते हैं और तेज ओलावृष्टि के कारण फसलें लेट हो जाती हैं. इससे बचाव के लिए परिपक्व हो चुके फसलों की कटाई करके उसे सूखे स्थान पर सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है. ओलावृष्टि का सरसों की फसल पर भी व्यापक और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

ओलावृष्टि की वजह से फसलें झुक जाती हैं और जड़ में वृद्धि रुक जाने, तना में सड़न और अल्टरनरिया ब्लाइट जैसी बीमारी हो जाती है. सरसों फली भी गिरने लगता है. इसके बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक परिपक्व हो चुके सरसों के फसल को कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रखने की सलाह देते हैं. अगर फली पीली-भूरी भी हो गई हो तो उसकी कटाई कर लेनी चाहिए.
फल एवं सब्जियों पर भी ओलावृष्टि और भारी वर्षा के कारण खराब हो जाता है. सब्जियों का सड़ना, टमाटर के फल और फूल की बूंदे फलों पर चटकना जैसी समस्याएं आती हैं. ओलावृष्टि का असर दलहनी फसल पर भी पड़ता है. फली का विकास सही से नहीं होता, वहीं विकास की अवस्था में फसलों की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता है. फफूंद रोग समेत अन्य रोगों का खतरा भी बना रहता है.

रांचीः रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने राज्य के 14 जिलों में 17 मार्च को ओलावृष्टि के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. जिन जिलों के ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. उनमें गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पूर्वी सिंहभूम शामिल है.

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गुरुवार को इन जिलों में वज्रपात की तात्कालिक चेतावनी जारीः रांची मौसम केंद्र ने गुरुवार के मौसम के मिजाज को लेकर दो जिलों को लेकर अलर्ट जारी किया है. गढ़वा, सिमडेगा जिला के लिए अगले तीन से चार घंटे के अंदर मध्यम दर्जे की मेघ गर्जन और वज्रपात के साथ साथ वर्षा होने की तात्कालिक चेतावनी जारी की है. इन दो जिलों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा भी चल सकती है.

सिमडेगा और गढ़वा के लोग मौसम साफ होने तक रहें सावधानः वज्रपात की तात्कालिक चेतावनी जारी होने के बाद मौसम केंद्र ने गढ़वा और सिमडेगा के लोगों के सतर्क और सावधान रहने की सलाह दी है. मौसम खराब होने की स्थिति में सुरक्षित स्थान में शरण लेने की सलाह दी है. वज्रपात या पानी से बचने के लिए पेड़ के नीचे नहीं जाने, बिजली खंभों से दूर रहने और मौसम साफ होने तक किसानों को खेत में नहीं जाने को कहा है.

इन फसलों पर ओलावृष्टि का पड़ता है खराब प्रभावः ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल पर खराब असर पड़ता है. ओलावृष्टि के वजह से गेंहू के दाने देर से पकते हैं और तेज ओलावृष्टि के कारण फसलें लेट हो जाती हैं. इससे बचाव के लिए परिपक्व हो चुके फसलों की कटाई करके उसे सूखे स्थान पर सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है. ओलावृष्टि का सरसों की फसल पर भी व्यापक और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

ओलावृष्टि की वजह से फसलें झुक जाती हैं और जड़ में वृद्धि रुक जाने, तना में सड़न और अल्टरनरिया ब्लाइट जैसी बीमारी हो जाती है. सरसों फली भी गिरने लगता है. इसके बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक परिपक्व हो चुके सरसों के फसल को कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रखने की सलाह देते हैं. अगर फली पीली-भूरी भी हो गई हो तो उसकी कटाई कर लेनी चाहिए.
फल एवं सब्जियों पर भी ओलावृष्टि और भारी वर्षा के कारण खराब हो जाता है. सब्जियों का सड़ना, टमाटर के फल और फूल की बूंदे फलों पर चटकना जैसी समस्याएं आती हैं. ओलावृष्टि का असर दलहनी फसल पर भी पड़ता है. फली का विकास सही से नहीं होता, वहीं विकास की अवस्था में फसलों की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता है. फफूंद रोग समेत अन्य रोगों का खतरा भी बना रहता है.

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