रांची: कोल्हान में अपना ठिकाना बना रखे इनामी नक्सलियों के आगे बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है. जिन आईईडी बमों का घेरा बनाकर नक्सली अपने आप को अब तक बचाए हुए थे, पुलिस अब उस घेरे को नष्ट करने में जुट गई है. कोल्हान में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों को निष्क्रिय करने के लिए ऑपरेशन क्लीन शुरू किया गया है. पिछले 6 महीने में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों की वजह से 10 ग्रामीण मौत की गाल में समा गए जबकि एक दर्जन से ज्यादा सुरक्षा बल घायल हो चुके हैं.
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20 दिन में निकाल दिया 50 से ज्यादा आईईडी: दरअसल, बूढ़ापहाड़, बुलबुल जंगल, पारसनाथ जैसे घोर नक्सल प्रभावित इलाकों से जब नक्सलियों को खदेड़ना शुरू किया गया तब उन्होंने सारंडा को अपना सेफ जोन बना लिया. नक्सलियों ने कोल्हान के इलाके में अपने आप को बचाने के लिए ऐसा चक्रव्यू बना लिया जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. झारखंड पुलिस यह समझ चुकी है कि जब तक आईडी बमों को निष्क्रिय कर जंगल को क्लीन नहीं किया जाएगा तब तक कोल्हान फतह करना मुश्किल है. यही वजह है कि कोल्हान में जोर शोर से बम निरोधक दस्ते के साथ ऑपरेशन क्लीन चलाया जा रहा है. मात्र 20 दिनों के भीतर ही सुरक्षाबलों ने जंगल में जमीन के नीचे लगा कर रखे गए 50 से ज्यादा आईईडी बमों को बाहर निकाल कर उन्हें निष्क्रिय कर दिया है. वहीं पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अब तक 170 आईडी बमों को निष्क्रिय किया जा चुका है.
बीडीएस के साथ अभियान, एक साल में 500 आईईडी निष्क्रिय: कोल्हान में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ अपना सबसे बड़ा अभियान पिछले साल नवंबर महीने में शुरू किया था तब से लेकर अब तक कोल्हान फतह के लिए झारखंड पुलिस के जांबाज जंगल में ही टिके हुए हैं. उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा आईईडी बम बने हुए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल कोल्हान इलाके से ही झारखंड पुलिस ने अब तक 500 से ज्यादा आईईडी बमों को जमीन के भीतर से बाहर निकाल कर नष्ट किया है.
एक बार हुआ क्लीन तो मुश्किल होगा नक्सलियों के लिए: झारखंड पुलिस के जवान यह जानते हैं कि कोल्हान में बहुत ज्यादा अगर आईईडी बम बचे होंगे तो वह भी मात्र 300 से 400 ही होंगे. एक बार जब सभी बमों को निष्क्रिय कर दिया जाएगा तो नक्सलियों के लिए दोबारा उन क्षेत्रों में बम लगाना टेढ़ी खीर साबित होगी. यही वजह है कि ऑपरेशन क्लीन को जोरदार तरीके से चलाया जा रहा है ताकि कोल्हान फतेह किया जा सके. झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह के अनुसार कोल्हान में ग्रामीण नक्सलियों के बमों के शिकार हो रहे हैं. चुकी जंगल ग्रामीणों की आय का प्रमुख साधन है इसलिए ग्रामीण हर हाल में जंगल जाना चाहते हैं, लेकिन वहां वे लैंड माइंस के शिकार हो जाते हैं. झारखंड पुलिस की तरफ से बमों को निष्क्रिय करने का काम लगातार जारी है. जल्द ही कोल्हान भी नक्सल मुक्त होगा.
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काफी नुकसान हो चुका है: दरअसल, कोल्हान इलाके में नक्सलियों ने पूरे जंगली इलाके को आईईडी बमों से घेर दिया है. नतीजा कोल्हान में लगातार आईईडी बमों की चपेट में आने से ग्रामीणों की जान जा रही है. उनके पशु भी विस्फोट में मारे जा रहे हैं. ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा रुकने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. जंगल में जाना ग्रामीणों के लिए मजबूरी है तो वहीं नक्सलियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों के लिए भी जंगलों में उतरना बेहद जरूरी. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बल दोनों का ही आईईडी बमों से सामना हो रहा है. आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अब तक हमारे 18 जवान नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों में विस्फोट की वजह से घायल हुए हैं. लेकिन उससे बुरी स्थिति ग्रामीणों की है. नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों में विस्फोट की वजह से अब तक 10 ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं जबकि कई अपंग हो चुके है. ऐसे में ऑपरेशन क्लीन का सफल होना ही ग्रामीणों को नई राह और जिंदगी दोनों देगा.