रांची: झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से अधिवक्ताओं के लिए कई कल्याणकारी योजना चलाई गईं हैं. इनमें से एक पेंशन योजना भी है, लेकिन उसमें मिलने वाली राशि इतनी कम होती है कि जिससे कुछ भी होना संभव नहीं है. ये राशि अगर कुछ बढ़कर मिलती, तो वकील खुद को सुरक्षित महसूस करते.
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झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता विजय रंजन सिन्हा बताते हैं कि राज्य में 38,000 से अधिक अधिवक्ता हैं. अधिवक्ता संगठित भी हैं और असंगठित भी. शुरुआती दौर में अधिवक्ताओं को कई कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ता है. अधिवक्ता जब अदालत में काम करते हैं और उन्हें जो पैसे मिलते हैं, उससे उनका परिवार चलता है. ऐसे में कम राशि मिलने से वो भविष्य में कैसे अपना गुजारा करेंगे. स्टेट बार काउंसिल के पेंशन ट्रस्टी कमेटी की ओर से जिस पेंशन योजना की शुरुआत की गई है, वो प्रशंसनीय है. उनका कहना है कि ये बहुत ही अच्छी पहल है. लेकिन इतनी कम है कि इस पेंशन से उनकी जरूरत पूरी नहीं हो सकतीं. उन्होंने आग्रह किया है कि इस पेंशन की राशि को थोड़ा बढ़ाया जाए.
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स्टेट बार काउंसिल के सेक्रेटरी राजेश पांडे ने बताया कि साल 2012 से पेंशन ट्रस्ट कमेटी बनाकर अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना प्रारंभ की गई. पेंशन योजना के लिए पेंशन ट्रस्ट कमेटी का सदस्य बनना अनिवार्य है. जो उनके सदस्य हैं, उन अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति के बाद 7,000 रुपये पेंशन दी जाती है. अगर अधिवक्ता की मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में अधिवक्ता के परिवार को ये पेंशन दी जाती है. उन्होंने बताया कि अधिवक्ताओं को इस योजना के बारे में जानकारी दी जा रही है. लगभग 1,000 से अधिक अधिवक्ता इस ट्रस्टी कमेटी के मेंबर बने हैं. इनमें 120 अधिवक्ताओं को इस पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है. 12 पेंशन वाले अधिवक्ताओं के निधन के बाद उनके परिवार को ये पेंशन मिल रही है. उन्होंने माना कि ये संख्या भले ही बहुत कम है, लेकिन अधिवक्ताओं को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वह इस पेंशन ट्रस्ट कमेटी का मेंबर बनें और पेंशन का लाभ उठाएं.