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Jharkhand Politics: क्या आजसू आठ बरस पहले का बदला कांग्रेस से ले पाएगा, जानिए 8 साल पहले का वो वाकया

राजनीति में शह मात का खेल चलता रहता है. नेता हर समय मौके की तलाश में रहते हैं. इस बार मौका आजूस के लिए है, जो कांग्रेस से आठ साल बाद हिसाब चुकता करना चाहता है.

Opportunity for AJSU in Ramgarh to avenge defeat from Congress
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Published : Feb 16, 2023, 10:32 AM IST

रांची: इन दिनों झारखंड की पूरी राजनीति रामगढ़ शिफ्ट हो गई है. हो भी क्यों ना, यहां उपचुनाव जो हो रहा है. कांग्रेस की निवर्तमान विधायक ममता देवी को गोला गोली कांड में सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गई और यह सीट खाली हो गई. इस सीट पर 27 फरवरी को मतदान होना है. यहां पर यूपीए और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं. दोनों ही गठबंधन जीत की रणनीति को फिल्ड में आजमा रहे हैं. यह उपचुनाव आजसू के लिए आठ साल पहले मिली हार का बदला लेने का मौका है.

ये भी पढ़ें- Ramgarh By-Election: उपचुनाव को लेकर प्रशासन सख्त, तीन दिन के अंदर 16.40 लाख रुपये जब्त

क्या हुआ था आठ साल पहले: आठ साल पहले 2015 में लोहरदगा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत और आजसू प्रत्याशी नीरू शांति भगत के बीच सीधा मुकाबला था. उस समय झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी और आजसू सत्ता में भागीदार. लोहरदगा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत ने 23 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.

क्यों हुआ था उपचुनाव: 28 सितंबर 1993 की शाम रांची के प्रतिष्ठित डॉक्टर केके सिन्हा के चेंबर में आजूस के कुछ लोग घुस गए और उनके साथ मारपीट और फायरिंग की घटना को अंजाम दिया. इस मामले में जून 2015 में रांची की एक अदालत ने आजूस के विधायक कमल किशोर भगत को सात साल कैद की सजा सुनाई. सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गई और लोहरदगा में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में केके भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को आजसू ने प्रत्याशी बनाया था जिनका समर्थन बीजेपी ने भी किया था.

ये भी पढ़ें- Ramgarh By-Election: बिन सीएम कैसे होगा नैया पार! कांग्रेस स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं हैं सहयोगी दलों के नेताओं के नाम

लोहरदगा और रामगढ़ में समानता: 2015 में लोहदगा में जब आजसू के विधायक केके भगत को सजा मिली थी तब राज्य में आजसू सत्ता में साझीदार था, 2022 में जब कांग्रेस के विधायक ममता देवी को सजा मिली तब कांग्रेस झारखंड की सत्ता में साझीदार है और राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है. 2015 में आजसू के तत्कालीन विधायक केके भगत की पत्नी मैदान में थीं और 2023 निवर्तमान विधायक ममता देवी के पति मैदान में हैं.

आठ साल बाद बदला लेने का मौका: 2015 में लोहरदगा में आजसू के लिए जो हालात थे लगभग वैसी ही स्थिति आज कांग्रेस के लिए रामगढ़ में है. उस वक्त कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत ने सत्ताधारी दल आजसू से उनकी सीट छीन ली थी. आज आजसू के पास मौका है कि वह भी सत्ताधारी दल कांग्रेस से उनकी सीट छीन कर 2015 का हिसाब बराबर कर ले.

रांची: इन दिनों झारखंड की पूरी राजनीति रामगढ़ शिफ्ट हो गई है. हो भी क्यों ना, यहां उपचुनाव जो हो रहा है. कांग्रेस की निवर्तमान विधायक ममता देवी को गोला गोली कांड में सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गई और यह सीट खाली हो गई. इस सीट पर 27 फरवरी को मतदान होना है. यहां पर यूपीए और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं. दोनों ही गठबंधन जीत की रणनीति को फिल्ड में आजमा रहे हैं. यह उपचुनाव आजसू के लिए आठ साल पहले मिली हार का बदला लेने का मौका है.

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क्या हुआ था आठ साल पहले: आठ साल पहले 2015 में लोहरदगा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत और आजसू प्रत्याशी नीरू शांति भगत के बीच सीधा मुकाबला था. उस समय झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी और आजसू सत्ता में भागीदार. लोहरदगा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत ने 23 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.

क्यों हुआ था उपचुनाव: 28 सितंबर 1993 की शाम रांची के प्रतिष्ठित डॉक्टर केके सिन्हा के चेंबर में आजूस के कुछ लोग घुस गए और उनके साथ मारपीट और फायरिंग की घटना को अंजाम दिया. इस मामले में जून 2015 में रांची की एक अदालत ने आजूस के विधायक कमल किशोर भगत को सात साल कैद की सजा सुनाई. सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गई और लोहरदगा में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में केके भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को आजसू ने प्रत्याशी बनाया था जिनका समर्थन बीजेपी ने भी किया था.

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लोहरदगा और रामगढ़ में समानता: 2015 में लोहदगा में जब आजसू के विधायक केके भगत को सजा मिली थी तब राज्य में आजसू सत्ता में साझीदार था, 2022 में जब कांग्रेस के विधायक ममता देवी को सजा मिली तब कांग्रेस झारखंड की सत्ता में साझीदार है और राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है. 2015 में आजसू के तत्कालीन विधायक केके भगत की पत्नी मैदान में थीं और 2023 निवर्तमान विधायक ममता देवी के पति मैदान में हैं.

आठ साल बाद बदला लेने का मौका: 2015 में लोहरदगा में आजसू के लिए जो हालात थे लगभग वैसी ही स्थिति आज कांग्रेस के लिए रामगढ़ में है. उस वक्त कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत ने सत्ताधारी दल आजसू से उनकी सीट छीन ली थी. आज आजसू के पास मौका है कि वह भी सत्ताधारी दल कांग्रेस से उनकी सीट छीन कर 2015 का हिसाब बराबर कर ले.

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